महात्मा गांधी और राष्ट्रवादी आंदोलन — सविनय अवज्ञा और आगे (Mahatma Gandhi and the Nationalist Movement — Civil Disobedience and Beyond)
इस अध्याय में महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की प्रमुख घटनाओं और रणनीतियों का वर्णन किया गया है। गांधीजी ने भारत में अपने आगमन (1915) के बाद राजनीति में एक नई चेतना का संचार किया। उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा को राजनीतिक संघर्ष के प्रमुख हथियार बनाए।
1917 से 1919 तक चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद के स्थानीय आंदोलनों से उन्होंने जनता का विश्वास जीता। इसके बाद 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ जिसमें अंग्रेजों के साथ हर प्रकार के सहयोग को त्यागने का आह्वान किया गया। जलियांवाला बाग हत्याकांड और रॉलेट एक्ट जैसे दमनकारी कानूनों ने इस आंदोलन को जन-आंदोलन बना दिया।
1930 में गांधीजी ने नमक कानून को तोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। साबरमती से दांडी तक की 240 मील लंबी यात्रा ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया। इसके बाद 1931 में गांधी-इरविन समझौता हुआ और वे लंदन गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसमें गांधीजी ने “करो या मरो” का नारा दिया। यह आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम का चरम बिंदु बन गया।
इस अध्याय में यह भी समझाया गया है कि कैसे गांधीजी का आंदोलन व्यापक जनसमर्थन प्राप्त करता गया और उसमें महिलाओं, किसानों, आदिवासियों तथा विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। उनके नेतृत्व ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा, गहराई और व्यापकता दी।
सारांश (Summary)
🔹 1. गांधीजी का भारत आगमन और भूमिका की शुरुआत (1915)
गांधीजी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे।
उन्होंने शुरुआत में भारतीय समाज को समझने के लिए भारत भ्रमण किया।
उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा को भारतीय राजनीति में शामिल किया।
शुरुआती आंदोलनों में चंपारण (बिहार), खेड़ा (गुजरात), और अहमदाबाद (मजदूर संघर्ष) प्रमुख रहे।
🔹 2. रॉलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919)
रॉलेट एक्ट के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने बिना मुकदमे के गिरफ्तारी की अनुमति दी।
इसके विरोध में देशव्यापी आक्रोश हुआ।
अमृतसर के जलियांवाला बाग में जनरल डायर ने निर्दोष लोगों पर गोलीबारी कर दी जिसमें सैकड़ों मारे गए।
इस घटना ने राष्ट्र को झकझोर दिया और गांधीजी को पूर्ण राष्ट्रव्यापी आंदोलन की ओर प्रेरित किया।
🔹 3. असहयोग आंदोलन (1920–22)
गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन के साथ असहयोग आंदोलन को जोड़ा।
उद्देश्य: ब्रिटिश शासन से सहयोग समाप्त करना।
सरकारी स्कूल, कॉलेज, नौकरी, अदालतों का बहिष्कार किया गया।
विदेशी वस्त्रों का जलाया जाना, खादी का प्रचार हुआ।
1922 में चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया।
🔹 4. स्वराज और रचनात्मक कार्यक्रम
गांधीजी ने ‘स्वराज’ को आत्मनिर्भरता और नैतिक स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया।
उन्होंने खादी, ग्राम उद्योग, अस्पृश्यता निवारण, नारी शिक्षा जैसे रचनात्मक कार्यों पर बल दिया।
कांग्रेस ने 1929 के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ की माँग की।
🔹 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930–34)
गांधीजी ने नमक कानून तोड़कर आंदोलन की शुरुआत की।
12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा की गई।
इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर महिलाओं, किसानों और श्रमिकों ने भाग लिया।
सरकार ने गांधीजी सहित हजारों आंदोलनकारियों को जेल में डाला।
1931 में गांधी-इरविन समझौता हुआ और गांधीजी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए।
सम्मेलन से कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, आंदोलन धीरे-धीरे समाप्त हुआ।
🔹 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने भारत को बिना पूछे युद्ध में झोंक दिया।
कांग्रेस ने इसका विरोध किया और 8 अगस्त 1942 को गांधीजी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया।
यह आंदोलन अत्यंत व्यापक था और देश के कोने-कोने में फैल गया।
सरकार ने इसे दबाने के लिए कठोर कदम उठाए, लेकिन यह आंदोलन स्वतंत्रता की अंतिम कड़ी बना।
🔹 7. गांधीजी की विचारधारा और आंदोलन की विशेषताएँ
अहिंसा और सत्याग्रह गांधीजी के प्रमुख हथियार थे।
उन्होंने भारतीय राजनीति को नैतिकता और जनसंपर्क से जोड़ा।
आंदोलन जन-आधारित, शांतिपूर्ण, महिलाओं और निम्नवर्गीयों की भागीदारी वाला था।
गांधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता, अस्पृश्यता उन्मूलन और खादी के प्रचार को स्वतंत्रता से जोड़ा।
🔹 8. स्वतंत्रता संघर्ष में गांधीजी की भूमिका का महत्व
उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को जन-आंदोलन बनाया।
उनकी रणनीतियाँ वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हुईं।
उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व को नैतिक नेतृत्व में परिवर्तित किया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी उनकी शिक्षाएँ भारतीय लोकतंत्र और समाज के लिए प्रेरणास्रोत बनीं।
महात्मा गांधी के नेतृत्व ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। उन्होंने आमजन को राजनीतिक रूप से जागरूक किया और संघर्ष की नीति में नैतिक मूल्यों को स्थान दिया। उनके शांतिपूर्ण संघर्ष ने भारत को स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया।
शब्दार्थ (Word Meaning)
शब्द | अर्थ (Meaning in Hindi) |
---|---|
सत्याग्रह | सत्य के लिए अहिंसक संघर्ष; गांधीजी की आंदोलन की प्रमुख नीति। |
सविनय अवज्ञा | कानून का शांतिपूर्ण उल्लंघन करते हुए विरोध प्रदर्शन करना। |
अहिंसा | किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहकर विरोध करना। |
स्वराज | अपना शासन; आत्मनिर्भर और स्वतंत्र भारत की संकल्पना। |
रॉलेट एक्ट | 1919 में बना एक कठोर कानून जिससे बिना मुकदमे के गिरफ्तारी हो सकती थी। |
असहयोग आंदोलन | ब्रिटिश शासन से सहयोग समाप्त करने का जन आंदोलन। |
खिलाफत आंदोलन | तुर्की के खलीफा को समर्थन देने हेतु भारत में चला मुस्लिम आंदोलन। |
बहिष्कार | किसी वस्तु, सेवा या संस्था का पूर्ण रूप से त्याग। |
नमक कानून | अंग्रेजों द्वारा लगाया गया ऐसा कानून जिससे भारतीय नमक नहीं बना सकते थे। |
दांडी यात्रा | 1930 में गांधीजी द्वारा किया गया 240 मील का यात्रा, नमक कानून तोड़ने हेतु। |
गोलमेज सम्मेलन | ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन में बुलाई गई राजनीतिक चर्चाएँ (1930-32)। |
गांधी-इरविन समझौता | 1931 में गांधीजी और वायसराय इरविन के बीच हुआ समझौता, आंदोलन समाप्ति हेतु। |
भारत छोड़ो आंदोलन | 1942 में गांधीजी द्वारा शुरू किया गया ‘करो या मरो’ आंदोलन। |
करो या मरो | भारत छोड़ो आंदोलन का नारा; स्वतंत्रता पाने का अंतिम आह्वान। |
राष्ट्रीय आंदोलन | भारत को स्वतंत्र कराने हेतु चलाए गए सभी जन आंदोलनों की श्रृंखला। |
ब्रिटिश साम्राज्य | वह शासन व्यवस्था जिसमें ब्रिटेन ने भारत सहित कई देशों पर राज किया। |
जन आंदोलन | आम जनता द्वारा चलाया गया व्यापक और सामूहिक विरोध या समर्थन अभियान। |
ग्रामोद्योग | ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे उद्योग, जैसे चरखा, हस्तकला, कुटीर उद्योग आदि। |
अस्पृश्यता | समाज में निम्न जातियों के साथ भेदभाव करने की प्रथा, जिसका गांधीजी ने विरोध किया। |
जन-जागरण | आम लोगों को राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक बनाना। |
माइंड मैप (Mind Map)
टाइमलाइन (Timeline)
वर्ष | घटना (Event) |
---|---|
1915 | महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। उन्होंने भारतीय समाज को समझने के लिए देशभर का भ्रमण किया। |
1917 | गांधीजी का पहला सत्याग्रह चंपारण (बिहार) में नील किसानों के समर्थन में हुआ। |
1918 | खेड़ा (गुजरात) में किसान सत्याग्रह और अहमदाबाद में मजदूर हड़ताल का नेतृत्व किया। |
1919 | रॉलेट एक्ट लागू हुआ — बिना मुकदमे गिरफ्तारी का कानून। जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल) — जनरल डायर द्वारा निर्दोष लोगों की हत्या। |
1920 | गांधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। ब्रिटिश संस्थाओं, अदालतों, स्कूलों का बहिष्कार हुआ। |
1922 | चौरी-चौरा घटना (उत्तर प्रदेश) — हिंसा के कारण गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया। |
1928 | बारदोली सत्याग्रह — वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में किसानों का कर विरोध। गांधीजी ने समर्थन किया। |
1929 | कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ (Complete Independence) की घोषणा की गई। |
26 जनवरी 1930 | पहली बार ‘स्वतंत्रता दिवस’ मनाया गया, लोगों ने ब्रिटिश शासन के प्रति असहमति जताई। |
12 मार्च 1930 | गांधीजी ने दांडी यात्रा शुरू की — साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की यात्रा। |
6 अप्रैल 1930 | गांधीजी ने दांडी तट पर नमक कानून का उल्लंघन किया — सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत। |
1931 | गांधी-इरविन समझौता हुआ। गांधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (लंदन) में भाग लिया, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। |
1932 | सविनय अवज्ञा आंदोलन फिर से शुरू किया गया लेकिन इसे सख्ती से दबा दिया गया। पूना समझौता (गांधी-आंबेडकर के बीच दलितों के अधिकारों पर)। |
1934 | गांधीजी ने कांग्रेस से अस्थायी रूप से दूरी बना ली और रचनात्मक कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया। |
1939 | द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ; कांग्रेस ने बिना परामर्श भारत को युद्ध में शामिल करने का विरोध किया। |
1942 | गांधीजी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का आह्वान किया — “करो या मरो” का नारा दिया गया। |
1944 | गांधीजी जेल से रिहा हुए, स्वास्थ्य कारणों से; आंदोलन धीरे-धीरे समाप्त हुआ। |
1947 | 15 अगस्त को भारत स्वतंत्र हुआ; गांधीजी ने सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए बंगाल में उपवास किया। |
मैप वर्क (Map Work)
(पढ़ाते समय जिन स्थानों को भारत के मानचित्र पर दिखाना चाहिए — ताकि घटनाओं को स्थानों से जोड़ सकें)
📍 महत्वपूर्ण स्थान जो मानचित्र में दिखाए जाएँ :-
क्रम संख्या | स्थान | महत्व / संबंधित घटना |
---|---|---|
1 | चंपारण (बिहार) | गांधीजी का पहला सत्याग्रह (1917) – नील किसानों के लिए |
2 | खेड़ा (गुजरात) | किसान सत्याग्रह (1918) – सूखा और कर माफी की माँग |
3 | अहमदाबाद (गुजरात) | मजदूर हड़ताल – गांधीजी की मध्यस्थता (1918) |
4 | अमृतसर (पंजाब) | जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) |
5 | लाहौर (अब पाकिस्तान में) | पूर्ण स्वराज की घोषणा – कांग्रेस अधिवेशन (1929) |
6 | बारदोली (गुजरात) | बारदोली सत्याग्रह – वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में (1928) |
7 | साबरमती आश्रम (अहमदाबाद, गुजरात) | दांडी यात्रा की शुरुआत (1930) |
8 | दांडी (गुजरात) | नमक कानून का उल्लंघन – सविनय अवज्ञा की शुरुआत |
9 | लंदन (ब्रिटेन) | गांधीजी की गोलमेज सम्मेलन में भागीदारी (1931) |
10 | पूना (महाराष्ट्र) | पूना समझौता (1932) – गांधी और आंबेडकर के बीच दलित प्रतिनिधित्व पर समझौता |
11 | बंबई (अब मुंबई) | भारत छोड़ो आंदोलन का प्रमुख केंद्र (1942) |
12 | कोलकाता (बंगाल) | स्वतंत्रता के समय सांप्रदायिक तनाव – गांधीजी का उपवास (1947) |
13 | वर्धा (महाराष्ट्र) | गांधीजी के रचनात्मक कार्यक्रमों का केंद्र – बाद के वर्षों में सक्रियता |
🧭 शिक्षण सुझाव (Teaching Tips) :-
मानचित्र पर छात्रों से स्थानों को चिन्हित करवाएँ।
रंगीन पिन या झंडियाँ उपयोग कर प्रमुख आंदोलनों को अलग रंगों में दिखाएँ:
नीला: सत्याग्रह आंदोलन
हरा: दांडी यात्रा और नमक सत्याग्रह
लाल: हिंसात्मक घटनाएँ या दबाव वाले क्षेत्र
टाइमलाइन के साथ लिंक करके स्थान दिखाएँ — जैसे: “अब 1930 में दांडी चलें…”
छात्रों से ‘मैप एक्टिविटी’ करवाएँ जिसमें उन्हें स्थानों को घटनाओं से जोड़ना हो।
मैप प्रैक्टिस (Map Practice)
उद्देश्य: ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े स्थानों को भारत के मानचित्र पर चिन्हित करना सिखाना और याददाश्त को मजबूत बनाना।
✍️ प्रश्न 1. निम्नलिखित घटनाओं से संबंधित स्थानों को भारत के नक्शे पर चिन्हित करें।
क्रम | स्थान | संबंधित ऐतिहासिक घटना |
---|---|---|
1 | चंपारण | नील किसानों के सत्याग्रह (1917) |
2 | खेड़ा | किसान सत्याग्रह (1918) |
3 | अहमदाबाद | मजदूर हड़ताल (1918) |
4 | अमृतसर | जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) |
5 | बारदोली | किसान आंदोलन (1928) |
6 | साबरमती आश्रम | दांडी यात्रा की शुरुआत (1930) |
7 | दांडी | नमक कानून उल्लंघन (1930) |
8 | पूना | पूना समझौता (1932) |
9 | बंबई (मुंबई) | भारत छोड़ो आंदोलन का केंद्र (1942) |
10 | कोलकाता | सांप्रदायिक हिंसा विरोध में गांधीजी का उपवास (1947) |
📝 प्रश्न 2. खाली स्थानों को भरिए (Fill in the blanks) :-
दांडी यात्रा की शुरुआत ___________ आश्रम से हुई।
उत्तर: साबरमती1919 में ___________ में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ।
उत्तर: अमृतसरसत्याग्रह का पहला प्रयोग भारत में ___________ में हुआ था।
उत्तर: चंपारण___________ आंदोलन के दौरान गांधीजी ने नमक कानून का उल्लंघन किया।
उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलनपूना समझौता ___________ और ___________ के बीच हुआ था।
उत्तर: गांधीजी, डॉ. आंबेडकर
🧩 प्रश्न 3. मिलान कीजिए (Match the Following) :-
कॉलम A | कॉलम B |
---|---|
1. चंपारण | A. पूना समझौता |
2. साबरमती | B. सत्याग्रह की शुरुआत |
3. पूना | C. भारत छोड़ो आंदोलन |
4. बंबई | D. दांडी यात्रा की शुरुआत |
🗺️ प्रश्न 4. मानचित्र पर कार्य (Map Activity)
छात्रों को एक रिक्त भारत का मानचित्र दिया जाए और निम्नलिखित निर्देश दिए जाएँ:
5 प्रमुख आंदोलनों के स्थानों को लाल बिंदु से चिन्हित करें।
दांडी यात्रा का मार्ग नीली रेखा से दर्शाएँ।
पूना, बंबई, कोलकाता को हरे गोल चिन्ह से दर्शाएँ।
🎯 अभ्यास के उद्देश्य (Learning Goals) :-
ऐतिहासिक घटनाओं को स्थानों से जोड़ना।
छात्रों की स्थानिक समझ (Spatial Understanding) बढ़ाना।
कक्षा में सहभागिता को प्रोत्साहन देना।
वैकल्पिक प्रश्न (MCQs) उत्तर और व्याख्या
1. गांधीजी ने भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू किया था?
a) 1920
b) 1928
c) 1930
d) 1942
उत्तर: c) 1930
व्याख्या: सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने 1930 में की थी। इसका प्रमुख आयोजन था दांडी यात्रा, जहाँ उन्होंने ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन किया था। यह आंदोलन ब्रिटिश कानूनों का शांतिपूर्ण उल्लंघन करके स्वतंत्रता की मांग करने का तरीका था।
2. दांडी यात्रा किस वर्ष हुई थी?
a) 1929
b) 1930
c) 1931
d) 1942
उत्तर: b) 1930
व्याख्या: दांडी यात्रा मार्च 1930 में शुरू हुई थी। गांधीजी साबरमती आश्रम से दांडी तक लगभग 240 मील की पैदल यात्रा कर नमक कानून का उल्लंघन किया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है।
3. रॉलेट एक्ट के तहत क्या अनुमति दी गई थी?
a) बिना मुकदमे गिरफ्तारी
b) कर माफी
c) राजनीतिक सभा पर प्रतिबंध
d) शिक्षा का अधिकार
उत्तर: a) बिना मुकदमे गिरफ्तारी
व्याख्या: रॉलेट एक्ट 1919 में लागू हुआ था, जो ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार देता था कि वे बिना मुकदमे के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकें। यह कानून अत्यंत कठोर और अन्यायपूर्ण था, जिसने पूरे देश में असंतोष और विरोध को जन्म दिया।
4. निम्न में से कौन सा आंदोलन तुर्की के खलीफा के समर्थन में भारत में शुरू हुआ था?
a) असहयोग आंदोलन
b) खिलाफत आंदोलन
c) भारत छोड़ो आंदोलन
d) दांडी आंदोलन
उत्तर: b) खिलाफत आंदोलन
व्याख्या: खिलाफत आंदोलन 1919-1924 के दौरान भारत में मुसलमानों द्वारा तुर्की के खलीफा का समर्थन करने के लिए चलाया गया आंदोलन था। इसका उद्देश्य ओटोमन साम्राज्य के खलीफा की शक्ति को बनाए रखना था।
5. गांधीजी ने असहयोग आंदोलन कब वापस ले लिया था?
a) 1920
b) 1922
c) 1928
d) 1930
उत्तर: b) 1922
व्याख्या: 1922 में चौरी-चौरा हिंसा के कारण गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। इस घटना में पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हुई थी जिसमें कई पुलिसकर्मी मारे गए थे। गांधीजी का मानना था कि आंदोलन हिंसा पर आधारित नहीं होना चाहिए।
6. बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व किसने किया था?
a) जवाहरलाल नेहरू
b) सुभाष चंद्र बोस
c) वल्लभभाई पटेल
d) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: c) वल्लभभाई पटेल
व्याख्या: बारदोली सत्याग्रह 1928 में हुआ था, जहां वल्लभभाई पटेल ने किसानों का नेतृत्व किया था। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाई गई कर वृद्धि के खिलाफ था। यह सत्याग्रह सफल रहा और कर कम कर दिया गया।
7. गांधी-इरविन समझौता किस वर्ष हुआ था?
a) 1928
b) 1930
c) 1931
d) 1942
उत्तर: c) 1931
व्याख्या: गांधी-इरविन समझौता 1931 में हुआ था, जिसमें गांधीजी और ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इरविन ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को समाप्त करने पर सहमति बनाई थी। इस समझौते के तहत कई राजनीतिक कैदियों को रिहा किया गया।
8. भारत छोड़ो आंदोलन का मुख्य नारा क्या था?
a) ‘पूर्ण स्वराज’
b) ‘करो या मरो’
c) ‘स्वराज हमारा अधिकार है’
d) ‘सत्याग्रह ही स्वतंत्रता है’
उत्तर: b) ‘करो या मरो’
व्याख्या: भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का मुख्य नारा था “करो या मरो,” जिसका अर्थ था कि स्वतंत्रता पाने के लिए अंतिम प्रयास करना और संघर्ष जारी रखना। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ अंतिम और निर्णायक लड़ाई थी।
9. नमक कानून के खिलाफ दांडी यात्रा क्यों महत्वपूर्ण थी?
a) यह पहला सशस्त्र आंदोलन था
b) यह सविनय अवज्ञा का प्रतीक था
c) इसमें ब्रिटिश सरकार का समर्थन था
d) इसमें ब्रिटिश सेना ने भाग लिया था
उत्तर: b) यह सविनय अवज्ञा का प्रतीक था
व्याख्या: दांडी यात्रा नमक कानून के खिलाफ एक अहिंसक और शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रतीक थी। यह ब्रिटिश कानूनों का सीधे उल्लंघन था और पूरे भारत में जन आंदोलन को प्रेरित किया।
10. पूना समझौता किस विषय पर केंद्रित था?
a) ब्रिटिश से राजनीतिक स्वराज
b) दलितों के अधिकार
c) नमक कानून
d) कर विरोध आंदोलन
उत्तर: b) दलितों के अधिकार
व्याख्या: 1932 में पूना समझौता गांधीजी और डॉ. भीमराव आंबेडकर के बीच हुआ था। इस समझौते में दलितों (अछूतों) के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था को लेकर विवाद सुलझाया गया था।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (30-40 शब्दों में)
1. सत्याग्रह क्या है?
उत्तर: सत्याग्रह का अर्थ है सत्य के लिए अहिंसात्मक संघर्ष। गांधीजी ने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्ति की रणनीति के रूप में अपनाया। यह आंदोलन बिना हिंसा के अपने अधिकारों के लिए लड़ने का तरीका था।
2. सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश कानूनों, विशेषकर नमक कानून का शांतिपूर्ण उल्लंघन कर विरोध करना था। यह आंदोलन भारतियों को ब्रिटिश शासन के अन्याय के खिलाफ एकजुट करने और स्वतंत्रता की मांग को मजबूती देने के लिए था।
3. दांडी यात्रा क्यों महत्वपूर्ण थी?
उत्तर: दांडी यात्रा गांधीजी द्वारा नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए की गई पैदल यात्रा थी। इससे सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसने पूरे देश में ब्रिटिश विरोधी भावना को बढ़ावा दिया और जनसामान्य को सक्रिय किया।
4. रॉलेट एक्ट के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर: रॉलेट एक्ट 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया कानून था, जो बिना मुकदमे के गिरफ्तारी की अनुमति देता था। यह कानून अत्यंत कठोर था और भारतीय जनता में भारी रोष एवं असंतोष उत्पन्न किया।
5. भारत छोड़ो आंदोलन का क्या नारा था?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन का प्रमुख नारा था “करो या मरो।” यह आंदोलन 1942 में शुरू हुआ और अंतिम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत मानी जाती है, जिसमें ब्रिटिश शासन को भारत से तुरंत हटने का आह्वान किया गया था।
6. असहयोग आंदोलन क्यों समाप्त किया गया?
उत्तर: असहयोग आंदोलन को 1922 में चौरी-चौरा हिंसा के कारण गांधीजी ने वापस ले लिया। इस घटना में आंदोलन में हिंसा फैल गई थी, जो गांधीजी के अहिंसात्मक सिद्धांत के खिलाफ थी, इसलिए उन्होंने आंदोलन स्थगित कर दिया।
7. खिलाफत आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: खिलाफत आंदोलन का उद्देश्य तुर्की के खलीफा के समर्थन में एकता दिखाना और मुसलमानों के धार्मिक हितों की रक्षा करना था। यह आंदोलन भारत में मुस्लिम समुदाय द्वारा चलाया गया था ताकि ओटोमन खलीफा की सत्ता बनी रहे।
8. बारदोली सत्याग्रह क्या था?
उत्तर: बारदोली सत्याग्रह 1928 में वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में किसानों द्वारा लगाए गए कर विरोध का आंदोलन था। यह आंदोलन ब्रिटिश अधिकारियों के अत्याचार के खिलाफ था और इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
9. गांधी-इरविन समझौता किस वर्ष हुआ और इसका महत्व क्या था?
उत्तर: गांधी-इरविन समझौता 1931 में हुआ था। इसमें गांधीजी ने आंदोलन रोकने का निर्णय लिया और ब्रिटिश सरकार ने कुछ राजनीतिक कैदियों को रिहा किया। यह समझौता द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भागीदारी का आधार बना।
10. नमक कानून क्यों ब्रिटिश शासन के खिलाफ था?
उत्तर: नमक कानून के तहत भारतीयों को नमक बनाने और बेचने से रोका गया था, जबकि अंग्रेज नमक पर भारी कर लगाकर मुनाफा कमाते थे। यह कानून गरीब जनता के लिए अत्यंत कठोर और अन्यायपूर्ण था, जिसके विरोध में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।
लघु उत्तरीय प्रश्न (40-60 शब्दों में)
1. असहयोग आंदोलन की शुरुआत और इसके उद्देश्यों के बारे में बताइए।
उत्तर: असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1920 में गांधीजी ने की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनसाधारण को संगठित कर अहिंसात्मक विरोध करना था। आंदोलन के तहत ब्रिटिश सरकारी संस्थाओं, अदालतों, स्कूलों, और ब्रिटिश माल का बहिष्कार किया गया। यह आंदोलन भारतियों को स्वराज की ओर प्रेरित करता था और ब्रिटिश आर्थिक व राजनीतिक दबदबे को कमजोर करना चाहता था। असहयोग आंदोलन ने भारत में राजनीतिक चेतना जगाई और स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी।
2. दांडी यात्रा का महत्व और इसके परिणाम क्या थे?
उत्तर: दांडी यात्रा 1930 में गांधीजी द्वारा नमक कानून के विरोध में शुरू की गई एक लंबी पैदल यात्रा थी। इस यात्रा में उन्होंने साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की दूरी तय की और वहां नमक कानून का उल्लंघन किया। इस घटना ने पूरे देश में ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक सविनय अवज्ञा आंदोलन को जन्म दिया। दांडी यात्रा ने जनसामान्य को संगठित किया और स्वतंत्रता संघर्ष को तीव्र गति प्रदान की।
3. चौरी-चौरा घटना के कारण असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया गया?
उत्तर: 1922 में चौरी-चौरा में हुए हिंसक घटना के कारण गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया। इस घटना में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने को आग लगा दी और कई पुलिसकर्मी मारे गए। गांधीजी अहिंसा के कट्टर समर्थक थे और हिंसा को आंदोलन की आत्मा के विपरीत मानते थे। इसलिए उन्होंने आंदोलन को रोक कर जनता को अहिंसा का रास्ता अपनाने की सलाह दी।
4. भारत छोड़ो आंदोलन के नारे “करो या मरो” का क्या अर्थ था?
उत्तर: “करो या मरो” भारत छोड़ो आंदोलन का प्रमुख नारा था, जिसे गांधीजी ने 1942 में दिया था। इसका अर्थ था कि भारतवासियों को स्वतंत्रता पाने के लिए पूरी तरह समर्पित होकर संघर्ष करना चाहिए, चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान भी न्योछावर करनी पड़े। यह नारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ अंतिम और निर्णायक लड़ाई की अपील थी, जो देश भर में एकजुटता और उत्साह का कारण बना।
5. रॉलेट एक्ट क्या था और इसके खिलाफ लोगों ने कैसे प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: रॉलेट एक्ट 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया कठोर कानून था, जिससे बिना मुकदमे के लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता था। इस कानून का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को दबाना था। इसके खिलाफ गांधीजी ने सत्याग्रह का आह्वान किया। इससे देशभर में विरोध और असंतोष फैल गया, जो अंततः जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसे दुखद घटनाओं को जन्म देने वाला था। रॉलेट एक्ट भारतीयों की आज़ादी के संघर्ष में एक बड़ी बाधा था।
6. खिलाफत आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: खिलाफत आंदोलन तुर्की के खलीफा की स्थिति बचाने के लिए भारत में मुस्लिम समुदाय द्वारा चलाया गया आंदोलन था। यह आंदोलन गांधीजी द्वारा समर्थन प्राप्त था क्योंकि यह हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने का माध्यम था। इस आंदोलन का उद्देश्य मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना था और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुटता दिखाना था। यह राष्ट्रीय आंदोलन में साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण कदम था।
7. गांधीजी ने असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया?
उत्तर: गांधीजी ने असहयोग आंदोलन 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद वापस लिया। वहां की हिंसा ने उन्हें निराश कर दिया क्योंकि आंदोलन का आधार अहिंसा था। पुलिस स्टेशन में आग लगाना और पुलिसकर्मियों की हत्या गांधीजी की नीति के खिलाफ थी। इसलिए उन्होंने आंदोलन स्थगित कर लोगों को अहिंसा के मार्ग पर चलने की सलाह दी, ताकि स्वतंत्रता संघर्ष सही दिशा में आगे बढ़ सके।
8. गोलमेज सम्मेलन क्या था और इसका क्या परिणाम रहा?
उत्तर: गोलमेज सम्मेलन ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन में 1930-32 के बीच आयोजित राजनीतिक बैठकें थीं, जिनमें भारत की राजनीतिक समस्या पर चर्चा हुई। गांधीजी ने भी इसमें भाग लिया। लेकिन कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया। यह सम्मेलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए कुछ खास परिणाम नहीं ला पाया, लेकिन यह ब्रिटिश नीति की अस्वीकृति का प्रतीक था।
9. नमक कानून के खिलाफ दांडी यात्रा क्यों महत्वपूर्ण थी?
उत्तर: नमक कानून ने भारतीयों को अपनी ज़मीन पर नमक बनाने से रोका था और भारी कर लगाया था। गांधीजी ने 1930 में दांडी यात्रा के जरिए इसका शांतिपूर्ण विरोध किया। इस यात्रा ने पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन को बढ़ावा दिया, जिससे ब्रिटिश सरकार की नीतियों को चुनौती मिली। यह आंदोलन भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और नागरिक अवज्ञा की शक्ति को प्रदर्शित करने वाला एक महत्वपूर्ण अध्याय था।
10. भारत छोड़ो आंदोलन का उद्देश्य और नारा क्या था?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में गांधीजी द्वारा शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को देश से पूरी तरह निकाल बाहर करना था। इसका नारा “करो या मरो” था, जो अंतिम संघर्ष के लिए लोगों को प्रेरित करता था। यह आंदोलन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा बिना भारतीयों की अनुमति युद्ध में शामिल करने के विरोध में था। इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ दिया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (140-180 शब्दों में)
1. दांडी यात्रा के कारण, उद्देश्य और इसके प्रभावों की विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर: दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई थी। इसका मुख्य कारण अंग्रेजों के नमक कानून का विरोध करना था, जो भारतीयों को अपनी ज़मीन पर नमक बनाने से रोकता था और भारी कर लगाया था। गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक लगभग 240 मील की पैदल यात्रा की और वहां जाकर नमक कानून का उल्लंघन करते हुए समुद्र से नमक बनाया। यह एक सविनय अवज्ञा आंदोलन था, जिसमें कानून तोड़कर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी गई। इस आंदोलन ने पूरे भारत में भारी जनसमर्थन पाया और लोगों ने ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया। दांडी यात्रा ने यह साबित कर दिया कि अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण तरीके से भी ब्रिटिश शासन के खिलाफ सफल विरोध किया जा सकता है। इसके प्रभावस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने कई नेताओं को गिरफ्तार किया, लेकिन यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने अंग्रेजों की पकड़ कमजोर की और विश्व स्तर पर भारत की आज़ादी की मांग को प्रमुखता दी।
2. असहयोग आंदोलन के मुख्य उद्देश्य और गांधीजी के द्वारा इसे वापस लेने के कारण लिखिए।
उत्तर: असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1920 में गांधीजी ने की थी, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसात्मक और व्यापक विरोध करना था। इसमें ब्रिटिश शासकीय संस्थाओं, न्यायालयों, स्कूलों और उत्पादों का बहिष्कार शामिल था। इस आंदोलन ने भारत में राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया और लाखों लोगों को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा। इसका लक्ष्य भारत को स्वराज देना था। लेकिन 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया। इस घटना में हिंसा भड़क उठी और कुछ युवाओं ने पुलिस स्टेशन को आग लगा दी, जिसमें कई पुलिसकर्मी मारे गए। गांधीजी ने इसे अपने अहिंसात्मक सिद्धांत के खिलाफ माना। उन्होंने महसूस किया कि अगर आंदोलन हिंसा में बदल जाएगा तो इसका उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। इसलिए उन्होंने आंदोलन रोककर शांति और अहिंसा पर जोर दिया ताकि स्वतंत्रता संग्राम सही रास्ते पर आगे बढ़ सके।
3. भारत छोड़ो आंदोलन के कारण, नारे और परिणामों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। इसका मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार का द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को बिना अनुमति शामिल करना था। गांधीजी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जो अंतिम संघर्ष का आह्वान था। इस आंदोलन में देश के हर हिस्से से लोग सक्रिय हुए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर असहयोग किया। सरकारी दफ्तरों का बहिष्कार, ब्रिटिश सामानों का त्याग और जेलों में बंदी बनने की तैयारियाँ इस आंदोलन की विशेषताएँ थीं। ब्रिटिश सरकार ने कड़े दमन का सहारा लिया और कई नेताओं को जेल में डाल दिया। इसके बावजूद, यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक चरण था। भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बढ़ाया और अंततः 1947 में भारत की स्वतंत्रता का रास्ता साफ किया। यह आंदोलन भारतीयों के संकल्प और साहस का प्रतीक था।
4. गोलमेज सम्मेलनों का उद्देश्य और उनका भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर प्रभाव बताइए।
उत्तर: गोलमेज सम्मेलन ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन में आयोजित तीन राजनीतिक बैठकों का समूह था (1930-32), जिनका उद्देश्य भारत के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा करना था। पहला सम्मेलन 1930 में, दूसरा 1931 में और तीसरा 1932 में हुआ। इन सम्मेलनों में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय नेताओं से बातचीत की ताकि स्वशासन की कुछ सीमा निर्धारित की जा सके। गांधीजी ने दूसरे सम्मेलन में भाग लिया और गांधी-इरविन समझौता भी हुआ। हालांकि, भारतीय नेताओं और ब्रिटिश सरकार के बीच मतभेद बने रहे। कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी, जैसे दलितों के अधिकार, जिसके कारण तीसरे सम्मेलन में भी कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। इन सम्मेलनों ने भारतीय जनता के बीच यह स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में फिर से अधिक कड़ा संघर्ष शुरू हुआ। गोलमेज सम्मेलनों ने स्वतंत्रता संग्राम को नए रूप और दिशा दी, जिसमें गांधीजी और कांग्रेस ने आंदोलन को और संगठित करने पर जोर दिया।
5. गांधीजी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का राष्ट्रीय आंदोलन में महत्व समझाइए।
उत्तर: गांधीजी के अहिंसा (Non-violence) और सत्याग्रह (Insistence on Truth) के सिद्धांत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के मूल स्तंभ बने। अहिंसा का मतलब था बिना हिंसा के विरोध करना, जबकि सत्याग्रह का अर्थ था सत्य के लिए डटे रहना। इन सिद्धांतों के माध्यम से गांधीजी ने आम जनता को राजनीतिक संघर्ष में शामिल किया और शांति एवं नैतिकता पर आधारित आंदोलन चलाए। उनका यह तरीका ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ प्रभावी था क्योंकि इससे आंदोलन को विश्वसनीयता मिली और अंतरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ा। सत्याग्रह और अहिंसा के कारण आंदोलन में हिंसा कम हुई और लोगों में एकता और दृढ़ता आई। इन सिद्धांतों ने जनता को आत्म-विश्वास दिया कि वे बिना हथियार के भी सत्ता परिवर्तन कर सकते हैं। इसलिए, गांधीजी के ये सिद्धांत भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक और शक्तिशाली दिशा देने में सहायक रहे।
रिवीजन शीट (Revision Sheet)
1. प्रमुख विषय (Key Topics)
सत्याग्रह और अहिंसा: गांधीजी का अहिंसात्मक संघर्ष का सिद्धांत।
सविनय अवज्ञा आंदोलन: कानून का शांतिपूर्ण उल्लंघन कर विरोध।
दांडी यात्रा (1930): नमक कानून तोड़ने के लिए गांधीजी की प्रसिद्ध 240 मील की पैदल यात्रा।
गोलमेज सम्मेलन: ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेताओं के बीच राजनीतिक वार्ता (1930-32)।
गांधी-इरविन समझौता (1931): सविनय अवज्ञा आंदोलन का अस्थायी विराम।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942): ‘करो या मरो’ के नारे के साथ अंतिम स्वतंत्रता संघर्ष।
गांधीजी का सामाजिक कार्य: अस्पृश्यता का उन्मूलन, ग्रामोद्योग को बढ़ावा।
2. महत्वपूर्ण घटनाएँ और वर्ष
वर्ष | घटना |
---|---|
1917 | चंपारण सत्याग्रह शुरू |
1930 | दांडी यात्रा और नमक कानून का उल्लंघन |
1931 | गांधी-इरविन समझौता |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन शुरू |
1947 | भारत स्वतंत्र हुआ |
3. मुख्य शब्दार्थ
सत्याग्रह: सत्य के लिए अहिंसक संघर्ष।
सविनय अवज्ञा: कानूनी नियमों का शांतिपूर्ण उल्लंघन।
अहिंसा: किसी भी प्रकार की हिंसा से परहेज।
स्वराज: स्वतंत्र और आत्मनिर्भर भारत।
नमक कानून: ब्रिटिश द्वारा लगाये गए नमक उत्पादन के नियम।
4. महत्वपूर्ण तथ्य
दांडी यात्रा से भारतीय जनता का राजनीतिक जागरण हुआ।
गोलमेज सम्मेलनों ने स्वराज की मांग को अंतरराष्ट्रीय मंच दिया।
भारत छोड़ो आंदोलन ने भारतीय जनता को ‘स्वतंत्रता’ के अंतिम संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
गांधीजी ने ग्रामोद्योग और सामाजिक सुधारों को स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनाया।
5. महत्वपूर्ण प्रश्न
सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा में क्या अंतर है?
दांडी यात्रा का महत्व क्या था?
भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख नारे क्या थे?
गांधीजी ने सामाजिक सुधारों में किस प्रकार योगदान दिया?
6. संक्षिप्त उत्तर
सत्याग्रह अहिंसक संघर्ष है, जबकि सविनय अवज्ञा कानून का शांतिपूर्ण उल्लंघन है।
दांडी यात्रा ने नमक कानून का उल्लंघन कर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।
भारत छोड़ो आंदोलन का नारा था “करो या मरो।”
गांधीजी ने अस्पृश्यता दूर करने और ग्रामोद्योग को बढ़ावा दिया।
7. अध्ययन के सुझाव
मुख्य घटनाओं को वर्ष के अनुसार याद करें।
गांधीजी के सिद्धांतों को समझें और उनके महत्व पर ध्यान दें।
आंदोलन की सफलता और असफलताओं का विश्लेषण करें।
मैप वर्क और टाइमलाइन को नियमित अभ्यास करें।
वर्कशीट (Worksheet) - Test (महात्मा गांधी और राष्ट्रवादी आंदोलन — सविनय अवज्ञा और आगे)
भाग 1. शब्दार्थ (Word Meaning)
नीचे दिए गए शब्दों के अर्थ लिखिए:
सत्याग्रह
सविनय अवज्ञा
दांडी यात्रा
गोलमेज सम्मेलन
भारत छोड़ो आंदोलन
भाग 2. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Questions)
सत्याग्रह क्या है?
दांडी यात्रा कब शुरू हुई?
भारत छोड़ो आंदोलन का मुख्य नारा क्या था?
रॉलेट एक्ट का क्या अर्थ था?
असहयोग आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
भाग 3. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
सविनय अवज्ञा आंदोलन की विशेषताएँ बताइए।
गांधीजी ने दांडी यात्रा क्यों की और इसका महत्व क्या था?
गोलमेज सम्मेलन क्या था और इसका उद्देश्य क्या था?
भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव क्या रहा?
गांधीजी के सामाजिक सुधारों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
भाग 4. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions)
गांधीजी के सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को समझाइए।
दांडी यात्रा और नमक कानून के उल्लंघन का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?
भारत छोड़ो आंदोलन क्यों शुरू हुआ और इसके मुख्य उद्देश्य क्या थे?
गांधी-इरविन समझौता क्या था? इसके परिणाम क्या रहे?
गांधीजी ने भारतीय समाज में किन-किन सामाजिक बुराइयों का विरोध किया?
भाग 5. टाइमलाइन अभ्यास
नीचे दिए गए वर्षों के साथ सही घटना लिखिए:
1917
1930
1931
1942
1947
भाग 6. मैप कार्य (Map Work)
निम्नलिखित स्थानों को भारतीय मानचित्र पर चिन्हित कीजिए:
चंपारण (बिहार)
साबरमती आश्रम (गुजरात)
दांडी (गुजरात)
बारदोली (गुजरात)
पुणे (महाराष्ट्र)
भाग 7. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
गांधीजी की दांडी यात्रा किस वर्ष हुई?
a) 1920
b) 1930
c) 1942
d) 1919रॉलेट एक्ट का उद्देश्य क्या था?
a) भारतीयों को स्वतंत्रता देना
b) बिना मुकदमे गिरफ्तारी की अनुमति देना
c) नई शिक्षा नीति लागू करना
d) नमक बनाने की अनुमति देनाभारत छोड़ो आंदोलन का नारा क्या था?
a) स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
b) करो या मरो
c) अंग्रेजों को बाहर करो
d) देश के लिए लड़ो
भाग 8. उत्तर लिखिए (Answer the following)
गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया?
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी ने किस नारे का प्रयोग किया?
दांडी यात्रा के दौरान गांधीजी ने क्या किया था?
अब आपकी राय जानना भी ज़रूरी है…
हमने इस विषय पर अपने विचार साझा किए हैं, अब हम आपके विचार जानना चाहेंगे।
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