1. गौतम बुद्ध ने जीवन की कौन-कौन सी सच्चाइयाँ बताई थीं?
उत्तर: गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया, जो जीवन की सच्चाइयाँ हैं – (1) संसार दुःखमय है, (2) दुःख का कारण तृष्णा है, (3) तृष्णा का अंत संभव है, और (4) उसका अंत अष्टांगिक मार्ग से संभव है। इन सत्यों के माध्यम से उन्होंने मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताया। यह शिक्षा उन्होंने सारनाथ में अपना पहला उपदेश देते समय दी थी, जिसे ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ कहा जाता है।
2. जैन धर्म के मुख्य सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत हैं – अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। साथ ही त्रिरत्न – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र – का पालन भी आवश्यक है। यह धर्म आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्त करने पर बल देता है। महावीर स्वामी ने इन सिद्धांतों को सरल भाषा में प्रचारित किया, जिससे जनसामान्य में धर्म लोकप्रिय हुआ।
3. अशोक ने बौद्ध धर्म को कैसे फैलाया?
उत्तर: कलिंग युद्ध की हिंसा से दुखी होकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया। उन्होंने धम्म के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए शिलालेख, स्तंभ लेख और स्तूपों का निर्माण करवाया। उन्होंने अपने दूतों को श्रीलंका, मध्य एशिया और दक्षिण भारत भेजा। अशोक ने बौद्ध संघों को संरक्षण दिया और नैतिक शासन प्रणाली को अपनाया। उनके प्रयासों से बौद्ध धर्म एक वैश्विक धर्म बना।
4. बौद्ध संघ क्या था? इसका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: बौद्ध संघ बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों का एक अनुशासित समुदाय था, जिसकी स्थापना स्वयं बुद्ध ने की थी। इसका उद्देश्य था – बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रचार, तपस्वी जीवन का पालन, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए साधना करना। संघ में प्रवेश करने वालों को नियमों का पालन करना होता था। यह संघ मठों (विहारों) में रहकर धार्मिक कार्यों और अध्ययन में लगा रहता था।
5. उपनिषदों की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर: उपनिषद वैदिक साहित्य का दार्शनिक भाग हैं, जिनमें आत्मा और ब्रह्म की गूढ़ व्याख्या की गई है। इनमें ज्ञान, मोक्ष और आत्म-बोध को प्रमुख विषय बनाया गया है। ये ग्रंथ गुरु-शिष्य परंपरा में मौखिक रूप से संप्रेषित हुए। उपनिषदों में कर्मकांड की जगह ज्ञान और तर्क को महत्व दिया गया है। ये धार्मिक चिंतन को गहराई प्रदान करते हैं और भारतीय दर्शन की नींव रखते हैं।
6. स्तूप क्या होते हैं? उनके निर्माण का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित गोलाकार स्मारक होते हैं, जिनमें बुद्ध की अस्थियाँ या प्रतीक रखे जाते हैं। इनका निर्माण बुद्ध की स्मृति में किया जाता था, जिससे भक्तों को ध्यान, साधना और धर्म के प्रचार का अवसर मिलता था। प्रसिद्ध स्तूपों में सांची, सारनाथ और अमरावती शामिल हैं। सम्राट अशोक ने इनका निर्माण बौद्ध धर्म के प्रचार और धम्म के प्रतीकों को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए करवाया।
7. गुफा स्थापत्य का प्रारंभ कैसे हुआ?
उत्तर: गुफा स्थापत्य की शुरुआत मौर्य काल में हुई, जब पहाड़ों को काटकर भिक्षुओं और साधुओं के लिए आवास और ध्यान स्थल बनाए गए। प्रारंभिक उदाहरण बराबर की गुफाएँ हैं, जिनका निर्माण अशोक ने अजीविक संन्यासियों के लिए करवाया। आगे चलकर अजन्ता, एलोरा, कार्ले आदि स्थानों पर विस्तृत और अलंकृत गुफाएँ बनीं, जिनमें मूर्तिकला और चित्रकला का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।
8. त्रिरत्न का अर्थ और महत्व क्या है?
उत्तर: त्रिरत्न का अर्थ है – सम्यक दर्शन (सही दृष्टिकोण), सम्यक ज्ञान (सही जानकारी), और सम्यक चरित्र (सही आचरण)। ये तीनों सिद्धांत जैन धर्म में आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक माने जाते हैं। सम्यक दर्शन धर्म में श्रद्धा को दर्शाता है, सम्यक ज्ञान शास्त्रों की सही समझ को और सम्यक चरित्र अच्छे आचरण को। त्रिरत्नों का पालन किए बिना मोक्ष संभव नहीं है।
9. महायान और हीनयान में क्या अंतर है?
उत्तर: बौद्ध धर्म दो प्रमुख शाखाओं में विभाजित हुआ – हीनयान और महायान। हीनयान में मोक्ष के लिए व्यक्तिगत प्रयास और संयम पर बल दिया जाता है, जबकि महायान में बुद्ध को ईश्वर तुल्य माना गया और बोधिसत्व की पूजा शुरू हुई। हीनयान बुद्ध की प्रतीक पूजा करता था, पर महायान में बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण हुआ। महायान अधिक उदार और भावनात्मक रूप में लोकप्रिय हुआ।
10. सांस्कृतिक सहिष्णुता का क्या अर्थ है?
उत्तर: सांस्कृतिक सहिष्णुता का अर्थ है – विभिन्न धर्मों, परंपराओं और विश्वासों को सम्मानपूर्वक स्वीकार करना और उनके साथ सह-अस्तित्व बनाए रखना। यह भारतीय समाज की विशेषता रही है, जहाँ बौद्ध, जैन, वैदिक, लोक आस्थाएँ आदि सभी शांतिपूर्वक एक साथ विकसित हुए। अशोक का धम्म, अनेक धर्मों के प्रति सम्मान और गुप्त काल की धार्मिक विविधता इसके प्रमुख उदाहरण हैं।