विचारक, विश्वास और इमारतें – सांस्कृतिक विकास (ई. पू. 600 – ई. 600) Thinkers, Beliefs and Buildings — Cultural Developments (600 BCE–600 CE)
इस अध्याय में 600 ईसा पूर्व से 600 ईस्वी तक की समयावधि में भारतीय उपमहाद्वीप में हुए गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक परिवर्तनों की चर्चा की गई है। इस काल को “दर्शन और आध्यात्मिक खोजों का युग” माना जाता है। इसी समय गौतम बुद्ध और महावीर जैसे महान चिंतक सामने आए, जिन्होंने क्रमशः बौद्ध और जैन धर्म की स्थापना की। वेदों की आलोचना करते हुए इन्होंने जीवन, दुःख, मोक्ष, अहिंसा और आत्मानुशासन जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया।
इस समय में उपनिषदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों की रचना हुई, जिनमें आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष जैसे जटिल दार्शनिक विचार व्यक्त किए गए। इसके साथ-साथ भक्ति परंपरा का भी उदय हुआ जिसमें ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत समर्पण पर ज़ोर दिया गया।
बौद्ध मठ, विहार, स्तूप और मंदिरों की वास्तुकला भी इसी समय उभरी। साँची, अमरावती और भरहुत जैसे स्तूपों के माध्यम से तत्कालीन समाज की कलात्मक और धार्मिक अभिव्यक्ति सामने आई। इस अध्याय में नालंदा जैसे शैक्षणिक केंद्रों की भी चर्चा की गई है।
यह अध्याय हमें यह समझने में मदद करता है कि विचारों, विश्वासों और वास्तुकला के माध्यम से किस प्रकार भारतीय समाज में गहरे और स्थायी बदलाव आए।
सारांश (Summary)
1. बौद्ध और जैन धर्म का उदय
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में समाज में बड़े परिवर्तन हो रहे थे, जैसे कि जनपदों का विकास, कृषि उत्पादन में वृद्धि और सामाजिक असमानता।
इन परिस्थितियों में ब्राह्मणवादी व्यवस्था से असंतुष्ट लोगों के लिए बौद्ध और जैन जैसे नए विचारों ने विकल्प प्रदान किया।
गौतम बुद्ध ने “अष्टांगिक मार्ग” और “मध्यम मार्ग” का प्रचार किया, वहीं महावीर स्वामी ने “अहिंसा” और “त्रिरत्न” पर बल दिया।
2. श्रवण परंपरा और ज्ञान का प्रसार
उपनिषदों और बौद्ध ग्रंथों में ज्ञान के मौखिक आदान-प्रदान की परंपरा रही, जिसे “श्रवण परंपरा” कहते हैं।
बौद्ध भिक्षु और जैन मुनि विचारों को गाँव-गाँव जाकर सुनाते थे।
बाद में इन विचारों को पालि, प्राकृत और संस्कृत में लिखा गया।
3. संगठित संप्रदायों का विकास
बौद्ध धर्म में संघ की स्थापना हुई जिसमें भिक्षु और भिक्षुणियाँ सम्मिलित हुए।
जैन धर्म में तीर्थंकरों की परंपरा चली जिसमें महावीर अंतिम तीर्थंकर माने गए।
इन धर्मों ने समानता, आत्मशुद्धि, और ध्यान पर बल दिया।
4. प्रारंभिक उपनिषद और धार्मिक चिंतन
उपनिषदों में ब्रह्म (सृष्टि की मूल आत्मा) और आत्मा (व्यक्ति की आत्मा) के संबंध पर गहन चिंतन हुआ।
“तत्त्वमसि” (तू वही है) जैसी सूक्तियाँ आत्मा और ब्रह्म की एकता को दर्शाती हैं।
ज्ञान, ध्यान और आत्मविवेक को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया।
5. आश्रम और जीवन व्यवस्था
समाज को चार आश्रमों में बाँटा गया – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।
यह जीवन के विभिन्न चरणों में धर्म और कर्तव्यों को समझाने का प्रयास था।
6. मठों और विहारों की स्थापना
बौद्ध धर्म के विस्तार के साथ-साथ मठ (मोनास्ट्री) और विहार (रहने की जगह) स्थापित हुए।
नालंदा, विक्रमशिला जैसे शिक्षा केंद्र विकसित हुए, जहाँ दर्शन, तर्कशास्त्र, चिकित्सा आदि पढ़ाया जाता था।
7. स्थापत्य कला और इमारतें
धर्मों के प्रचार के साथ स्तूप, विहार, गुफाएं और मंदिर बने।
साँची, भरहुत, अमरावती जैसे स्तूपों पर मूर्तिकला और शिल्पकला का अद्भुत समावेश देखने को मिलता है।
अजंता और एलोरा की गुफाएं चित्रकला और स्थापत्य का सुंदर उदाहरण हैं।
8. अभिलेख और लेखन परंपरा
अशोक के स्तंभ लेख और गुफा लेख बौद्ध धर्म के प्रचार और सामाजिक संदेशों के प्रमुख स्रोत हैं।
ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों में लेखन हुआ।
यह लेखन न केवल धर्म का प्रचार करता था, बल्कि राजनीतिक सत्ता को भी वैधता देता था।
9. सांस्कृतिक सहिष्णुता और समन्वय
भारत में विभिन्न विचारधाराएँ—बौद्ध, जैन, वैदिक और लोक आस्थाएँ—सहअस्तित्व में रहीं।
अनेक राजा (जैसे अशोक और हर्षवर्धन) बहुधर्मीय सहिष्णुता के पोषक थे।
10. धार्मिक विचारों का समाज पर प्रभाव
इन विचारधाराओं ने जाति व्यवस्था, पूजा पद्धति, शिक्षा प्रणाली और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर गहरा प्रभाव डाला।
महिलाएं भी प्रारंभिक समय में बौद्ध संघों में स्थान पाती थीं, यद्यपि बाद में उनकी भागीदारी सीमित हुई।
इस अध्याय में 600 ई. पू. से 600 ई. तक के सांस्कृतिक, धार्मिक और दार्शनिक विकास को समझाया गया है। इस समय भारत में बौद्ध, जैन और अन्य दर्शनों का विकास हुआ। यह काल वैदिक बलिपरंपरा से हटकर आत्मनिरीक्षण और तपस्या की ओर झुकाव का रहा। महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपने-अपने सिद्धांतों के माध्यम से समाज में व्याप्त असमानताओं और कर्मकांडों का विरोध किया। इस काल में धर्मग्रंथों, स्तूपों, विहारों और मंदिरों का निर्माण भी हुआ। स्थापत्य कला और चित्रकला का विकास देखने को मिलता है।
शब्दार्थ (Word Meaning)
शब्द | अर्थ |
---|---|
बुद्ध | बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध, जिन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया |
जैन | जैन धर्म के अनुयायी, जो महावीर स्वामी को अंतिम तीर्थंकर मानते हैं |
तीर्थंकर | जैन धर्म में विशेष आत्मा जो मोक्ष का मार्ग दिखाती है; कुल 24 तीर्थंकर होते हैं |
श्रवण परंपरा | मौखिक रूप से ज्ञान या धर्म का प्रचार करना, विशेषतः गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से |
उपनिषद | वैदिक साहित्य का दार्शनिक भाग जो आत्मा और ब्रह्म की गूढ़ व्याख्या करता है |
आत्मा | व्यक्ति की आध्यात्मिक सत्ता या जीव |
ब्रह्म | विश्व की एकमात्र, सर्वव्यापी आत्मा; परम तत्व |
मठ / विहार | बौद्ध और जैन भिक्षुओं के निवास व अध्ययन के स्थान |
स्तूप | बौद्ध धर्म से संबंधित एक गोलाकार स्मारक जिसमें बुद्ध की अस्थियाँ या प्रतीक रखे जाते हैं |
अशोक | मौर्य सम्राट जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और उसका प्रचार किया |
धम्म | बौद्ध धर्म में नैतिक सिद्धांतों, कर्तव्यों और शिक्षाओं का समुच्चय |
ब्राह्मी लिपि | प्राचीन भारतीय लिपि जिसमें अशोक के अभिलेख लिखे गए थे |
खरोष्ठी लिपि | उत्तर-पश्चिम भारत की प्राचीन लिपि जो दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी |
संघ | बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों का समुदाय |
गुफा वास्तुकला | पहाड़ों को काटकर बनाई गई धार्मिक स्थली जैसे अजंता, एलोरा |
मध्यम मार्ग | बुद्ध द्वारा सुझाया गया जीवन मार्ग जिसमें अत्यधिक भोग और कठोर तप का त्याग होता है |
अहिंसा | किसी भी जीवित प्राणी को क्षति न पहुँचाने का सिद्धांत, विशेषकर जैन धर्म में महत्वपूर्ण |
त्रिरत्न | जैन धर्म के तीन मुख्य सिद्धांत – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र |
ध्यान | एकाग्रता से आत्मचिंतन या साधना करना |
मोक्ष | जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति |
लोक आस्था | आम जनजीवन में व्याप्त धार्मिक विश्वास जो संस्थागत धर्म से अलग होते हैं |
अभिलेख | किसी वस्तु, घटना या आदेश का लिखित विवरण जो पत्थरों, ताम्रपत्रों आदि पर मिलता है |
सांस्कृतिक सहिष्णुता | विभिन्न धर्मों और विचारों के प्रति सम्मान और सह-अस्तित्व की भावना |
माइंड मैप (Mind Map)

टाइमलाइन (Timeline)
वर्ष (ई.पू./ई.) | महत्वपूर्ण घटना / विकास |
---|---|
600 BCE | उत्तर वैदिक काल में धार्मिक और दार्शनिक चिंतन की शुरुआत; उपनिषदों की रचना |
599 BCE | महावीर स्वामी का जन्म (जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर) |
563 BCE | सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) का जन्म लुंबिनी में |
540–468 BCE | महावीर स्वामी का जीवनकाल, जैन धर्म का विस्तार |
528 BCE | गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति (बोधगया में), बौद्ध धर्म की स्थापना |
483 BCE | बुद्ध का महापरिनिर्वाण (कुशीनगर) |
400 BCE | पहले बौद्ध संगीति (सभा) का आयोजन राजगृह में |
327–325 BCE | सिकंदर का भारत अभियान, पश्चिमी भारत में संपर्क बढ़ा |
321 BCE | मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा |
268–232 BCE | सम्राट अशोक का शासनकाल, कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म की ओर रुझान |
250 BCE | अशोक द्वारा धम्म के प्रचार हेतु स्तंभ लेख, शिलालेख एवं स्तूपों का निर्माण (सांची, सारनाथ) |
200 BCE | प्रारंभिक गुफा स्थापत्य का विकास (बराबर गुफाएँ) |
100 BCE–100 CE | गांधार और मथुरा कला शैलियों का विकास – बुद्ध की मूर्ति निर्माण की शुरुआत |
78 CE | शक संवत का प्रारंभ, कुषाण वंश की स्थापना |
100–200 CE | कनिष्क के शासन में महायान बौद्ध धर्म का उदय और बौद्ध धर्म का विस्तार मध्य एशिया तक |
200–400 CE | अजन्ता और एलोरा गुफाओं का निर्माण कार्य आरंभ |
320–550 CE | गुप्त साम्राज्य का उत्कर्ष काल; हिंदू मंदिर स्थापत्य का प्रारंभ |
400–500 CE | नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना और बौद्ध शिक्षा का उत्कर्ष |
600 CE | सांस्कृतिक, धार्मिक सहिष्णुता और कला-वास्तु का समृद्ध स्वरूप विकसित |
मैप वर्क (Map Work)
नीचे दिए गए स्थल छात्रों को भारत के नक्शे पर दर्शाना और उनका सांस्कृतिक महत्त्व समझाना आवश्यक है :-
🔹 1. लुंबिनी (वर्तमान नेपाल)
महत्त्व: गौतम बुद्ध का जन्म स्थान
कार्य: छात्रों से भारत-नेपाल सीमा पर इसे चिह्नित कराना
🔹 2. बोधगया (बिहार)
महत्त्व: बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति यहीं हुई थी
कार्य: बिहार में गया जिले के पास बोधगया को दिखाना
🔹 3. सारनाथ (उत्तर प्रदेश)
महत्त्व: बुद्ध का प्रथम उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन)
कार्य: वाराणसी के निकट स्थान दिखाना
🔹 4. कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
महत्त्व: बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल
कार्य: गोरखपुर जिले के पास दिखाना
🔹 5. राजगृह (राजगीर, बिहार)
महत्त्व: प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन स्थल
कार्य: मगध क्षेत्र में दिखाना
🔹 6. वैशाली (बिहार)
महत्त्व: दूसरी बौद्ध संगीति और जैन धर्म से जुड़ा तीर्थ स्थल
कार्य: वैशाली जिले को दर्शाना
🔹 7. सांची (मध्य प्रदेश)
महत्त्व: विश्व प्रसिद्ध स्तूप और अशोक के स्तंभ
कार्य: मध्य प्रदेश में रायसेन जिले के पास दिखाना
🔹 8. श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश)
महत्त्व: बुद्ध के चमत्कारों और उपदेशों से जुड़ा स्थान
कार्य: गोंडा-बहराइच क्षेत्र के पास
🔹 9. नालंदा (बिहार)
महत्त्व: प्राचीन विश्वविद्यालय और बौद्ध शिक्षा केंद्र
कार्य: बिहारशरीफ के पास दर्शाना
🔹 10. अजन्ता और एलोरा गुफाएँ (महाराष्ट्र)
महत्त्व: प्राचीन गुफा चित्रकला और बौद्ध, जैन, हिंदू मंदिर
कार्य: औरंगाबाद जिले में दिखाना
🔹 11. अमरावती (आंध्र प्रदेश)
महत्त्व: स्तूप निर्माण और गांधार शैली की मूर्तिकला
कार्य: कृष्णा नदी के किनारे स्थित अमरावती को चिह्नित करें
🔹 12. तक्शशिला (Taxila, वर्तमान पाकिस्तान)
महत्त्व: प्राचीन विश्वविद्यालय और गांधार कला का केंद्र
कार्य: पंजाब (पाकिस्तान) में दिखाना
📍 प्रशिक्षण विधि :-
छात्रों को खाली भारत का नक्शा दें
ऊपर दिए गए सभी स्थानों को पहचानने व चिह्नित करने को कहें
प्रत्येक स्थान के पास उसका ऐतिहासिक महत्त्व भी लिखवाएँ
गतिविधि को समूह में कराएँ ताकि आपसी संवाद और चर्चा हो
मैप प्रैक्टिस (Map Practice)
छात्रों को भारत का एक खाली राजनीतिक नक्शा दिया जाए और उनसे निम्नलिखित कार्य करवाए जाएँ:
🗺️ A. स्थल पहचानें और नक्शे पर चिह्नित करें :-
छात्र निम्नलिखित ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों को नक्शे पर सही स्थान पर चिह्नित करें :-
लुंबिनी
बोधगया
सारनाथ
कुशीनगर
राजगृह (राजगीर)
वैशाली
सांची
श्रावस्ती
नालंदा
अजन्ता
एलोरा
अमरावती
तक्शशिला (Taxila – वर्तमान पाकिस्तान)
📝 B. मिलान करें (Match the Following) :-
स्थल | विशेषता (A) | मिलाएँ (B) |
---|---|---|
लुंबिनी | 1. बुद्ध का जन्म स्थल | A. गया (बिहार) |
बोधगया | 2. बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति | B. नेपाल |
सारनाथ | 3. प्रथम उपदेश | C. वाराणसी के पास |
सांची | 4. प्रमुख स्तूप स्थल | D. मध्य प्रदेश |
अजन्ता | 5. गुफा चित्रकला | E. औरंगाबाद (महाराष्ट्र) |
✏️ C. रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks) :-
गौतम बुद्ध को ___________ में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
महावीर स्वामी का जन्म ___________ में हुआ था।
___________ में पहला बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था।
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना ___________ काल में हुई थी।
सांची स्थित स्तूप का निर्माण ___________ के शासनकाल में हुआ था।
❓ D. सही / गलत (True or False) :-
कुशीनगर में बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया।
तक्शशिला वर्तमान भारत में स्थित है।
अजन्ता और एलोरा दोनों गुफाएँ महाराष्ट्र में स्थित हैं।
वैशाली में जैन और बौद्ध दोनों धर्मों का प्रभाव था।
सारनाथ में अशोक स्तंभ भी स्थित है।
🧠 E. पहचानो और उत्तर दो (Identify and Answer Briefly) :-
वह स्थल जहाँ बुद्ध ने अंतिम उपदेश दिया।
वह प्राचीन शिक्षण केंद्र जहाँ बौद्ध धर्म की पढ़ाई होती थी।
वह कला शैली जिसमें बुद्ध की मूर्ति निर्माण की शुरुआत हुई।
वह शहर जहाँ पहले बौद्ध संगीति हुई थी।
📌 अतिरिक्त अभ्यास :-
छात्रों से नक्शे में बौद्ध और जैन स्थलों को अलग रंगों से चिह्नित करने को कहें।
छात्रों को निर्देश दें कि वे प्रत्येक स्थल के पास 1 पंक्ति में उसका ऐतिहासिक महत्त्व भी लिखें।
वैकल्पिक प्रश्न (MCQs) – उत्तर और व्याख्या
1. गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई थी?
A) लुंबिनी
B) कुशीनगर
C) सारनाथ
D) बोधगया
✔ उत्तर: D) बोधगया
व्याख्या: गौतम बुद्ध को बोधगया (वर्तमान बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की और ‘धर्म चक्र प्रवर्तन’ किया।
2. जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर कौन थे?
A) ऋषभदेव
B) महावीर
C) पार्श्वनाथ
D) नेमिनाथ
✔ उत्तर: B) महावीर
व्याख्या: जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर माने जाते हैं, जिनमें अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी (599–527 ई.पू.) थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर जोर दिया और जैन धर्म को सुव्यवस्थित किया।
3. अशोक ने किस युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया था?
A) पाटलिपुत्र युद्ध
B) कलिंग युद्ध
C) मगध युद्ध
D) तक्षशिला युद्ध
✔ उत्तर: B) कलिंग युद्ध
व्याख्या: कलिंग युद्ध (c. 261 BCE) के बाद अशोक ने युद्ध की विभीषिका से प्रभावित होकर हिंसा का त्याग किया और बौद्ध धर्म अपनाकर ‘धम्म’ के प्रचार-प्रसार में लग गए।
4. बौद्ध संघ का क्या अर्थ है?
A) बौद्ध मंदिर
B) भिक्षुओं का संगठन
C) अशोक का प्रशासन
D) शिक्षा केंद्र
✔ उत्तर: B) भिक्षुओं का संगठन
व्याख्या: बौद्ध संघ वह संगठन था जिसमें भिक्षु और भिक्षुणियाँ सम्मिलित होते थे। यह संघ बौद्ध धर्म के प्रचार, शिक्षा और नैतिक जीवन के संचालन का केंद्र था।
5. उपनिषदों का मुख्य विषय क्या था?
A) यज्ञ और अनुष्ठान
B) आत्मा और ब्रह्म का ज्ञान
C) राजधर्म
D) धन संचय
✔ उत्तर: B) आत्मा और ब्रह्म का ज्ञान
व्याख्या: उपनिषद वैदिक साहित्य का दार्शनिक भाग हैं जिनमें आत्मा (individual soul) और ब्रह्म (supreme soul) की पहचान और उनके संबंध की व्याख्या की गई है। यह ज्ञान आत्मानुभूति और मोक्ष की ओर ले जाता है।
6. जैन धर्म का मूल सिद्धांत क्या है?
A) सत्य
B) अहिंसा
C) तप
D) ध्यान
✔ उत्तर: B) अहिंसा
व्याख्या: जैन धर्म में अहिंसा को सर्वोपरि माना गया है। किसी भी जीव को कष्ट न पहुँचाना, चाहे वह कितना भी सूक्ष्म क्यों न हो, जैन जीवन का मूल आधार है।
7. बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहाँ दिया था?
A) कुशीनगर
B) लुंबिनी
C) सारनाथ
D) राजगृह
✔ उत्तर: C) सारनाथ
व्याख्या: बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश सारनाथ में दिया था जिसे “धर्म चक्र प्रवर्तन” कहा जाता है। यह उपदेश चार आर्य सत्यों और अष्टांगिक मार्ग पर आधारित था।
8. अशोक के शिलालेख किस लिपि में लिखे गए थे?
A) देवनागरी
B) तमिल
C) ब्राह्मी
D) खरोष्ठी
✔ उत्तर: C) ब्राह्मी
व्याख्या: अशोक ने अपने शिलालेखों को जनता तक पहुँचाने के लिए ब्राह्मी लिपि का उपयोग किया जो उस समय की सर्वाधिक प्रचलित लिपि थी। उत्तर-पश्चिम भारत में खरोष्ठी लिपि का भी प्रयोग हुआ।
9. अजन्ता और एलोरा की गुफाएँ किस चीज़ के लिए प्रसिद्ध हैं?
A) मूर्तिकला
B) संगीत
C) चित्रकला और स्थापत्य
D) शिलालेख
✔ उत्तर: C) चित्रकला और स्थापत्य
व्याख्या: अजन्ता और एलोरा की गुफाएँ प्राचीन भारत की बौद्ध, जैन और हिंदू चित्रकला व गुफा वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरण हैं। ये स्थल महाराष्ट्र में स्थित हैं।
10. त्रिरत्न किस धर्म से संबंधित है?
A) वैदिक धर्म
B) जैन धर्म
C) बौद्ध धर्म
D) सिख धर्म
✔ उत्तर: B) जैन धर्म
व्याख्या: त्रिरत्न जैन धर्म के तीन मुख्य सिद्धांत हैं:
सम्यक दर्शन – सही दृष्टिकोण
सम्यक ज्ञान – सही ज्ञान
सम्यक चरित्र – सही आचरण
इनका पालन कर व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (30–40 शब्दों में)
1. महावीर स्वामी कौन थे?
उत्तर: महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उन्होंने सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों पर आधारित जीवन का प्रचार किया। उनका जन्म वैशाली में 599 ई.पू. में हुआ था।
2. गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई थी?
उत्तर: गौतम बुद्ध को बोधगया (वर्तमान बिहार) में पीपल वृक्ष के नीचे तपस्या करते समय ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद वे ‘बुद्ध’ कहलाए और उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की।
3. बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य क्या हैं?
उत्तर: बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य हैं – जीवन दुःखमय है, दुःख का कारण तृष्णा है, तृष्णा का अंत संभव है, और अंत अष्टांगिक मार्ग से संभव है। इन्हें बुद्ध ने अपने पहले उपदेश में बताया।
4. धम्म का क्या अर्थ है?
उत्तर: धम्म अशोक द्वारा अपनाया गया नैतिक मार्ग था, जो बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर आधारित था। यह सत्य, अहिंसा, दया, सहिष्णुता और सदाचार को बढ़ावा देता था तथा सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करता था।
5. उपनिषदों का प्रमुख विषय क्या था?
उत्तर: उपनिषद वेदों का दार्शनिक भाग हैं, जिनका प्रमुख विषय आत्मा और ब्रह्म की पहचान तथा उनके एकत्व की खोज है। ये ग्रंथ ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति पर बल देते हैं।
6. बौद्ध संघ क्या था?
उत्तर: बौद्ध संघ भिक्षुओं और भिक्षुणियों का एक धार्मिक संगठन था, जहाँ वे तप, साधना और प्रचार करते थे। संघ का उद्देश्य बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रसार करना और अनुशासित जीवन जीना था।
7. अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद क्या किया?
उत्तर: कलिंग युद्ध की हिंसा से प्रभावित होकर अशोक ने युद्ध नीति त्याग दी और बौद्ध धर्म अपना लिया। उन्होंने धम्म के प्रचार हेतु स्तंभ, शिलालेख व स्तूपों का निर्माण करवाया।
8. त्रिरत्न क्या हैं?
उत्तर: त्रिरत्न जैन धर्म के तीन आधारभूत सिद्धांत हैं – सम्यक दर्शन (सही दृष्टिकोण), सम्यक ज्ञान (सही ज्ञान), और सम्यक चरित्र (सही आचरण)। ये मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग दर्शाते हैं।
9. बुद्ध का महापरिनिर्वाण कहाँ हुआ था?
उत्तर: गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण कुशीनगर (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में हुआ था। यह घटना उनकी मृत्यु को दर्शाती है, जब उन्होंने सांसारिक जीवन से पूर्ण रूप से मुक्ति पाई।
10. अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए क्या माध्यम अपनाए?
उत्तर: अशोक ने धम्म के प्रचार हेतु शिलालेख, स्तंभ लेख, स्तूप, और दूतों का उपयोग किया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में संदेश भेजे और नैतिकता आधारित शासन प्रणाली लागू की।
लघु उत्तरीय प्रश्न (60 से 80 शब्दों में )
1. गौतम बुद्ध ने जीवन की कौन-कौन सी सच्चाइयाँ बताई थीं?
उत्तर: गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया, जो जीवन की सच्चाइयाँ हैं – (1) संसार दुःखमय है, (2) दुःख का कारण तृष्णा है, (3) तृष्णा का अंत संभव है, और (4) उसका अंत अष्टांगिक मार्ग से संभव है। इन सत्यों के माध्यम से उन्होंने मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताया। यह शिक्षा उन्होंने सारनाथ में अपना पहला उपदेश देते समय दी थी, जिसे ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ कहा जाता है।
2. जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत हैं – अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। साथ ही त्रिरत्न – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र – का पालन भी आवश्यक है। यह धर्म आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्त करने पर बल देता है। महावीर स्वामी ने इन सिद्धांतों को सरल भाषा में प्रचारित किया, जिससे जनसामान्य में धर्म लोकप्रिय हुआ।
3. अशोक ने बौद्ध धर्म को कैसे फैलाया?
उत्तर: कलिंग युद्ध की हिंसा से दुखी होकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया। उन्होंने धम्म के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए शिलालेख, स्तंभ लेख और स्तूपों का निर्माण करवाया। उन्होंने अपने दूतों को श्रीलंका, मध्य एशिया और दक्षिण भारत भेजा। अशोक ने बौद्ध संघों को संरक्षण दिया और नैतिक शासन प्रणाली को अपनाया। उनके प्रयासों से बौद्ध धर्म एक वैश्विक धर्म बना।
4. बौद्ध संघ क्या था? इसका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: बौद्ध संघ बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों का एक अनुशासित समुदाय था, जिसकी स्थापना स्वयं बुद्ध ने की थी। इसका उद्देश्य था – बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रचार, तपस्वी जीवन का पालन, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए साधना करना। संघ में प्रवेश करने वालों को नियमों का पालन करना होता था। यह संघ मठों (विहारों) में रहकर धार्मिक कार्यों और अध्ययन में लगा रहता था।
5. उपनिषदों की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर: उपनिषद वैदिक साहित्य का दार्शनिक भाग हैं, जिनमें आत्मा और ब्रह्म की गूढ़ व्याख्या की गई है। इनमें ज्ञान, मोक्ष और आत्म-बोध को प्रमुख विषय बनाया गया है। ये ग्रंथ गुरु-शिष्य परंपरा में मौखिक रूप से संप्रेषित हुए। उपनिषदों में कर्मकांड की जगह ज्ञान और तर्क को महत्व दिया गया है। ये धार्मिक चिंतन को गहराई प्रदान करते हैं और भारतीय दर्शन की नींव रखते हैं।
6. स्तूप क्या होते हैं? उनके निर्माण का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित गोलाकार स्मारक होते हैं, जिनमें बुद्ध की अस्थियाँ या प्रतीक रखे जाते हैं। इनका निर्माण बुद्ध की स्मृति में किया जाता था, जिससे भक्तों को ध्यान, साधना और धर्म के प्रचार का अवसर मिलता था। प्रसिद्ध स्तूपों में सांची, सारनाथ और अमरावती शामिल हैं। सम्राट अशोक ने इनका निर्माण बौद्ध धर्म के प्रचार और धम्म के प्रतीकों को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए करवाया।
7. गुफा स्थापत्य का प्रारंभ कैसे हुआ?
उत्तर: गुफा स्थापत्य की शुरुआत मौर्य काल में हुई, जब पहाड़ों को काटकर भिक्षुओं और साधुओं के लिए आवास और ध्यान स्थल बनाए गए। प्रारंभिक उदाहरण बराबर की गुफाएँ हैं, जिनका निर्माण अशोक ने अजीविक संन्यासियों के लिए करवाया। आगे चलकर अजन्ता, एलोरा, कार्ले आदि स्थानों पर विस्तृत और अलंकृत गुफाएँ बनीं, जिनमें मूर्तिकला और चित्रकला का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।
8. त्रिरत्न का अर्थ और महत्व क्या है?
उत्तर: त्रिरत्न का अर्थ है – सम्यक दर्शन (सही दृष्टिकोण), सम्यक ज्ञान (सही जानकारी), और सम्यक चरित्र (सही आचरण)। ये तीनों सिद्धांत जैन धर्म में आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक माने जाते हैं। सम्यक दर्शन धर्म में श्रद्धा को दर्शाता है, सम्यक ज्ञान शास्त्रों की सही समझ को और सम्यक चरित्र अच्छे आचरण को। त्रिरत्नों का पालन किए बिना मोक्ष संभव नहीं है।
9. महायान और हीनयान में क्या अंतर है?
उत्तर: बौद्ध धर्म दो प्रमुख शाखाओं में विभाजित हुआ – हीनयान और महायान। हीनयान में मोक्ष के लिए व्यक्तिगत प्रयास और संयम पर बल दिया जाता है, जबकि महायान में बुद्ध को ईश्वर तुल्य माना गया और बोधिसत्व की पूजा शुरू हुई। हीनयान बुद्ध की प्रतीक पूजा करता था, पर महायान में बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण हुआ। महायान अधिक उदार और भावनात्मक रूप में लोकप्रिय हुआ।
10. सांस्कृतिक सहिष्णुता का क्या अर्थ है?
उत्तर: सांस्कृतिक सहिष्णुता का अर्थ है – विभिन्न धर्मों, परंपराओं और विश्वासों को सम्मानपूर्वक स्वीकार करना और उनके साथ सह-अस्तित्व बनाए रखना। यह भारतीय समाज की विशेषता रही है, जहाँ बौद्ध, जैन, वैदिक, लोक आस्थाएँ आदि सभी शांतिपूर्वक एक साथ विकसित हुए। अशोक का धम्म, अनेक धर्मों के प्रति सम्मान और गुप्त काल की धार्मिक विविधता इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (140–180 शब्दों में)
1. बौद्ध धर्म के सिद्धांतों एवं उनका समाज पर प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर: बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत हैं – चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग। बुद्ध ने जीवन को दुःखमय बताया और कहा कि दुःख का कारण तृष्णा है। इसका अंत संयम और नैतिक जीवन से संभव है। अष्टांगिक मार्ग – सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाणी, कर्म, आजीविका, प्रयास, स्मृति और समाधि – से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। बौद्ध धर्म अहिंसा, करुणा, सत्य और आत्मज्ञान पर बल देता है। इस धर्म ने जातिवाद, बलि प्रथा और कर्मकांड का विरोध किया। इसका प्रभाव समाज में गहराई तक पड़ा – शूद्रों और स्त्रियों को भी धर्म में स्थान मिला। लोगों में नैतिकता, सहिष्णुता और शांति की भावना बढ़ी। बुद्ध ने शिक्षा को सरल भाषा (पालि) में दिया जिससे सामान्य जन भी उससे जुड़ सके। समाज में समता, सेवा और बौद्ध संघों की स्थापना से शिक्षा और अनुशासन का प्रसार हुआ। मौर्य सम्राट अशोक ने इसे अपनाकर बौद्ध धर्म को विश्व धर्म बनाया।
2. महावीर स्वामी के जीवन और जैन धर्म में उनके योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: महावीर स्वामी का जन्म 599 ई.पू. में वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ। वे जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। युवावस्था में उन्होंने गृहत्याग किया और 12 वर्षों तक कठोर तप किया। अंततः उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे ‘जिन’ कहलाए। उन्होंने जैन धर्म को सुव्यवस्थित रूप में प्रचारित किया। उन्होंने पाँच महाव्रतों – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह – का उपदेश दिया। उन्होंने आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए त्रिरत्न – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र – को आवश्यक बताया। उन्होंने कर्म और पुनर्जन्म को समझाया और आत्मा को शाश्वत माना। जैन धर्म में कर्मकांड, यज्ञ और वेदों को कोई स्थान नहीं है। महावीर ने धर्म का प्रचार सरल प्राकृत भाषा में किया जिससे जनसामान्य भी इससे जुड़ सके। उनके सिद्धांत आज भी जैन समाज के नैतिक मूल्यों की नींव हैं।
3. अशोक के धम्म की अवधारणा को समझाइए।
उत्तर: सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध (c. 261 ई.पू.) के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और ‘धम्म’ की नीति का प्रचार किया। अशोक का धम्म कोई नया धर्म नहीं था, बल्कि नैतिक आचरण पर आधारित एक सार्वभौमिक जीवन शैली थी। इसका उद्देश्य था – सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता, प्रजा के प्रति दया, माता-पिता और गुरुजनों का आदर, सत्य बोलना, अहिंसा और आत्मसंयम। अशोक ने धम्म को प्रचारित करने के लिए धम्म महामात्रों की नियुक्ति की, शिलालेखों और स्तंभों के माध्यम से संदेश प्रसारित किए। उन्होंने धर्मयात्राएँ कीं और पशु बलि बंद करवाई। अशोक ने श्रीलंका और अन्य देशों में भी धम्म के दूत भेजे। उनके धम्म ने समाज में नैतिकता, सहिष्णुता और करुणा की भावना को बढ़ावा दिया। यह विचारधारा शासन को मानवीय और लोककल्याणकारी बनाने का प्रयास था, जो उस समय की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया।
4. उपनिषद कालीन चिंतन का वर्णन कीजिए और उसका भारतीय समाज पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उपनिषद वैदिक साहित्य का अंतिम भाग हैं, जिनका रचनाकाल लगभग 600 ई.पू. से माना जाता है। यह काल धार्मिक और दार्शनिक चिंतन का युग था। उपनिषदों में आत्मा (आत्मन्) और ब्रह्म की एकता को समझाने का प्रयास किया गया। यह कहा गया कि आत्मा अमर है और वही ब्रह्म है – ‘अहं ब्रह्मास्मि’। इन ग्रंथों में कर्मकांड और बाह्य अनुष्ठानों की अपेक्षा ज्ञान, ध्यान और आत्मबोध को प्राथमिकता दी गई। उपनिषदों ने आत्म-चिंतन, योग, साधना और मोक्ष के गूढ़ विचार प्रस्तुत किए। इसका समाज पर प्रभाव यह हुआ कि दार्शनिक दृष्टिकोण विकसित हुआ, साधु-संत परंपरा को बल मिला, और शिक्षा में गुरु-शिष्य परंपरा मजबूत हुई। उपनिषदों ने जाति और वर्ग से परे आत्मा की समानता का सिद्धांत दिया, जिसने सामाजिक समरसता को जन्म दिया। आज भी भारतीय दर्शन, योग और अध्यात्म की जड़ें इन्हीं ग्रंथों में मिलती हैं।
5. गुप्त काल को क्यों ‘भारतीय संस्कृति का स्वर्ण युग’ कहा जाता है?
उत्तर: गुप्त काल (c. 320–550 ई.) को ‘भारतीय संस्कृति का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान, धर्म और शिक्षा में अत्यंत उन्नति हुई। इस युग में शासक हिंदू धर्म को संरक्षण देते थे, पर बौद्ध और जैन धर्मों के प्रति भी सहिष्णुता रखते थे। मंदिर स्थापत्य की शुरुआत हुई और अनेक भव्य मंदिर बने। संस्कृत साहित्य में कालिदास जैसे महान कवि-नाटककार हुए। आर्यभट, वराहमिहिर जैसे वैज्ञानिकों ने गणित, खगोल और ज्योतिष में योगदान दिया। शिक्षा के केंद्र – नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला – विश्व प्रसिद्ध हुए। चित्रकला और मूर्तिकला में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई – अजंता की गुफा चित्रकला इसका प्रमाण है। सामाजिक व्यवस्था में स्थायित्व था और कृषि-व्यापार में वृद्धि हुई। कुल मिलाकर, यह काल समृद्धि, शांति और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक था, इसलिए इसे स्वर्ण युग कहा जाता है।
रिवीजन शीट (Revision Sheet)
🧠 मुख्य बिंदु (Key Points)
🔶 बौद्ध धर्म
संस्थापक: गौतम बुद्ध (563 ई.पू. – 483 ई.पू.)
जन्म स्थान: लुंबिनी (वर्तमान नेपाल)
ज्ञान प्राप्ति स्थान: बोधगया (बिहार)
प्रथम उपदेश: सारनाथ (धम्मचक्क पवत्तन)
महापरिनिर्वाण: कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
🔶 बौद्ध धर्म के सिद्धांत
चार आर्य सत्य (Four Noble Truths):
संसार दुःखमय है।
दुःख का कारण तृष्णा है।
तृष्णा का अंत संभव है।
अष्टांगिक मार्ग से तृष्णा का अंत संभव है।
अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path):
सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाणी, कर्म, आजीविका, प्रयास, स्मृति, समाधि
🔶 बौद्ध संगीति (Council)
संगीति | स्थान | काल | अध्यक्ष | योगदान |
---|---|---|---|---|
प्रथम | राजगृह | 483 ई.पू. | महाकश्यप | विनय और धर्म के संकलन |
द्वितीय | वैशाली | 383 ई.पू. | सभकामी | बौद्ध संघ का विभाजन |
तृतीय | पाटलिपुत्र | अशोककाल | मोग्गलिपुत्त तिस्स | अभिधम्म की रचना |
चतुर्थ | कुंदलवन (कश्मीर) | कनिष्ककाल | वसुमित्र, अश्वघोष | महायान और हीनयान विभाजन |
🔶 जैन धर्म
संस्थापक नहीं, प्रवर्तक: महावीर स्वामी (599 ई.पू. – 527 ई.पू.)
जन्म स्थान: कुंडग्राम (वैशाली)
ज्ञान प्राप्ति: ऋजुपालिका नदी के तट पर
महापरिनिर्वाण: पावापुरी (बिहार)
🔶 जैन धर्म के सिद्धांत
पाँच महाव्रत:
अहिंसा
सत्य
अस्तेय
ब्रह्मचर्य
अपरिग्रह
त्रिरत्न:
सम्यक दर्शन
सम्यक ज्ञान
सम्यक आचरण
📜 प्रमुख ग्रंथ
धर्म | ग्रंथ | भाषा |
---|---|---|
बौद्ध | त्रिपिटक | पाली |
जैन | आगम | प्राकृत |
📌 तुलनात्मक अंतर – बौद्ध धर्म vs जैन धर्म
आधार | बौद्ध धर्म | जैन धर्म |
---|---|---|
संस्थापक | गौतम बुद्ध | तीर्थंकरों में अंतिम – महावीर |
भाषा | पाली | प्राकृत |
आत्मा का सिद्धांत | आत्मा को नकारते हैं | आत्मा को शाश्वत मानते हैं |
मोक्ष का मार्ग | अष्टांगिक मार्ग | त्रिरत्न एवं व्रत |
अहिंसा | नैतिकता का हिस्सा | कठोर नियम |
🏛️ सम्राट अशोक और धम्म
कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म की ओर झुकाव।
धम्म का प्रचार – नैतिकता, अहिंसा, धर्म सहिष्णुता।
धम्म महामात्र की नियुक्ति।
स्तंभ लेख व शिलालेख द्वारा प्रचार (ब्राह्मी लिपि)।
स्तूपों का निर्माण: सांची, सारनाथ, अमरावती
🧭 मैप वर्क (पुनरावृत्ति हेतु स्थान)
लुंबिनी
बोधगया
सारनाथ
कुशीनगर
पावापुरी
वैशाली
राजगृह
सांची
अमरावती
नालंदा
📚 कला व स्थापत्य विकास
स्तूप: धार्मिक स्मारक
गुफाएँ: अजन्ता, एलोरा, बराबर
मूर्ति कला: गांधार और मथुरा शैली
मठ: शिक्षा और साधना के केंद्र
📝 परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण टॉपिक
बुद्ध और महावीर की तुलना
चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग
जैन धर्म के त्रिरत्न
अशोक का धम्म
बौद्ध संगीति का महत्व
बौद्ध धर्म का विस्तार – एशिया तक कैसे पहुँचा
प्राचीन भारतीय कला और स्तूप निर्माण
🧠 याद रखने की ट्रिक
बुद्ध के लिए – ‘लुं-बो-सार-कु’ (लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर)
जैन के लिए – ‘कुं-ऋ-ज्या-पा’ (कुंडग्राम, ऋजुपालिका, ज्ञान, पावापुरी)
बौद्ध ग्रंथ – ‘त्रि’ मतलब तीन (विनय, सुत्त, अभिधम्म)
वर्कशीट (Worksheet)
🟩 भाग – A. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 1 अंक)
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30–40 शब्दों में दीजिए –
बुद्ध को कहाँ ज्ञान प्राप्त हुआ था?
महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था?
त्रिरत्न किस धर्म से संबंधित हैं?
बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य क्या हैं?
अष्टांगिक मार्ग में कितने अंग होते हैं?
🟨 भाग – B. लघु उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 3 अंक)
निर्देश: प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 60–80 शब्दों में दीजिए –
महावीर स्वामी के पंच महाव्रतों की सूची बनाइए।
बौद्ध धर्म और जैन धर्म में दो प्रमुख समानताएँ लिखिए।
गौतम बुद्ध के जीवन की चार मुख्य घटनाएँ बताइए।
बौद्ध धर्म के प्रसार में अशोक का योगदान समझाइए।
प्रथम और द्वितीय बौद्ध संगीति की तुलना कीजिए।
🟦 भाग – C. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक 5 अंक)
निर्देश: निम्नलिखित में से किसी दो प्रश्नों का उत्तर 140–180 शब्दों में लिखिए –
बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
महावीर स्वामी के जीवन और उपदेशों का वर्णन कीजिए।
अशोक का धम्म क्या था? उसके उद्देश्य और विशेषताएँ बताइए।
बौद्ध धर्म की विशेषताएँ और उसका एशिया में प्रसार कैसे हुआ?
🟥 भाग – D. वैकल्पिक प्रश्न (MCQs) (प्रत्येक 1 अंक)
सही विकल्प चुनकर लिखिए:
गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था?
a) कपिलवस्तु
b) वैशाली
c) लुंबिनी
d) पाटलिपुत्रजैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर कौन थे?
a) ऋषभदेव
b) पार्श्वनाथ
c) महावीर स्वामी
d) भरतअष्टांगिक मार्ग किस धर्म से संबंधित है?
a) जैन
b) बौद्ध
c) वैदिक
d) सिखमहावीर स्वामी को ज्ञान कहाँ प्राप्त हुआ था?
a) राजगृह
b) ऋजुपालिका नदी के तट पर
c) सारनाथ
d) पावापुरीत्रिपिटक किस धर्म का ग्रंथ है?
a) बौद्ध
b) जैन
c) वैदिक
d) यहूदी
📌 भाग – E. मिलान कीजिए (प्रत्येक सही मिलान = 1 अंक)
स्तंभ A | स्तंभ B |
---|---|
1. लुंबिनी | a. बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ |
2. बोधगया | b. बुद्ध का महापरिनिर्वाण |
3. सारनाथ | c. बुद्ध का जन्म स्थान |
4. कुशीनगर | d. पहला उपदेश स्थान |
5. पावापुरी | e. महावीर स्वामी का निर्वाण |
नक्शे पर दर्शाइए:
लुंबिनी
बोधगया
सारनाथ
कुशीनगर
पावापुरी
(छात्रों को भारत के राजनीतिक नक्शे में स्थानों को चिन्हित करना होगा)
📌 अंतिम निर्देश :-
उत्तर स्पष्ट, सुचारु एवं बिंदुवार होने चाहिए।
मैप वर्क पेंसिल से करें।
किसी भी एक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न का उत्तर रंगीन चार्ट पेपर पर आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें (गृहकार्य)।
आपकी राय क्या है?
क्या आप भी मानते हैं कि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता?
क्या आपने भी कभी अपनी गलतियों से कुछ सीखा है जो आपको और मजबूत बना गया?
👇 कमेंट में जरूर बताएं!
आपका एक कमेंट किसी और को खुद से प्यार करना सिखा सकता है।