PARITOSH MISHRA

राजा, किसान और नगर: प्रारंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ (ई.पू. 600 – ई. 600) Kings, Farmers and Towns — Early States and Economies (600 BCE–600 CE)

यह अध्याय छठी शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईस्वी के बीच के भारतीय इतिहास की प्रमुख सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों पर आधारित है। इस काल में राज्यों (महाजनपदों) का उदय हुआ, जिनमें से मगध सबसे शक्तिशाली था। धीरे-धीरे ये महाजनपद बड़े साम्राज्यों में बदल गए, जैसे मौर्य साम्राज्य, जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की और चरमोत्कर्ष अशोक के शासनकाल में हुआ।

अशोक का शासन विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि उसने कलिंग युद्ध के बाद धम्म नीति अपनाई और समाज में नैतिकता व सह-अस्तित्व का प्रचार किया। इस काल में शासन प्रशासन, अधिकारी व्यवस्था, कर वसूली प्रणाली, सैन्य व्यवस्था, आदि भी परिपक्व रूप में देखने को मिलती हैं।

दूसरी ओर, गुप्त काल में भूमि अनुदान और कृषि आधारित समाज का विस्तार हुआ, जिससे किसान वर्ग की स्थिति में बदलाव आया। साथ ही, नगरों का विकास हुआ, जिनमें शिल्प, व्यापार और धार्मिक गतिविधियाँ केन्द्रित थीं। इस युग में शहरों की अर्थव्यवस्था, मुद्रा प्रणाली, और वाणिज्यिक नेटवर्क का भी उल्लेख मिलता है।

प्राचीन साहित्य (जैसे अर्थशास्त्र), शिलालेख, अभिलेख, तथा पुरातात्विक स्रोतों के माध्यम से इस काल के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। यह अध्याय यह दर्शाता है कि कैसे भारत में शासन व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और समाज समय के साथ विकसित हुए और उनका प्रभाव आज तक देखने को मिलता है।

सारांश (Summary)

1. महाजनपदों का उदय (Rise of Mahajanapadas)

  • छठी शताब्दी ईसा पूर्व में उत्तर भारत में अनेक महाजनपद अस्तित्व में आए, जैसे – मगध, कोशल, वज्जी, अवंति आदि।

  • इन महाजनपदों में राजतंत्र और गणराज्य दोनों प्रकार की शासन व्यवस्थाएँ थीं।

  • प्रत्येक महाजनपद का अपना सेनापति, कर व्यवस्था, और राजधानी होती थी।

  • राज्य विस्तार के लिए एक-दूसरे के साथ युद्ध होते रहते थे।

2. मगध का उत्कर्ष (Emergence of Magadha)

  • मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद बना क्योंकि:

    • इसकी भौगोलिक स्थिति अनुकूल थी – गंगा घाटी में स्थित होने से कृषि और व्यापार को लाभ हुआ।

    • लौह संसाधनों की उपलब्धता ने कृषि और युद्ध को बल दिया।

    • इसकी सेना मज़बूत और संगठित थी।

    • शासकों ने कुशल प्रशासन और राजस्व प्रणाली अपनाई।

3. मौर्य साम्राज्य की स्थापना और विस्तार (Mauryan Empire – Foundation and Expansion)

  • ई.पू. 321 में चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।

  • चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ की गई।

  • अशोक (273–232 ई.पू.) ने कलिंग युद्ध के बाद धम्म नीति को अपनाया और अहिंसा, करुणा, और धार्मिक सहिष्णुता को फैलाया।

  • मौर्य साम्राज्य भारत का पहला केंद्रीकृत साम्राज्य था।

4. अशोक का धम्म और उसका प्रचार (Ashoka’s Dhamma and its Propagation)

  • अशोक का धम्म नैतिकता पर आधारित था – इसमें सभी धर्मों के प्रति सम्मान, बुज़ुर्गों का आदर, सत्यवादिता, और अहिंसा पर बल दिया गया।

  • अशोक ने अपने आदेशों को शिलालेखों और स्तंभों पर खुदवाया, जिससे उनकी नीति पूरे साम्राज्य में प्रचारित हुई।

5. कृषि व्यवस्था और भूमि अनुदान (Agrarian Economy and Land Grants)

  • इस काल में कृषि मुख्य आर्थिक गतिविधि थी।

  • कृषकों को भूमि भू-स्वामी या राज्य द्वारा दी जाती थी, बदले में वे लगान (tax) देते थे।

  • समय के साथ-साथ भूमि अनुदान की परंपरा शुरू हुई – राज्य ब्राह्मणों या धार्मिक संस्थाओं को भूमि दान में देने लगे।

  • भूमि अनुदान से भूमि पर स्वामित्व का हस्तांतरण हुआ और नवीन सामाजिक वर्ग उत्पन्न हुए।

6. नगरों और व्यापार का विकास (Urbanization and Trade)

  • इस युग में कई प्रमुख नगर विकसित हुए जैसे – पाटलिपुत्र, काशी, तक्षशिला, मथुरा, उज्जैन, ताम्रलिप्ति आदि।

  • नगरों में व्यापार, शिल्प, और धार्मिक गतिविधियाँ प्रमुख थीं।

  • व्यापार के लिए मुद्राओं (coins) का प्रयोग बढ़ा, जिससे मुद्रा आधारित अर्थव्यवस्था का विकास हुआ।

  • स्थानीय और सुदूर व्यापार दोनों का विस्तार हुआ – कुछ व्यापारी रोमन साम्राज्य तक व्यापार करते थे।

7. धार्मिक एवं सांस्कृतिक विकास (Religious and Cultural Growth)

  • बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उदय हुआ, जिनकी शिक्षाएँ अहिंसा और तपस्या पर आधारित थीं।

  • इन धर्मों ने ब्राह्मणवादी परंपराओं को चुनौती दी और समानता की बात की।

  • बौद्ध विहार और जैन मंदिरों का निर्माण हुआ।

  • धर्मों के प्रचार-प्रसार से सांस्कृतिक एकता बढ़ी और भारत के बाहर भी सांस्कृतिक प्रभाव फैला।

8. स्रोत और ऐतिहासिक साक्ष्य (Sources and Evidences)

  • इस काल की जानकारी हमें विभिन्न स्रोतों से मिलती है:

    • साहित्यिक स्रोत – बौद्ध ग्रंथ (त्रिपिटक), जैन ग्रंथ, पुराण, महाभारत, अर्थशास्त्र

    • पारंपरिक अभिलेख – शिलालेख, ताम्रपत्र

    • पुरातात्त्विक साक्ष्य – सिक्के, मिट्टी के पात्र, नगरों के अवशेष

    • विदेशी विवरण – मेगस्थनीज़ की इंडिका आदि

9. गुप्तकाल की विशेषताएँ (Features of Gupta Period)

  • गुप्त वंश (ई. 319 – ई. 550) में कला, विज्ञान, धर्म और शिक्षा का विकास हुआ।

  • भूमि अनुदान प्रणाली अधिक प्रचलित हुई, जिससे भूमिपति वर्ग का उदय हुआ।

  • धार्मिक पुनर्जागरण के साथ-साथ संस्कृत भाषा का उत्कर्ष हुआ।

  • नगर व्यवस्था कमजोर हुई और ग्रामीण व्यवस्था सशक्त बनी।

10. निष्कर्ष (Conclusion)

  • इस कालखंड ने भारतीय इतिहास की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नींव रखी।

  • राज्य का केंद्रीकरण, कृषि का व्यावसायीकरण, नगरों का विकास और धार्मिक बहुलता इसकी मुख्य विशेषताएँ थीं।

  • यह युग परिवर्तन और पुनर्गठन का प्रतीक है, जिसने मध्यकालीन भारत के स्वरूप को प्रभावित किया।

यह अध्याय छठी शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईस्वी तक के भारत के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों का अध्ययन करता है। इस काल में महाजनपदों और राज्य व्यवस्था का उदय हुआ, जिसमें मगध सबसे प्रमुख राज्य बना। मौर्य साम्राज्य के गठन और अशोक के काल में राज्य के विस्तार, प्रशासन और धम्म नीति की व्याख्या की गई है। गुप्त काल में ग्राम आधारित समाज और भूमि अनुदानों का विस्तार हुआ, जिससे कृषक समाज और कृषि व्यवस्था में परिवर्तन आया। साथ ही इस समय नगरों का विकास, व्यापार, शिल्प और धार्मिक गतिविधियाँ भी उल्लेखनीय थीं।

शब्दार्थ (Word Meaning)

हिंदी शब्दअर्थ (Meaning in English)व्याख्या / प्रयोग
महाजनपदGreat Kingdomछठी शताब्दी ईसा पूर्व में उभरे 16 शक्तिशाली राज्य।
गणराज्यRepublicऐसी शासन प्रणाली जिसमें सत्ता कई लोगों के हाथ में होती है।
राजतंत्रMonarchyवह शासन व्यवस्था जहाँ राजा सर्वोच्च होता है।
भूमि अनुदानLand Grantराज्य द्वारा दी गई धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए भूमि।
करTaxराज्य द्वारा जनता से वसूली गई राशि।
प्रशासनAdministrationशासन व्यवस्था को लागू करने की प्रक्रिया।
धम्मDhamma (Moral Law)अशोक द्वारा प्रतिपादित नैतिक सिद्धांत।
मौर्य वंशMaurya Dynastyचंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित पहला केंद्रीकृत साम्राज्य।
शिलालेखInscriptionपत्थरों पर खुदे लेख - जो ऐतिहासिक जानकारी देते हैं।
मुद्राCoinव्यापार और लेनदेन में उपयोग की जाने वाली धातु की वस्तु।
शहरीकरणUrbanizationगाँवों से नगरों की ओर विकास की प्रक्रिया।
व्यापारीTraderवस्तुओं की खरीद-बिक्री करने वाला व्यक्ति।
पुरातत्त्वArchaeologyप्राचीन अवशेषों का अध्ययन।
सिक्काCoinप्राचीन काल में प्रयुक्त मुद्रा।
चंद्रगुप्त मौर्यChandragupta Mauryaमौर्य साम्राज्य का संस्थापक शासक।
अशोकAshokaमौर्य वंश का महान सम्राट = जिसने धम्म नीति अपनाई।
नगरCityव्यापार प्रशासन और धर्म का केंद्र।
किसानFarmerकृषि कार्य करने वाला व्यक्ति।
राजस्वRevenueसरकार की आय - मुख्यतः करों से प्राप्त।
साम्राज्यEmpireअनेक राज्यों पर एक ही शासक का अधिकार।
श्रम विभाजनDivision of Labourविभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न कार्यों का करना।
अर्थशास्त्रArthashastra (Economics/Statecraft)कौटिल्य द्वारा रचित एक ग्रंथ जो शासन और प्रशासन से जुड़ा है।
त्रिपिटकTripitakaबौद्ध धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथ।
ब्राह्मणBrahminवैदिक समाज में पुरोहित वर्ग।
विहारViharaबौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान।
स्तूपStupaबौद्ध धर्म से जुड़ी स्मारक संरचना।
व्यापार मार्गTrade Routeव्यापार के लिए प्रयुक्त होने वाले मार्ग।

माइंड मैप (Mind Map)

राजा, किसान और नगर
राजा, किसान और नगर

टाइमलाइन (Timeline)

वर्ष / कालप्रमुख घटना / विकास
600 BCE (ई.पू.)16 महाजनपदों का उदय – भारत के विभिन्न भागों में शक्तिशाली राज्यों की स्थापना।
6वीं – 5वीं सदी BCEबुद्ध और महावीर का जन्म - बौद्ध और जैन धर्म का उद्भव।
4th Century BCE (चतुर्थ सदी ई.पू.)मौर्य साम्राज्य की स्थापना – चंद्रगुप्त मौर्य ने मगध में मौर्य वंश की नींव रखी।
c. 300 BCEचाणक्य (कौटिल्य) द्वारा अर्थशास्त्र की रचना।
268 – 232 BCEसम्राट अशोक का शासनकाल – कलिंग युद्ध और धम्म नीति का प्रचार।
3rd Century BCE (तृतीय सदी ई.पू.)अशोक के शिलालेखों की रचना और बौद्ध धर्म का प्रसार दक्षिण भारत व एशिया में।
2nd Century BCE (द्वितीय सदी ई.पू.)मौर्य साम्राज्य का पतन; शुंग और सातवाहन वंश का उदय।
1st Century BCE – 1st Century CEशहरीकरण में वृद्धि – नगरों का विकास व्यापार का विस्तार।
1st Century CEरोमन साम्राज्य से व्यापार – भारत से मसाले रेशम और हाथी दाँत निर्यात।
2nd Century CEकुषाण साम्राज्य का विकास – कनिष्क का शासन गंधार कला का उत्कर्ष।
3rd Century CEगुप्त वंश का उदय – राजनीतिक एकता और आर्थिक समृद्धि की वापसी।
4th – 5th Century CEसम्राट चंद्रगुप्त I - समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त II का शासन – स्वर्णकाल की शुरुआत।
c. 400 – 500 CEधार्मिक स्थलों का निर्माण, व्यापारिक नगरों की वृद्धि (जैसे – पाटलिपुत्र, उज्जैन, ताम्रलिप्त)।
6th Century CEगुप्त साम्राज्य का पतन; हर्षवर्धन के शासन की शुरुआत।

मैप वर्क (Map Works)

प्राचीन भारत के भूगोल से जोड़ने के लिए निम्नलिखित नक्शा कार्य (Map Work) कराना अत्यंत उपयोगी होता है। यह ऐतिहासिक स्थानों, नगरों, साम्राज्यों और व्यापार मार्गों की भौगोलिक समझ को बढ़ाता है।

🗺️ प्रमुख स्थल और उनका ऐतिहासिक महत्व

स्थानवर्तमान राज्यऐतिहासिक महत्त्व
पाटलिपुत्र (Patliputra)बिहारमौर्य वंश की राजधानी, राजनीतिक और प्रशासनिक केंद्र
मगध (Magadha)बिहार16 महाजनपदों में एक शक्तिशाली राज्य
कौशांबी (Kaushambi)उत्तर प्रदेशएक प्रमुख नगर और बौद्ध धर्म का केंद्र
वाराणसी (Varanasi)उत्तर प्रदेशव्यापारिक नगर, धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र
उज्जैन (Ujjain)मध्य प्रदेशशुंग और गुप्त साम्राज्य का प्रमुख नगर
तक्षशिला (Taxila)पाकिस्तानशिक्षा और व्यापार का प्रमुख केंद्र
शाचीनि (Shravasti)उत्तर प्रदेशबुद्ध के प्रवचन स्थल
ताम्रलिप्ति (Tamralipti)पश्चिम बंगालपूर्वी समुद्री व्यापार का प्रमुख बंदरगाह
मथुरा (Mathura)उत्तर प्रदेशव्यापारिक नगर और कला का केंद्र
अमरावती (Amaravati)आंध्र प्रदेशबौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र; स्थापत्य और मूर्तिकला
विदिशा (Vidisha)मध्य प्रदेशव्यापार और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र
बारूची (Bharuch)गुजरातपश्चिमी भारत का प्राचीन व्यापार बंदरगाह
बोधगया (Bodh Gaya)बिहारबुद्ध को ज्ञान प्राप्ति का स्थान
राजगृह (Rajgir)बिहारबिंबिसार और अजातशत्रु जैसे मगध के शासकों की राजधानी

 

  1. मैप में चिन्हित करें –
    उपरोक्त स्थानों को भारत के एक प्राचीन नक्शे पर चिन्हित करें।

  2. रंग द्वारा वर्गीकरण करें –

    • मौर्य साम्राज्य के केंद्र: 🔴 लाल

    • बौद्ध स्थलों को: 🟢 हरा

    • व्यापारिक नगरों को: 🔵 नीला

    • बंदरगाह शहरों को: 🟠 नारंगी

  3. प्रश्न पूछें –

    • “मौर्य साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी और क्यों?”

    • “बौद्ध धर्म का विस्तार किन क्षेत्रों में हुआ?”

🎯 शिक्षण उद्देश्य (Teaching Objectives)

  • छात्र प्राचीन भारत की राजनीतिक, धार्मिक और व्यापारिक संरचना को स्थान-आधारित दृष्टिकोण से समझ सकें।

  • ऐतिहासिक स्थलों के वर्तमान स्थानों से जुड़ाव विकसित करें।

  • सांस्कृतिक व व्यापारिक गतिविधियों के भूगोलिक विस्तार को स्पष्ट करें।

मैप प्रैक्टिस (Map Practice)

पाठ पढ़ने के बाद समझ को मजबूत करने और याददाश्त को स्थायी बनाने के लिए निम्नलिखित गतिविधियाँ करवाई जानी चाहिए:

🧩स्थान पहचानो (Identify the Location)

छात्रों को एक खाली भारत का प्राचीन नक्शा (Outline Map of Ancient India) दिया जाए और निर्देश दिया जाए कि वे निम्नलिखित स्थानों को सही-सही चिन्हित करें :-

क्रमांकस्थल का नामपहचान बिंदु
1पाटलिपुत्रगंगा नदी के तट पर स्थित
2तक्षशिलासिंधु नदी के पास, गांधार क्षेत्र
3मथुरायमुना नदी के किनारे, उत्तर भारत में
4उज्जैनमध्य भारत में, क्षिप्रा नदी के पास
5ताम्रलिप्तिबंगाल की खाड़ी के तट पर
6बोधगयागया ज़िले में, फाल्गु नदी के किनारे
7कौशांबीयमुना नदी के किनारे, प्रयागराज के पास
8विदिशामध्य प्रदेश में, बेतवा नदी के पास
9अमरावतीकृष्णा नदी के किनारे, दक्षिण भारत
10राजगृहबिहार में, पर्वतीय क्षेत्र

🧭 स्थान और उनका महत्त्व मिलाओ (Match the Columns)

स्थान (A)महत्त्व (B)
पाटलिपुत्रमौर्य साम्राज्य की राजधानी
तक्षशिलाशिक्षा और व्यापार केंद्र
मथुराव्यापार और सांस्कृतिक केंद्र
ताम्रलिप्तिप्रमुख बंदरगाह
अमरावतीबौद्ध धर्म और मूर्तिकला केंद्र
उज्जैनगुप्त शासन का प्रमुख नगर

🔁 क्लास में अभ्यास: बच्चों से कॉलम A और B को मिलवाने को कहें और उन्हें कारण बताने को कहें कि क्यों इन स्थानों का ऐतिहासिक महत्त्व है।

🗺️ नक्शे में रंग भरो (Color the Zones)

गुणवत्ता बढ़ाने हेतु रंग भरवाना उपयोगी है
छात्रों को निर्देश दें कि वे विभिन्न रंगों का प्रयोग करके निम्न क्षेत्रों को चिन्हित करें:

  • मौर्य साम्राज्य का विस्तार (लाल रंग)

  • व्यापार मार्ग (नीली लकीर)

  • बौद्ध तीर्थ स्थल (हरे गोले)

  • बंदरगाह शहर (नारंगी तारे)

📌 प्रश्नोत्तरी आधारित गतिविधि (Quiz Based Map Work)

छात्रों से निम्न प्रश्न पूछे जाएँ और उन्हें उत्तर को नक्शे में चिन्हित करना हो:

  1. वह नगर जहाँ सम्राट अशोक का एक प्रमुख स्तंभ लेख मिला?

  2. गंगा और यमुना के संगम के पास स्थित महत्वपूर्ण पुरातात्विक नगर कौन-सा है?

  3. मौर्य साम्राज्य के समय मुख्य समुद्री व्यापारिक बंदरगाह कौन-सा था?

🎯 शिक्षण उद्देश्य (Learning Objective)

  • स्थानिक (spatial) समझ विकसित करना।

  • ऐतिहासिक स्थलों की भौगोलिक स्थिति स्मरण रखना।

  • भारत के प्राचीन राजनीतिक, धार्मिक और व्यापारिक केंद्रों की पहचान करना।

वैकल्पिक प्रश्न (MCQs) – उत्तर व व्याख्या

प्रश्न 1. प्राचीन भारत में “महाजनपदों” का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है?

A. महाभारत
B. ऋग्वेद
C. अंगुत्तर निकाय
D. अर्थशास्त्र

सही उत्तर: C). अंगुत्तर निकाय
व्याख्या: बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में 16 महाजनपदों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। ये शक्तिशाली राज्य 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में उभरे थे और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फैले थे।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किसने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की?

A. समुद्रगुप्त
B. अशोक
C. चंद्रगुप्त मौर्य
D. बिन्दुसार

सही उत्तर: C). चंद्रगुप्त मौर्य
व्याख्या: चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से नंद वंश को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी (c. 321 BCE)। यह भारत का पहला केंद्रीकृत साम्राज्य था।

प्रश्न 3. सम्राट अशोक के धर्म प्रचार का मुख्य उद्देश्य क्या था?

A. युद्ध को बढ़ावा देना
B. कर संग्रह करना
C. नैतिक मूल्यों का प्रचार
D. सैन्य विस्तार करना

सही उत्तर: C). नैतिक मूल्यों का प्रचार
व्याख्या: कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने अहिंसा, करुणा, और धम्म (नैतिक जीवन) को अपनाया और शिलालेखों के माध्यम से प्रचार किया।

प्रश्न 4. ‘अर्थशास्त्र’ ग्रंथ के रचयिता कौन थे?

A. कौटिल्य (चाणक्य)
B. अश्वघोष
C. कालिदास
D. पतंजलि

सही उत्तर: A). कौटिल्य (चाणक्य)
व्याख्या: ‘अर्थशास्त्र’ एक प्राचीन ग्रंथ है जो राज्यcraft, प्रशासन, कर प्रणाली और आर्थिक नीतियों पर केंद्रित है। इसके रचयिता चाणक्य (कौटिल्य) थे, जो चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार थे।

प्रश्न 5. ताम्रलिप्ति किस रूप में प्रसिद्ध था?

A. धार्मिक स्थल
B. शिक्षा केंद्र
C. बंदरगाह नगर
D. सैनिक छावनी

सही उत्तर: C). बंदरगाह नगर
व्याख्या: ताम्रलिप्ति बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित एक प्रमुख बंदरगाह नगर था जहाँ से समुद्री व्यापार विशेषकर दक्षिण एशिया और रोम के साथ होता था।

प्रश्न 6. गुप्त वंश के किस शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

A. समुद्रगुप्त
B. चंद्रगुप्त प्रथम
C. चंद्रगुप्त द्वितीय
D. स्कंदगुप्त

सही उत्तर: A). समुद्रगुप्त
व्याख्या: समुद्रगुप्त की विजयों और सैन्य विस्तार के कारण इतिहासकारों ने उन्हें ‘भारत का नेपोलियन’ कहा। उनके प्रयाग प्रशस्ति शिलालेख में उनकी कई विजय अभियानों का वर्णन है।

प्रश्न 7. बौद्ध धर्म के किस स्मारक को “स्तूप” कहा जाता है?

A. पुस्तकालय
B. विहार
C. समाधि या स्मृति स्तंभ
D. मंदिर

सही उत्तर: C). समाधि या स्मृति स्तंभ
व्याख्या: स्तूप बौद्ध धर्म में एक स्मारक संरचना होती है जो बुद्ध के अवशेषों या उनसे जुड़ी घटनाओं की स्मृति में बनाई जाती थी। प्रसिद्ध स्तूपों में सारनाथ और सांची प्रमुख हैं।

प्रश्न 8. किस नगर को मौर्य साम्राज्य की राजधानी माना जाता था?

A. तक्षशिला
B. उज्जैन
C. पाटलिपुत्र
D. विदिशा

सही उत्तर: C). पाटलिपुत्र
व्याख्या: पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) मौर्य साम्राज्य की राजधानी था। यह प्रशासन, व्यापार और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था।

प्रश्न 9. “श्रम विभाजन” किस बात को दर्शाता है?

A. धन का विभाजन
B. श्रमिकों का वर्गीकरण
C. कार्यों का बाँटना
D. कर व्यवस्था

सही उत्तर: C). कार्यों का बाँटना
व्याख्या: श्रम विभाजन का अर्थ होता है कि समाज में विभिन्न कार्यों को अलग-अलग वर्गों द्वारा किया जाना। इससे कार्य की दक्षता और उत्पादकता बढ़ती है।

प्रश्न 10. प्राचीन भारत में व्यापार के लिए किसका उपयोग होता था?

A. अनाज
B. भूमि
C. मुद्रा (सिक्के)
D. सेवाएँ

सही उत्तर: C). मुद्रा (सिक्के)
व्याख्या: मौर्य काल में धातु के सिक्कों का प्रचलन था, जो व्यापार और करों में भुगतान हेतु प्रयोग किए जाते थे। punch-marked coins (छेदित मुद्रा) प्रमुख थीं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (30–40 शब्दों में)

प्रश्न 1. महाजनपद किसे कहते हैं?

उत्तर: महाजनपद 600 ईसा पूर्व में उभरे 16 शक्तिशाली राज्यों को कहा जाता है। ये राज्य राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक दृष्टि से मजबूत थे। इनमें मगध, कोशल, अवंती और वत्स प्रमुख थे।

प्रश्न 2. अशोक ने धम्म नीति क्यों अपनाई?

उत्तर: कलिंग युद्ध की भीषण हिंसा और जनहानि से प्रभावित होकर अशोक ने धम्म नीति अपनाई। यह नीति करुणा, अहिंसा, सहिष्णुता और सत्य पर आधारित थी, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना हो।

प्रश्न 3. पंचमार्क सिक्के क्या थे?

उत्तर: पंचमार्क सिक्के प्राचीन भारत में प्रयुक्त धातु के सिक्के थे जिन पर विभिन्न चिन्हों की छपाई होती थी। ये व्यापार और कर भुगतान में प्रयोग होते थे और मौर्य काल में प्रचलित थे।

प्रश्न 4. गुप्त काल को “स्वर्ण युग” क्यों कहा जाता है?

उत्तर: गुप्त काल को “स्वर्ण युग” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस काल में साहित्य, विज्ञान, कला, गणित और संस्कृति का अद्वितीय विकास हुआ। यह काल आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक स्थायित्व का प्रतीक था।

प्रश्न 5. अर्थशास्त्र ग्रंथ का महत्व क्या है?

उत्तर: अर्थशास्त्र कौटिल्य द्वारा रचित एक प्रसिद्ध ग्रंथ है जिसमें राज्य संचालन, कर व्यवस्था, विदेश नीति और युद्धनीति पर विस्तृत जानकारी है। यह मौर्य प्रशासन का प्रमुख स्त्रोत माना जाता है।

प्रश्न 6.गंधार कला किसके शासनकाल में विकसित हुई?

उत्तर: गंधार कला मुख्यतः कुषाण शासक कनिष्क के समय में विकसित हुई। यह कला शैली बौद्ध मूर्तियों में यूनानी प्रभाव को दर्शाती है और इसमें बुद्ध की मूर्तियाँ अत्यंत सुंदरता से उकेरी गई हैं।

प्रश्न 7. सम्राट समुद्रगुप्त को “भारत का नेपोलियन” क्यों कहा गया?

उत्तर: समुद्रगुप्त ने अनेक विजय अभियान किए और बड़े भूभाग पर नियंत्रण स्थापित किया। उनकी युद्ध कुशलता और राजनीतिक विस्तार के कारण इतिहासकार विंसेंट स्मिथ ने उन्हें “भारत का नेपोलियन” कहा।

प्रश्न 8. प्राचीन भारत में नगरों का क्या महत्व था?

उत्तर: प्राचीन नगर व्यापार, शिल्प और प्रशासन के केंद्र होते थे। पाटलिपुत्र, उज्जैन, ताम्रलिप्त जैसे नगरों में व्यापारिक गतिविधियाँ, धार्मिक स्थल और राजकीय संस्थाएँ मौजूद थीं।

प्रश्न 9. ताम्रलिप्त क्यों प्रसिद्ध था?

उत्तर: ताम्रलिप्त एक प्रमुख समुद्री बंदरगाह नगर था, जहाँ से दक्षिण और पश्चिम एशिया के देशों से व्यापार होता था। यह बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित था और व्यापारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण था।

प्रश्न 10. चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना कैसे की?

उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से नंद वंश को हराकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। उन्होंने मगध को केंद्र बनाकर एक सशक्त प्रशासनिक व्यवस्था खड़ी की।

लघु उत्तरीय प्रश्न (60–80 शब्दों में)

प्रश्न 1. महाजनपदों के उदय के क्या कारण थे?

उत्तर: महाजनपदों का उदय छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ जब जनजातीय समाज से आगे बढ़ते हुए समाज में स्थायी कृषि, व्यापार और शहरीकरण की शुरुआत हुई। लोहे के उपकरणों के प्रयोग से कृषि उत्पादकता बढ़ी, जिससे स्थायी जनसंख्या केंद्र बने। आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और राजनीतिक संगठन के रूप में राज्य की आवश्यकता ने महाजनपदों को जन्म दिया। इन राज्यों में सेना, कर व्यवस्था और प्रशासनिक ढाँचा विकसित हुआ।

प्रश्न 2. अशोक के धम्म की विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर: अशोक का धम्म कोई नया धर्म नहीं था, बल्कि यह एक नैतिक जीवनशैली थी जो सभी धर्मों को समान सम्मान देती थी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ थीं – अहिंसा, सत्य, करुणा, माता-पिता और गुरु का आदर, शीलाचार का पालन, सेवकों के साथ अच्छा व्यवहार और प्रजा का कल्याण। अशोक ने अपने धम्म के प्रचार के लिए शिलालेखों, धम्म यात्राओं और धम्म महामात्रों की नियुक्ति का सहारा लिया।

प्रश्न 3. गुप्तकालीन समाज और संस्कृति की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का “स्वर्ण युग” कहा जाता है। इस काल में समाज में वर्ण व्यवस्था मजबूत थी, परंतु धार्मिक सहिष्णुता भी थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों की स्पष्ट भूमिकाएँ थीं। बौद्ध, जैन और वैदिक धर्मों का शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व था। संस्कृत भाषा और साहित्य का उत्कर्ष हुआ। कालिदास, आर्यभट और वराहमिहिर जैसे विद्वान इस काल में हुए। कला, वास्तुकला और विज्ञान में बड़ी उन्नति हुई।

प्रश्न 4. प्राचीन भारत में व्यापार की क्या भूमिका थी?

उत्तर: प्राचीन भारत में व्यापार अर्थव्यवस्था की रीढ़ था। स्थल और समुद्री दोनों मार्गों से व्यापार होता था। भारत से रेशम, मसाले, कपड़ा, हाथी दाँत और कीमती पत्थर निर्यात किए जाते थे। रोमन साम्राज्य, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया से व्यापारिक संबंध थे। ताम्रलिप्त, भरुच, पाटलिपुत्र जैसे नगर व्यापारिक केंद्र बने। व्यापार ने नगरों के विकास, मुद्रा के प्रयोग और समाज के शहरीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 5. चंद्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था की विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य ने एक केंद्रीकृत और संगठित प्रशासनिक प्रणाली स्थापित की थी। चाणक्य के मार्गदर्शन में उन्होंने कर व्यवस्था, सेना, गुप्तचर तंत्र और न्याय प्रणाली को मजबूत किया। राजधानी पाटलिपुत्र से सम्राट सीधे शासन करता था। प्रदेशों को प्रांतीय शासकों द्वारा नियंत्रित किया जाता था। ‘अर्थशास्त्र’ ग्रंथ में प्रशासन के नियमों का विस्तृत वर्णन है। मौर्य शासन में कृषि, वाणिज्य और उद्योग को बढ़ावा दिया गया।

प्रश्न 6. शिलालेखों का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?

उत्तर: शिलालेख प्राचीन भारत के इतिहास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। ये पत्थरों, स्तंभों और गुफाओं पर खुदे होते हैं और इनमें शासकों की विजय, दान, धार्मिक आदेश और प्रशासनिक घोषणाएँ मिलती हैं। अशोक के शिलालेखों से हमें उनके धम्म नीति, प्रशासनिक दृष्टिकोण और बौद्ध धर्म के प्रचार के बारे में जानकारी मिलती है। इनसे भाषा, लिपि, समाज, धर्म और राजनीति की स्थिति का भी पता चलता है।

प्रश्न 7. बौद्ध विहारों की क्या भूमिका थी?

उत्तर: बौद्ध विहार बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थल होते थे जहाँ वे ध्यान, अध्ययन और धर्मचर्चा करते थे। ये शैक्षणिक केंद्रों के रूप में भी कार्य करते थे, जहाँ से बौद्ध धर्म का प्रचार होता था। प्रसिद्ध विहार जैसे नालंदा, तक्षशिला आदि उच्च शिक्षा के केंद्र थे। इन विहारों में पुस्तकालय, सभा कक्ष और छात्रावास जैसी सुविधाएँ होती थीं। बौद्ध विहारों ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 8. अर्थशास्त्र ग्रंथ का महत्त्व क्या है?

उत्तर: ‘अर्थशास्त्र’ चाणक्य (कौटिल्य) द्वारा रचित एक राजनैतिक और आर्थिक ग्रंथ है। इसमें शासन व्यवस्था, कर संग्रह, जासूसी तंत्र, सेना, कृषि, व्यापार, कानून और न्याय प्रणाली का विस्तृत वर्णन है। यह मौर्य काल की शासन व्यवस्था को समझने का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। अर्थशास्त्र के माध्यम से यह ज्ञात होता है कि मौर्य शासक एक कुशल और कठोर प्रशासनिक तंत्र चलाते थे जो राज्य के हित और जनता के कल्याण को ध्यान में रखता था।

प्रश्न 9. गणराज्य और राजतंत्र में क्या अंतर था?

उत्तर: गणराज्य वह शासन व्यवस्था थी जिसमें सत्ता कई लोगों या सभा के हाथ में होती थी, जैसे लिच्छवी गणराज्य। इसमें राजा का चुनाव होता था और निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते थे। वहीं, राजतंत्र में सत्ता एक व्यक्ति अर्थात राजा के पास होती थी और शासन वंशानुगत होता था। जैसे मगध राज्य एक राजतंत्र था। इस प्रकार, गणराज्य लोकतांत्रिक और सामूहिक निर्णय आधारित होते थे, जबकि राजतंत्र केंद्रीकृत और एकनायक थे।

प्रश्न 10. धार्मिक सहिष्णुता गुप्त काल की विशेषता क्यों मानी जाती है?

उत्तर: गुप्त काल में वैदिक धर्म को शासकीय संरक्षण मिला, परंतु अन्य धर्मों – जैसे बौद्ध और जैन – को भी सम्मान और स्थान प्राप्त था। अनेक धर्मों के मंदिर, स्तूप और विहार इस काल में बनाए गए। शासक स्वयं वैदिक परंपरा से जुड़े थे, फिर भी उन्होंने सभी धर्मों के तीर्थस्थलों और विद्वानों को संरक्षण दिया। इससे पता चलता है कि यह काल धार्मिक सहिष्णुता, सौहार्द और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (140–180 शब्दों में)

प्रश्न 1. महाजनपद क्या थे? इनके प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: महाजनपद छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में उभरे वे बड़े और शक्तिशाली राज्य थे जो जनपदों के विकास से बने थे। पहले छोटे-छोटे जन समुदाय जनपद कहलाते थे, परंतु जैसे-जैसे जनसंख्या, कृषि, व्यापार और सैन्य शक्ति बढ़ी, वैसे-वैसे ये जनपद विकसित होकर महाजनपद कहलाए। इनकी संख्या लगभग 16 मानी जाती है।
महाजनपदों की प्रमुख विशेषताएँ थीं:
(1) एक सशक्त शासन व्यवस्था – राजा या सभा द्वारा शासित।
(2) कर व्यवस्था – किसानों, शिल्पकारों और व्यापारियों से कर वसूला जाता था।
(3) स्थायी सेना – राजा अपनी रक्षा हेतु बड़ी सेना रखते थे।
(4) किलेबंदी – राजधानी नगरों की चारों ओर दीवारें बनती थीं।
(5) कृषि और व्यापार – आय का मुख्य स्रोत था।
प्रसिद्ध महाजनपद थे – मगध, कौशल, वत्स, अवंति, आदि। इन महाजनपदों ने भारत में प्रारंभिक शासन प्रणाली, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संगठन की नींव रखी।

प्रश्न 2. मौर्य साम्राज्य की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: मौर्य साम्राज्य भारत का पहला केंद्रीकृत और विशाल साम्राज्य था जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 321 ई.पू. में की थी। इस साम्राज्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(1) केंद्रित प्रशासन – सत्ता का केंद्र राजा था और पूरी शासन व्यवस्था राजा के अधीन कार्य करती थी।
(2) प्रशासनिक विभाजन – साम्राज्य को प्रांतों, जिलों और ग्रामों में बाँटा गया।
(3) शक्तिशाली सेना – चंद्रगुप्त और उसके उत्तराधिकारियों ने एक विशाल सेना बनाए रखी।
(4) चाणक्य का योगदान – चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ के माध्यम से शासन की नीतियाँ निर्धारित कीं।
(5) अशोक का धम्म – अशोक के शासनकाल में कलिंग युद्ध के बाद धम्म नीति के माध्यम से नैतिकता और अहिंसा को बढ़ावा दिया गया।
(6) संचार और व्यापार – सड़कों और व्यापार मार्गों का निर्माण हुआ।
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास में राजनीतिक एकता, कुशल प्रशासन और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक बनकर उभरा।

प्रश्न 3. सम्राट अशोक के धम्म की नीतियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: सम्राट अशोक मौर्य वंश के महान शासक थे जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद हिंसा त्याग कर धम्म की नीति को अपनाया। अशोक का धम्म कोई नया धर्म नहीं था, बल्कि नैतिक जीवन, दया, सहिष्णुता और अहिंसा पर आधारित आचार संहिता थी।
धम्म के मुख्य सिद्धांत थे:
(1) सभी जीवों के प्रति करुणा और अहिंसा।
(2) माता-पिता, गुरु और वृद्धजनों का सम्मान।
(3) पड़ोसियों और सेवकों के साथ सद्व्यवहार।
(4) सभी धर्मों का सम्मान और सहिष्णुता।
(5) सत्यवादिता और चोरी से दूर रहना।
अशोक ने अपने धम्म को प्रचारित करने के लिए शिलालेखों और स्तंभ लेखों का सहारा लिया। धम्म महापात्र नामक अधिकारियों की नियुक्ति की गई जो प्रजा में धम्म का प्रचार करते थे। इस नीति से समाज में नैतिकता, सहिष्णुता और शांति का वातावरण बना। अशोक का धम्म न केवल भारत में बल्कि श्रीलंका और अन्य एशियाई देशों में भी बौद्ध धर्म के प्रचार का माध्यम बना।

प्रश्न 4. गुप्त साम्राज्य को ‘भारत का स्वर्णकाल’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्णकाल’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय भारत ने राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान, धर्म और संस्कृति के क्षेत्रों में अद्वितीय प्रगति की। इस काल में गुप्त शासकों जैसे – चंद्रगुप्त I, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त II (विक्रमादित्य) के अधीन एक स्थिर और सशक्त शासन रहा।
राजनीतिक एकता और सुरक्षा के कारण कृषि और व्यापार में वृद्धि हुई। इस समय में आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे महान वैज्ञानिक और कालिदास जैसे कवि हुए। नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा केंद्रों की स्थापना हुई। गुप्त काल की कला – विशेषकर मृत्तिका मूर्तियाँ, चित्रकला और स्थापत्य कला – अत्यंत विकसित थी।
हिंदू धर्म को प्रमुखता मिली, लेकिन बौद्ध और जैन धर्म को भी सम्मान मिला। धार्मिक सहिष्णुता की भावना थी। सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था संतुलित थी। इस प्रकार गुप्त काल हर क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक था, इसीलिए इसे भारत का स्वर्णकाल कहा जाता है।

प्रश्न 5. प्राचीन भारत में व्यापार की क्या भूमिका थी?

उत्तर: प्राचीन भारत में व्यापार एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि थी जो आंतरिक तथा बाह्य रूप से सम्पन्न होती थी। कृषि, शिल्प और धातु कार्यों में उत्पादन बढ़ने के साथ वस्तुओं का लेन-देन भी बढ़ा। व्यापारी वर्ग नगरों और बंदरगाहों के माध्यम से देश-विदेश में वस्तुएँ भेजते थे।
प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ थीं – मसाले, कपड़ा, सोना, हाथीदाँत, बहुमूल्य पत्थर आदि। भारत से रोमन साम्राज्य तक व्यापार होता था। व्यापार मार्गों – स्थल और समुद्री – का विशेष महत्त्व था। भारत के प्रमुख व्यापारिक नगरों में पाटलिपुत्र, उज्जैन, ताम्रलिप्त, भरुच आदि शामिल थे।
राजा व्यापारी कारवाँ को सुरक्षा देते थे और कर वसूलते थे। व्यापार से राज्य की आय बढ़ती थी। व्यापार ने न केवल आर्थिक समृद्धि बढ़ाई, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी संभव किया। इस प्रकार व्यापार प्राचीन भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में भी योगदान देता था।

रिवीजन शीट (Revision Sheet)

🔹 महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ

वर्ष / कालप्रमुख घटना / विकास
600 BCE16 महाजनपदों का उदय
563 BCEगौतम बुद्ध का जन्म
540 BCEमहावीर स्वामी का जन्म
321 BCEचंद्रगुप्त मौर्य द्वारा मौर्य साम्राज्य की स्थापना
268–232 BCEसम्राट अशोक का शासनकाल, धम्म नीति का प्रचार
2nd Century BCEमौर्य साम्राज्य का पतन, शुंग व सातवाहन वंश का उदय
78 CEशक संवत की शुरुआत
2nd Century CEकनिष्क का शासनकाल, गंधार कला का उत्कर्ष
320 CEगुप्त वंश का उदय
335–380 CEसमुद्रगुप्त का शासनकाल
380–415 CEचंद्रगुप्त II (विक्रमादित्य) का शासनकाल
शासकयोगदान / उपलब्धियाँ
चंद्रगुप्त मौर्यप्रथम अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना
चाणक्य‘अर्थशास्त्र’ की रचना, मौर्य शासन का मार्गदर्शक
अशोककलिंग युद्ध के बाद धम्म नीति का प्रचार, शिलालेखों की रचना
कनिष्कबौद्ध धर्म का विस्तार, गंधार कला को संरक्षण
समुद्रगुप्तप्रयाग प्रशस्ति, दिग्विजय अभियान, सांस्कृतिक संरक्षण
चंद्रगुप्त IIगुप्त काल का स्वर्ण युग, विज्ञान व साहित्य का उत्कर्ष
  • महाजनपद: बड़े राज्य, जैसे मगध, कौशल, वत्स, अवंति

  • धम्म: अशोक द्वारा प्रचारित नैतिक जीवन की नीति

  • गंधार कला: यूनानी-बौद्ध शैली में मूर्तिकला

  • प्रशस्ति: शासकों की प्रशंसा में लिखे गए अभिलेख

  • नगरकरण: नगरों का विकास, व्यापारिक केंद्रों की स्थापना

🔹 प्रमुख नगर और स्थान

नगर / स्थानमहत्त्व
पाटलिपुत्रमौर्य और गुप्त काल की राजधानी
तक्षशिलाशिक्षा केंद्र, कनिष्क काल में बौद्ध अध्ययन स्थल
उज्जैनगुप्त काल में प्रमुख व्यापारिक और धार्मिक नगर
ताम्रलिप्तपूर्वी तट का प्रमुख बंदरगाह नगर
धर्म / दर्शनविशेषताएँ
बौद्ध धर्मबुद्ध के 8 मार्ग, अहिंसा, निर्वाण की प्राप्ति
जैन धर्ममहावीर स्वामी, अहिंसा और तपस्या
ब्राह्मण धर्मवैदिक परंपरा, वेदों पर आधारित
  1. महाजनपद कितने थे? – 16

  2. मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की? – चंद्रगुप्त मौर्य

  3. धम्म नीति का प्रचार किसने किया? – अशोक

  4. गुप्त काल को क्या कहा जाता है? – भारत का स्वर्णकाल

  5. गंधार कला किस काल में विकसित हुई? – कुषाण काल

🔹 एक नजर में – महत्वपूर्ण योगदान

  • चाणक्य – प्रशासनिक मार्गदर्शन

  • अशोक – नैतिक शासन का उदाहरण

  • कनिष्क – कला और धर्म का पोषक

  • समुद्रगुप्त – भारत का नेपोलियन

  • कालिदास – श्रेष्ठ संस्कृत कवि

  • आर्यभट्ट – गणित और खगोलशास्त्र में योगदान

वर्कशीट (Worksheet) - Test (राजा, किसान और नगर - प्रारंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ (ई.पू. 600 – ई. 600))

खंड – A. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs)

प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए :-

  1. मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
    (A) समुद्रगुप्त
    (B) अशोक
    (C) चंद्रगुप्त मौर्य
    (D) बिंदुसार
    ➤ उत्तर: _______________

  2. अशोक ने किस युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया था?
    (A) पाटलिपुत्र युद्ध
    (B) कलिंग युद्ध
    (C) उज्जैन युद्ध
    (D) मगध युद्ध
    ➤ उत्तर: _______________

  3. कनिष्क किस वंश से संबंधित था?
    (A) मौर्य
    (B) गुप्त
    (C) शुंग
    (D) कुषाण
    ➤ उत्तर: _______________

  4. ‘अर्थशास्त्र’ नामक पुस्तक के रचयिता कौन थे?
    (A) भास
    (B) चाणक्य
    (C) कालिदास
    (D) आर्यभट्ट
    ➤ उत्तर: _______________

खंड – B. रिक्त स्थान भरिए (Fill in the Blanks)
  1. चंद्रगुप्त मौर्य का मार्गदर्शक ______________ था।

  2. _______________ को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।

  3. मौर्य साम्राज्य की राजधानी ______________ थी।

  4. _______________ गुप्त काल का प्रसिद्ध कवि था।

खंड – C. मिलान कीजिए (Match the Columns)
स्तम्भ Aस्तम्भ B
1. अशोक(A) गंधार कला
2. कनिष्क(B) धम्म नीति
3. समुद्रगुप्त(C) विक्रमादित्य
4. चंद्रगुप्त II(D) प्रयाग प्रशस्ति

उत्तर मिलाएँ:
1 → _____, 2 → _____, 3 → _____, 4 → _____

खंड – D. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (20–30 शब्दों में उत्तर दें)
  1. महाजनपद क्या थे? उदाहरण सहित समझाइए।
    ✍️ उत्तर: _______________________________________________________

        2.अशोक की धम्म नीति के मुख्य तत्त्व क्या थे?
            ✍️ उत्तर: _______________________________________________________

खंड – E. लघु उत्तरीय प्रश्न (40–60 शब्दों में उत्तर दें)
  1. मौर्य शासन की प्रशासनिक व्यवस्था की दो विशेषताएँ लिखिए।
    ✍️ उत्तर: _______________________________________________________

         2. गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
            ✍️ उत्तर: _______________________________________________________

खंड – F. मानचित्र कार्य (Map Work)

नक्शे पर निम्नलिखित स्थानों को दर्शाइए :-

  1. पाटलिपुत्र

  2. उज्जैन

  3. तक्षशिला

  4. कलिंग

  5. मथुरा

🗺️ [आप चाहें तो एक प्रिंटेड नक्शा संलग्न करें या विद्यार्थियों को स्केच बनाने दें]

खंड – G. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (120–150 शब्दों में उत्तर दें)
  1. अशोक के शासन की विशेषताएँ और उसका बौद्ध धर्म में योगदान लिखिए।
    ✍️ उत्तर:

शिक्षक के लिए निर्देश (For Teacher’s Use Only)
मूल्यांकन मापदंडपूर्णांकप्राप्तांक
विषयवस्तु की समझ5 
तथ्यात्मक शुद्धता5 
भाषा एवं प्रस्तुति5 
कुल15 

✒️ शिक्षक की टिप्पणी: _______________________________________

आपकी राय क्या है?

क्या आप भी मानते हैं कि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता?
क्या आपने भी कभी अपनी गलतियों से कुछ सीखा है जो आपको और मजबूत बना गया?

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