PARITOSH MISHRA

प्रस्तावना

प्रथम विश्व युद्ध (World War I) मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी और प्रभावशाली घटनाओं में से एक था, जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला। इस युद्ध में यूरोप, एशिया और अफ्रीका के कई देशों ने भाग लिया और यह आधुनिक युग के पहले वैश्विक संघर्ष के रूप में जाना जाता है। इस युद्ध ने न केवल तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं को बदल दिया, बल्कि इसके प्रभावों ने द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) और आगे की वैश्विक राजनीति को भी आकार दिया।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण जटिल और बहुआयामी थे, लेकिन मुख्य रूप से चार प्रमुख तत्वों ने इसे भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई – सैन्यवाद (Militarism), गठबंधन (Alliances), साम्राज्यवाद (Imperialism) और राष्ट्रवाद (Nationalism)। इन चार कारकों के कारण यूरोप में अस्थिरता और तनाव बढ़ता गया, जिससे अंततः एक विश्वव्यापी संघर्ष छिड़ गया।

इस lekh में, हम इन चार प्रमुख कारणों की गहन समीक्षा करेंगे और समझेंगे कि कैसे इनकी परस्पर क्रिया ने प्रथम विश्व युद्ध को जन्म दिया।

युद्ध से पहले की वैश्विक स्थिति

19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में, यूरोप एक अत्यंत संवेदनशील स्थिति में था। औद्योगिक क्रांति के बाद यूरोपीय देशों के बीच शक्ति संतुलन अस्थिर हो गया था। औद्योगिकीकरण ने देशों को आर्थिक और सैन्य रूप से मजबूत बनाया, लेकिन इसके साथ-साथ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई। प्रमुख यूरोपीय शक्तियाँ – ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली – अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने के लिए संघर्ष कर रही थीं।

A building with smoke coming out of it in World War - I
A building with smoke coming out of it in World War – I

इसके अलावा, यूरोपीय देशों के बीच रणनीतिक गठबंधन (Strategic Alliances) बनाए जा रहे थे, जिससे युद्ध की संभावना और अधिक बढ़ गई। एक देश पर हमला होने का अर्थ था कि उसके सहयोगी भी युद्ध में कूद पड़ेंगे, जिससे एक छोटे से संघर्ष के वैश्विक युद्ध में बदलने की संभावना बढ़ गई।

प्रथम विश्व युद्ध के मूल कारण

इस lekh में, हम निम्नलिखित चार प्रमुख कारकों का विस्तृत अध्ययन करेंगे:

  1. सैन्यवाद (Militarism): युद्ध के लिए सैन्य तैयारी और हथियारों की होड़ ने देशों के बीच तनाव को बढ़ाया।

  2. गठबंधन (Alliances): विभिन्न देशों ने एक-दूसरे के साथ संधियाँ कीं, जिससे युद्ध के दौरान कई देश एक साथ खिंचते चले गए।

  3. साम्राज्यवाद (Imperialism): उपनिवेशों और संसाधनों पर नियंत्रण की लालसा ने शक्तिशाली देशों के बीच संघर्ष को जन्म दिया।

  4. राष्ट्रवाद (Nationalism): अपनी जाति, भाषा और संस्कृति के आधार पर श्रेष्ठता की भावना ने युद्ध को उकसाया।

इस lekh में हम इन चार प्रमुख कारणों का ऐतिहासिक विश्लेषण करेंगे, यह समझेंगे कि कैसे वे आपस में जुड़े थे और किस प्रकार उन्होंने युद्ध की चिंगारी को भड़काने का काम किया। साथ ही, युद्ध के दीर्घकालिक प्रभावों पर भी चर्चा की जाएगी ताकि यह समझा जा सके कि प्रथम विश्व युद्ध केवल चार वर्षों का एक संघर्ष नहीं था, बल्कि इसके परिणामों ने 20वीं शताब्दी के इतिहास को पूरी तरह बदल दिया।

1. सैन्यवाद (Militarism)

1.1 सैन्यवाद की परिभाषा

सैन्यवाद का अर्थ है किसी देश की सेना को सशक्त बनाना और इसे नीति-निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में यूरोपीय राष्ट्रों के बीच सैन्य शक्ति बढ़ाने की होड़ लगी थी। यह प्रवृत्ति मुख्यतः राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में आक्रामक रणनीतियों और हथियारों की होड़ को जन्म देती है।

1.2 सैन्यवाद के प्रमुख कारण

  1. युद्ध की तैयारी – देश अपनी सेनाओं को सशक्त बनाने और किसी भी संभावित युद्ध के लिए तैयार रहने पर जोर दे रहे थे।

  2. तकनीकी प्रगति – नए हथियारों, टैंकों, पनडुब्बियों और जहाजों के विकास ने देशों को अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

  3. औद्योगीकरण का प्रभाव – बड़े पैमाने पर हथियारों और सैन्य उपकरणों के उत्पादन ने युद्ध की संभावना को और अधिक बढ़ा दिया।

  4. सैन्य बजट में वृद्धि – प्रमुख देशों ने अपने सैन्य खर्च को कई गुना बढ़ा दिया था।

  5. सैन्य नेतृत्व का बढ़ता प्रभाव – देशों की नीतियों पर सैन्य अधिकारियों का प्रभाव बढ़ने लगा।

1.3 प्रमुख देश और उनकी सैन्य नीतियाँ

  • जर्मनी: जर्मनी ने अपनी सेना को यूरोप की सबसे शक्तिशाली सेना बनाने की कोशिश की और नौसेना के क्षेत्र में ब्रिटेन को चुनौती देने लगा।

  • ब्रिटेन: ब्रिटेन की नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी थी, और वह अपनी श्रेष्ठता बनाए रखना चाहता था।

  • फ्रांस: फ्रांस ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने और जर्मनी से सुरक्षा के लिए सैन्य नीतियों को मजबूत किया।

  • रूस: रूस ने अपनी विशाल सेना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई सैन्य सुधार किए।

1.4 सैन्यवाद और हथियारों की होड़

सैन्यवाद ने प्रमुख यूरोपीय देशों को हथियारों की होड़ में शामिल कर दिया।

  • जर्मनी और ब्रिटेन के बीच नौसेना प्रतियोगिता: जर्मनी ने अपनी नौसेना को ब्रिटेन के समकक्ष बनाने के लिए अत्याधुनिक युद्धपोत विकसित किए।

  • फ्रांस और जर्मनी के बीच सैन्य विस्तार: दोनों देशों ने अपनी सेनाओं के आकार और युद्धक क्षमता में वृद्धि की।

  • रूस की सेना का आधुनिकीकरण: रूस ने अपने विशाल सेना बल को आधुनिक बनाने का प्रयास किया।

1.5 सैन्यवाद और युद्ध की आशंका

सैन्यवाद ने देशों के बीच अविश्वास और तनाव को बढ़ाया, जिससे युद्ध की संभावना और अधिक प्रबल हो गई।

  • सैन्य प्रतिस्पर्धा ने देशों को आक्रामक बना दिया।

  • राष्ट्रों ने युद्ध को टालने के बजाय अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना बेहतर समझा।

  • अंततः, जब 1914 में ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के बीच संघर्ष बढ़ा, तो सैन्य तैयारियों के कारण यूरोप तेजी से युद्ध में उलझ गया।


2. गठबंधन प्रणाली (Alliances)

2.1 गठबंधन प्रणाली का अर्थ

गठबंधन प्रणाली का अर्थ है कि दो या दो से अधिक देश एक-दूसरे के साथ सैन्य और राजनीतिक समझौते करें, ताकि यदि किसी देश पर हमला होता है तो दूसरा उसकी मदद करे। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में यूरोपीय देश आपसी सुरक्षा और शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए गठबंधन बनाने लगे।

2.1.1 गठबंधन प्रणाली के उद्देश्य:

  • शक्ति संतुलन बनाए रखना

  • सैन्य समर्थन सुनिश्चित करना

  • संभावित युद्ध को रोकना

  • राजनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा करना

लेकिन जब दो बड़े सैन्य गठबंधन बन गए, तो यह प्रणाली शांति की बजाय युद्ध का कारण बन गई।


2.2 प्रमुख गठबंधन (Major Alliances) और उनका विकास

प्रथम विश्व युद्ध से पहले दो बड़े सैन्य गठबंधन बने:

  1. ट्रिपल एलायंस (Triple Alliance) – 1882

  2. ट्रिपल एंटेंट (Triple Entente) – 1907

2.2.1 ट्रिपल एलायंस (Triple Alliance) – 1882

देश: जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, इटली
नेता: जर्मनी के चांसलर ओटो वॉन बिस्मार्क

ट्रिपल एलायंस की स्थापना 1882 में हुई थी, जिसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली शामिल थे। इस गठबंधन का उद्देश्य फ्रांस और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एकजुट रहना था।

👉 मुख्य विशेषताएँ:

  • जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी ने एक-दूसरे की सुरक्षा की गारंटी दी।

  • इटली ने बाद में यह कहकर युद्ध से अलग होने का फैसला किया कि यह केवल रक्षात्मक गठबंधन था।

  • जब युद्ध शुरू हुआ, तो इटली ने ट्रिपल एलायंस का साथ छोड़ दिया और 1915 में ट्रिपल एंटेंट में शामिल हो गया।


2.2.2 ट्रिपल एंटेंट (Triple Entente) – 1907

देश: ब्रिटेन, फ्रांस, रूस
नेता: ब्रिटिश किंग एडवर्ड VII, फ्रांस के राष्ट्रपति, रूस के ज़ार निकोलस II

ट्रिपल एंटेंट का गठन 1907 में हुआ। यह कोई औपचारिक सैन्य संधि नहीं थी, बल्कि एक समझौता था जिसके तहत ये देश आपसी सहयोग करने पर सहमत हुए।

👉 मुख्य विशेषताएँ:

  • 1894 में रूस और फ्रांस ने एक सैन्य संधि की थी।

  • 1904 में ब्रिटेन और फ्रांस ने एक समझौता (Entente Cordiale) किया।

  • 1907 में ब्रिटेन और रूस ने भी एक समझौता किया, जिससे ट्रिपल एंटेंट का निर्माण हुआ।


2.3 गठबंधन प्रणाली कैसे युद्ध का कारण बनी?

2.3.1 यूरोप दो विरोधी गुटों में बंट गया

  • ट्रिपल एलायंस और ट्रिपल एंटेंट ने यूरोप को दो विरोधी गुटों में बांट दिया।

  • किसी एक देश पर हमला होने पर पूरा यूरोप युद्ध में कूद पड़ा।

2.3.2 छोटे संघर्ष भी बड़े युद्ध में बदल गए

  • 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या के बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर हमला किया।

  • रूस ने सर्बिया का समर्थन किया, जिससे जर्मनी (जो ऑस्ट्रिया-हंगरी का सहयोगी था) ने रूस और फ्रांस के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

  • ब्रिटेन ने भी फ्रांस और रूस का समर्थन किया, जिससे पूरा यूरोप युद्ध में फंस गया।

2.3.3 गुप्त संधियाँ और गलतफहमियाँ

  • कई संधियाँ गुप्त थीं, जिससे देशों को अपने दुश्मनों की ताकत का सही अंदाजा नहीं था।

  • जर्मनी को लगा कि ब्रिटेन युद्ध में शामिल नहीं होगा, लेकिन जैसे ही जर्मनी ने बेल्जियम पर हमला किया, ब्रिटेन भी युद्ध में कूद पड़ा।


2.4 गठबंधन प्रणाली के प्रभाव

प्रभावविवरण
युद्ध का विस्तारस्थानीय संघर्ष विश्व युद्ध में बदल गया।
यूरोप का ध्रुवीकरणदो विरोधी गुट बनने से तनाव बढ़ा।
छोटे देशों का भी युद्ध में आनागठबंधन के कारण छोटे-छोटे देशों को भी युद्ध में भाग लेना पड़ा।
शांति की विफलतागठबंधन युद्ध को रोकने में असफल रहे, बल्कि उन्होंने इसे और भड़का दिया।

3. साम्राज्यवाद (Imperialism)

साम्राज्यवाद (Imperialism) वह नीति या प्रक्रिया है जिसमें एक मजबूत देश अपनी शक्ति का विस्तार दूसरे देशों या क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करके करता है। यह नियंत्रण राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या सैन्य रूप में हो सकता है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में यूरोपीय देशों के बीच साम्राज्य विस्तार की होड़ लगी थी, और यही साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा प्रथम विश्व युद्ध (World War 1) के प्रमुख कारणों में से एक बनी।


3.1 साम्राज्यवाद की परिभाषा और महत्व

साम्राज्यवाद का अर्थ है किसी देश का अपनी सीमाओं से बाहर जाकर दूसरे देशों या क्षेत्रों पर शासन करना और उनका शोषण करना। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों, नए बाजारों और राजनीतिक प्रभाव का विस्तार करना था।

19वीं शताब्दी के अंत तक, यूरोप के लगभग सभी बड़े देश अफ्रीका, एशिया और अन्य क्षेत्रों में उपनिवेश (colonies) बना चुके थे। इस विस्तारवादी नीति ने देशों के बीच संघर्ष और तनाव को जन्म दिया, जिससे अंततः प्रथम विश्व युद्ध भड़क उठा।


3.2 यूरोपीय साम्राज्यवाद की पृष्ठभूमि

औद्योगिक क्रांति के बाद यूरोपीय देशों को कच्चे माल और नए बाजारों की जरूरत थी। इस वजह से उन्होंने अपने साम्राज्यों का विस्तार करना शुरू किया। प्रमुख साम्राज्यवादी शक्तियाँ थीं:

  • ब्रिटेन – भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे कई उपनिवेश

  • फ्रांस – उत्तरी अफ्रीका, वियतनाम, कैरेबियन क्षेत्र

  • जर्मनी – अफ्रीका के कुछ हिस्से, प्रशांत द्वीप समूह

  • इटली – लीबिया और अफ्रीका के अन्य क्षेत्र

  • रूस – मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप में विस्तार

  • जापान – कोरिया और चीन के कुछ भाग

ये देश एक-दूसरे के उपनिवेशों पर कब्जा करना चाहते थे, जिससे आपसी तनाव बढ़ा और अंततः यह युद्ध का कारण बना।


3.3 प्रथम विश्व युद्ध में साम्राज्यवाद की भूमिका

3.3.1 अफ्रीका और एशिया में प्रतिस्पर्धा

यूरोपीय शक्तियाँ अफ्रीका और एशिया में उपनिवेशों के लिए संघर्ष कर रही थीं। विशेष रूप से, ब्रिटेन और फ्रांस के पास विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य थे, जबकि जर्मनी और इटली को उतने उपनिवेश नहीं मिले थे। इससे जर्मनी नाराज था और वह अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।

  • बर्लिन सम्मेलन (1884-85) – इस सम्मेलन में यूरोपीय देशों ने अफ्रीका के विभाजन पर सहमति बनाई, लेकिन इसके बावजूद जर्मनी और ब्रिटेन-फ्रांस के बीच टकराव बना रहा।

  • मोरक्को संकट (1905 और 1911) – जर्मनी ने फ्रांस के मोरक्को उपनिवेश पर दावा किया, जिससे युद्ध जैसी स्थिति बन गई। हालांकि, फ्रांस और ब्रिटेन ने मिलकर जर्मनी को रोक दिया। यह तनाव बाद में प्रथम विश्व युद्ध में बदल गया।

3.3.2 बाल्कन क्षेत्र और ऑस्ट्रिया-हंगरी का विस्तार

बाल्कन क्षेत्र (Balkans) साम्राज्यवाद का एक प्रमुख केंद्र था, जहाँ रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ओटोमन साम्राज्य अपने प्रभाव के लिए संघर्ष कर रहे थे।

  • ऑस्ट्रिया-हंगरी ने बोस्निया और हर्ज़ेगोविना पर कब्जा कर लिया, जिससे सर्बिया और रूस नाराज हो गए।

  • रूस खुद को स्लाव (Slavic) देशों का रक्षक मानता था, इसलिए उसने ऑस्ट्रिया-हंगरी का विरोध किया।

  • बाल्कन युद्धों (1912-1913) के दौरान ऑस्ट्रिया और रूस के बीच तनाव और बढ़ गया।

3.3.3 ब्रिटेन-जर्मनी के बीच नौसेना प्रतिस्पर्धा

साम्राज्यवाद के कारण जर्मनी और ब्रिटेन के बीच भी टकराव था।

  • जर्मनी ने ब्रिटेन की तरह एक बड़ा साम्राज्य बनाने की कोशिश की।

  • दोनों देशों ने अपनी नौसेना शक्ति बढ़ाई और एक-दूसरे को टक्कर देने के लिए नए जहाज बनाए।

  • ब्रिटेन को जर्मनी की शक्ति बढ़ने से खतरा महसूस हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच दुश्मनी बढ़ गई।

3.3.4 प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत

28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या सर्बिया के एक राष्ट्रवादी द्वारा कर दी गई।

  • इस हत्या के पीछे राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद दोनों का बड़ा योगदान था।

  • ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर हमला कर दिया, जिससे युद्ध शुरू हो गया।

  • जर्मनी, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन भी इस युद्ध में शामिल हो गए, जिससे यह एक वैश्विक संघर्ष बन गया।


3.4 साम्राज्यवाद के प्रभाव और परिणाम

3.4.1 युद्ध का वैश्विक रूप लेना

साम्राज्यवाद के कारण यह युद्ध यूरोप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरी दुनिया में फैल गया।

  • ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने उपनिवेशों से सैनिक बुलाए।

  • भारतीय, अफ्रीकी और एशियाई सैनिकों ने यूरोपीय देशों की ओर से लड़ाई लड़ी।

  • जर्मनी और ऑटोमन साम्राज्य ने भी अपने क्षेत्रों में लड़ाई शुरू की।

3.4.2 आर्थिक संकट और संसाधनों की लूट

युद्ध के दौरान उपनिवेशों का जमकर शोषण हुआ।

  • भारत, अफ्रीका और अन्य उपनिवेशों से भारी मात्रा में धन, अनाज और सैनिक लिए गए।

  • युद्ध के बाद उपनिवेशों में स्वतंत्रता आंदोलनों की शुरुआत हुई।

3.4.3 साम्राज्यवाद का पतन

युद्ध के बाद कई साम्राज्य कमजोर हो गए:

  • ऑटोमन साम्राज्य (तुर्की) पूरी तरह समाप्त हो गया।

  • ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य का विभाजन हो गया।

  • ब्रिटेन और फ्रांस को भारी आर्थिक नुकसान हुआ, जिससे उनके उपनिवेश धीरे-धीरे स्वतंत्र होने लगे।

  • रूस में क्रांति (1917) हो गई और वहाँ साम्राज्यवाद समाप्त हो गया।

4. राष्ट्रवाद (Nationalism)

राष्ट्रवाद (Nationalism) प्रथम विश्व युद्ध (World War 1) के प्रमुख कारणों में से एक था। इस विचारधारा के तहत लोग अपने राष्ट्र, संस्कृति, भाषा और परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं। जब राष्ट्रवाद चरम पर पहुँचता है, तो यह दूसरे देशों या समुदायों के प्रति प्रतिस्पर्धा और संघर्ष को जन्म देता है। 19वीं और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में यूरोप में बढ़ते राष्ट्रवाद ने युद्ध का माहौल तैयार कर दिया था।


4.1 राष्ट्रवाद की परिभाषा

राष्ट्रवाद वह भावना है जिसमें लोग अपने देश, भाषा, संस्कृति और परंपराओं को सर्वोच्च मानते हैं और अन्य देशों से श्रेष्ठ मानने लगते हैं। यह भावना किसी राष्ट्र को एकजुट कर सकती है, लेकिन जब यह अतिवादी रूप ले लेती है, तो यह संघर्ष और युद्ध का कारण भी बन सकती है।


4.2 यूरोप में राष्ट्रवाद और प्रथम विश्व युद्ध

यूरोप में 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में राष्ट्रवाद बहुत प्रभावी हो चुका था। इसकी वजह से कई देश अपनी शक्ति बढ़ाने और अपने राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य हितों को बढ़ावा देने में लग गए।

4.2.1 बाल्कन क्षेत्र और राष्ट्रवादी तनाव

बाल्कन क्षेत्र (Balkan Region) जिसे “यूरोप का पाउडर केग” (Powder Keg of Europe) कहा जाता था, वहां राष्ट्रवाद बहुत तीव्र था। यह क्षेत्र ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और रूस के प्रभाव में था, लेकिन यहाँ के स्लाव (Slavs) लोग अपनी स्वतंत्रता चाहते थे।

  • सर्बिया (Serbia) ने स्लाव राष्ट्रवाद (Slavic Nationalism) को बढ़ावा दिया और एक “महान स्लाव राष्ट्र” बनाने की कोशिश की।

  • ऑस्ट्रिया-हंगरी इस राष्ट्रवादी आंदोलन को दबाना चाहता था।

  • 28 जून 1914 को सर्बियाई राष्ट्रवादी गुप्त संगठन ‘ब्लैक हैंड’ (Black Hand) के एक सदस्य गावरिलो प्रिंसिप (Gavrilo Princip) ने ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार अर्चड्युक फ्रांज फर्डिनेंड (Archduke Franz Ferdinand) की हत्या कर दी।

  • इस घटना ने प्रथम विश्व युद्ध को शुरू करने वाली चिंगारी का काम किया।


4.2.2 जर्मनी और उग्र राष्ट्रवाद

जर्मनी में भी राष्ट्रवाद बहुत तेज़ी से बढ़ रहा था।

  • “पैंगर्मनिज्म” (Pan-Germanism) – जर्मनी ने पूरे यूरोप में जर्मन भाषी लोगों को एकजुट करने की नीति अपनाई थी।

  • जर्मन जनता को विश्वास था कि उनका देश सैन्य और आर्थिक रूप से सबसे शक्तिशाली बन सकता है।

  • जर्मनी ने ब्रिटेन और फ्रांस की औपनिवेशिक ताकतों को चुनौती देना शुरू कर दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ा।


4.2.3 फ्रांस और प्रतिशोध की भावना

  • 1871 में जर्मनी ने फ्रांस को फ्रैंको-प्रशियन युद्ध (Franco-Prussian War) में हरा दिया था और फ्रांस के एलसास-लोरेन (Alsace-Lorraine) क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।

  • फ्रांस में राष्ट्रवाद की भावना इतनी प्रबल थी कि वे इस क्षेत्र को वापस पाना चाहते थे।

  • फ्रांसीसी सरकार और जनता जर्मनी से बदला लेने के लिए तैयार थी, जिससे युद्ध की स्थिति बनी रही।


4.2.4 ब्रिटेन और साम्राज्यवादी राष्ट्रवाद

  • ब्रिटेन ने अपनी नौसेना और उपनिवेशों के कारण खुद को दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति माना।

  • ब्रिटेन को जर्मनी की बढ़ती शक्ति से खतरा महसूस होने लगा।

  • दोनों देशों में श्रेष्ठता की होड़ ने सैन्य प्रतिद्वंद्विता और तनाव को बढ़ाया।


4.2.5 रूस और स्लाव राष्ट्रवाद

  • रूस खुद को स्लाव लोगों का रक्षक मानता था।

  • जब सर्बिया पर ऑस्ट्रिया-हंगरी ने हमला किया, तो रूस ने सर्बिया का समर्थन किया।

  • इससे यूरोप में युद्ध का दायरा बढ़ गया और कई देश इसमें शामिल हो गए।


4.3 प्रथम विश्व युद्ध में राष्ट्रवाद की भूमिका

राष्ट्रवाद ने युद्ध को और भी भयावह बना दिया क्योंकि:

  1. देशों ने युद्ध को गर्व और सम्मान का विषय बना लिया। युद्ध को अपने राष्ट्र की प्रतिष्ठा बचाने के रूप में देखा गया।

  2. युद्ध में शामिल होने से जनता का समर्थन बढ़ा। हर देश की जनता अपने राष्ट्र के लिए लड़ने को तैयार थी।

  3. युद्ध की अवधि बढ़ गई। हर देश ने अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए ज्यादा समय तक युद्ध किया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)

MCQ प्रश्न और उत्तर विस्तृत व्याख्या सहित

प्रश्न 1: प्रथम विश्व युद्ध कब शुरू हुआ था?

A) 1910
B) 1912
C) 1914
D) 1918

उत्तर: C) 1914

📖 व्याख्या:
प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ। इसकी शुरुआत ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा सर्बिया पर युद्ध की घोषणा से हुई। यह युद्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका तक फैल गया और दुनिया के कई बड़े देशों को इसमें शामिल होना पड़ा।


प्रश्न 2: प्रथम विश्व युद्ध के चार प्रमुख कारण कौन-कौन से थे?

A) सैन्यवाद, समाजवाद, उपनिवेशवाद, क्रांति
B) सैन्यवाद, गठबंधन, साम्राज्यवाद, राष्ट्रवाद
C) युद्ध, क्रांति, उपनिवेशवाद, लोकतंत्र
D) लोकतंत्र, पूंजीवाद, समाजवाद, युद्ध

उत्तर: B) सैन्यवाद, गठबंधन, साम्राज्यवाद, राष्ट्रवाद

📖 व्याख्या:
प्रथम विश्व युद्ध के चार मुख्य कारण निम्नलिखित थे:

  1. सैन्यवाद (Militarism) – देशों के बीच हथियारों और सैन्य शक्ति बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा।

  2. गठबंधन (Alliances) – विभिन्न देशों के बीच आपसी सुरक्षा समझौते, जिससे छोटे विवाद भी बड़े युद्ध में बदल गए।

  3. साम्राज्यवाद (Imperialism) – शक्तिशाली देशों द्वारा कमजोर देशों पर कब्जा करने की नीति।

  4. राष्ट्रवाद (Nationalism) – अपनी जातीय पहचान और राष्ट्र को सर्वोच्च मानने की भावना, जिसने युद्ध को बढ़ावा दिया।


प्रश्न 3: प्रथम विश्व युद्ध में कौन-कौन से दो गठबंधन आपस में लड़े?

A) मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र
B) त्रिपक्षीय संधि और त्रैतीय संधान
C) सहयोगी शक्तियाँ और केंद्रीय शक्तियाँ
D) नाटो और वारसा संधि

उत्तर: C) सहयोगी शक्तियाँ और केंद्रीय शक्तियाँ

📖 व्याख्या:
प्रथम विश्व युद्ध में दो मुख्य पक्ष थे:

  1. सहयोगी शक्तियाँ (Allied Powers) – इसमें ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, इटली (1915 के बाद), अमेरिका (1917 में) और जापान शामिल थे।

  2. केंद्रीय शक्तियाँ (Central Powers) – इसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया शामिल थे।


प्रश्न 4: सैन्यवाद (Militarism) से क्या तात्पर्य है?

A) व्यापार का विस्तार
B) सेना और हथियारों की शक्ति बढ़ाना
C) शांतिपूर्ण नीतियों को अपनाना
D) लोकतंत्र को बढ़ावा देना

उत्तर: B) सेना और हथियारों की शक्ति बढ़ाना

📖 व्याख्या:
सैन्यवाद का अर्थ है कि किसी देश की सरकार और समाज युद्ध और सेना को प्राथमिकता देने लगें। प्रथम विश्व युद्ध से पहले, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और रूस जैसे देश अपनी सेना और नौसेना को लगातार बढ़ा रहे थे। इससे एक प्रकार की प्रतिस्पर्धा बनी और युद्ध की आशंका बढ़ गई।


प्रश्न 5: प्रथम विश्व युद्ध का मुख्य तात्कालिक कारण क्या था?

A) रूस का ऑस्ट्रिया-हंगरी पर हमला
B) ब्रिटेन और जर्मनी के बीच व्यापार युद्ध
C) ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या
D) जर्मनी का फ्रांस पर आक्रमण

उत्तर: C) ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या

📖 व्याख्या:
28 जून 1914 को सर्बियाई राष्ट्रवादी संगठन “ब्लैक हैंड” के सदस्य गावरिलो प्रिंसिप ने ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या कर दी। इसके बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा कर दी, जिससे युद्ध की चिंगारी भड़क उठी।


प्रश्न 6: जर्मनी और ब्रिटेन के बीच किस चीज की होड़ लगी थी?

A) आर्थिक सुधार
B) औपनिवेशिक शक्ति
C) नौसेना विस्तार
D) शिक्षा व्यवस्था

उत्तर: C) नौसेना विस्तार

📖 व्याख्या:
ब्रिटेन और जर्मनी दोनों अपनी नौसेना शक्ति बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। ब्रिटेन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना थी, लेकिन जर्मनी ने अपनी नौसेना को ब्रिटेन के बराबर लाने के लिए बड़े पैमाने पर हथियार निर्माण किया।


प्रश्न 7: “त्रैतीय संधान” (Triple Alliance) में कौन-कौन से देश शामिल थे?

A) ब्रिटेन, फ्रांस, रूस
B) जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, इटली
C) अमेरिका, रूस, जापान
D) फ्रांस, जर्मनी, रूस

उत्तर: B) जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, इटली

📖 व्याख्या:
1882 में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली ने एक सैन्य गठबंधन बनाया जिसे “त्रैतीय संधान” (Triple Alliance) कहा जाता है।


प्रश्न 8: साम्राज्यवाद (Imperialism) क्या है?

A) किसी देश का अपने साम्राज्य का विस्तार करना
B) व्यापारिक समझौता
C) लोकतंत्र को बढ़ावा देना
D) युद्ध को रोकने की नीति

उत्तर: A) किसी देश का अपने साम्राज्य का विस्तार करना

📖 व्याख्या:
साम्राज्यवाद का अर्थ है कि एक देश दूसरे देश पर नियंत्रण कर उसके संसाधनों का शोषण करे। प्रथम विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और इटली नए उपनिवेशों की तलाश में थे, जिससे उनके बीच संघर्ष बढ़ा।


प्रश्न 9: कौन-सा देश सबसे बड़ा औपनिवेशिक साम्राज्य था?

A) जर्मनी
B) फ्रांस
C) ब्रिटेन
D) रूस

उत्तर: C) ब्रिटेन

📖 व्याख्या:
ब्रिटेन के पास सबसे बड़ा औपनिवेशिक साम्राज्य था, जिसे “सूर्य कभी अस्त न होने वाला साम्राज्य” कहा जाता था।


प्रश्न 10: “ब्लैक हैंड” संगठन का संबंध किस देश से था?

A) ऑस्ट्रिया-हंगरी
B) जर्मनी
C) सर्बिया
D) रूस

उत्तर: C) सर्बिया

📖 व्याख्या:
“ब्लैक हैंड” एक सर्बियाई राष्ट्रवादी संगठन था जिसने ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या की थी।

प्रश्न 11: कौन-सा देश प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तटस्थ (Neutral) बना रहा?

A) स्पेन
B) जर्मनी
C) रूस
D) फ्रांस

उत्तर: A) स्पेन

📖 व्याख्या:
स्पेन ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया और तटस्थ बना रहा। इसके अलावा, स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और डेनमार्क भी युद्ध में शामिल नहीं हुए थे।


प्रश्न 12: कौन-सा कारण मुख्य रूप से “गठबंधन प्रणाली” को बढ़ावा देने में जिम्मेदार था?

A) व्यापारिक प्रतिस्पर्धा
B) सैन्यवाद
C) साम्राज्यवाद
D) युद्ध के डर से सुरक्षा समझौते

उत्तर: D) युद्ध के डर से सुरक्षा समझौते

📖 व्याख्या:
यूरोपीय देशों ने एक-दूसरे से सुरक्षा के लिए गठबंधन बनाए। यह गठबंधन जबरदस्ती किए गए समझौतों की तरह थे, और जब एक देश युद्ध में गया, तो उसके सहयोगी भी युद्ध में खिंच गए। इससे युद्ध का दायरा और बढ़ गया।


प्रश्न 13: प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका कब शामिल हुआ?

A) 1914
B) 1915
C) 1917
D) 1918

उत्तर: C) 1917

📖 व्याख्या:
अमेरिका शुरू में युद्ध से बाहर रहा, लेकिन जब जर्मनी ने 1917 में अमेरिकी जहाजों पर पनडुब्बी हमले शुरू किए और “ज़िम्मरमैन टेलीग्राम” में जर्मनी ने मेक्सिको को अमेरिका पर हमला करने के लिए उकसाया, तब अमेरिका ने युद्ध में प्रवेश किया।


प्रश्न 14: कौन-सा समझौता प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के लिए बहुत कठोर सिद्ध हुआ?

A) वारसा संधि
B) वर्साय संधि
C) बर्लिन संधि
D) पेरिस संधि

उत्तर: B) वर्साय संधि

📖 व्याख्या:
1919 में हुई वर्साय संधि (Treaty of Versailles) के अनुसार, जर्मनी को अपनी सेना सीमित करनी पड़ी, उसे भारी हर्जाना भरना पड़ा, और उसके कई क्षेत्रों पर मित्र राष्ट्रों ने कब्जा कर लिया।


प्रश्न 15: “राष्ट्रवाद” का क्या प्रभाव पड़ा जिससे युद्ध हुआ?

A) देशों ने अपनी सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा दिया
B) देशों में एकता आई
C) विभिन्न राष्ट्रों में एक-दूसरे के प्रति दुश्मनी बढ़ी
D) अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित हुई

उत्तर: C) विभिन्न राष्ट्रों में एक-दूसरे के प्रति दुश्मनी बढ़ी

📖 व्याख्या:
राष्ट्रवाद के कारण लोग अपने देश को सबसे श्रेष्ठ मानने लगे। इससे विभिन्न देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और नफरत बढ़ी। विशेष रूप से सर्बिया और ऑस्ट्रिया-हंगरी के बीच यह तनाव अधिक था।


प्रश्न 16: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किस नई युद्ध तकनीक का इस्तेमाल किया गया था?

A) तलवारबाजी
B) ट्रेंच वॉरफेयर (खाइयों में युद्ध)
C) रॉकेट हमला
D) साइबर युद्ध

उत्तर: B) ट्रेंच वॉरफेयर (खाइयों में युद्ध)

📖 व्याख्या:
प्रथम विश्व युद्ध में खाइयों में युद्ध (Trench Warfare) का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया गया। सैनिकों को खाइयों में रहना पड़ता था, जिससे युद्ध वर्षों तक खिंच गया और अत्यधिक जनहानि हुई।


प्रश्न 17: कौन-सा देश सबसे पहले युद्ध में शामिल हुआ?

A) ऑस्ट्रिया-हंगरी
B) जर्मनी
C) फ्रांस
D) ब्रिटेन

उत्तर: A) ऑस्ट्रिया-हंगरी

📖 व्याख्या:
ऑस्ट्रिया-हंगरी ने 28 जुलाई 1914 को सर्बिया पर हमला किया, जिससे युद्ध की शुरुआत हुई। इसके बाद जर्मनी, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस भी युद्ध में शामिल हो गए।


प्रश्न 18: जर्मनी ने किस योजना के तहत फ्रांस पर हमला किया?

A) मार्शल प्लान
B) श्लीफेन योजना
C) ट्रूमैन डॉक्ट्रिन
D) डावेस प्लान

उत्तर: B) श्लीफेन योजना

📖 व्याख्या:
श्लीफेन योजना (Schlieffen Plan) जर्मनी की रणनीति थी, जिसमें उसने बेल्जियम के रास्ते फ्रांस पर तेजी से हमला किया ताकि रूस को जवाब देने से पहले फ्रांस को हराया जा सके।


प्रश्न 19: रूस ने युद्ध में किस कारण से प्रवेश किया?

A) ऑस्ट्रिया-हंगरी ने रूस पर हमला किया
B) सर्बिया की रक्षा के लिए
C) ब्रिटेन ने रूस को युद्ध में शामिल होने को कहा
D) जर्मनी ने रूस पर हमला किया

उत्तर: B) सर्बिया की रक्षा के लिए

📖 व्याख्या:
रूस ने खुद को स्लाव (Slavic) राष्ट्रों का रक्षक माना और जब ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर हमला किया, तो रूस ने सर्बिया का समर्थन किया और जर्मनी ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।


प्रश्न 20: कौन-सा देश युद्ध में बाद में शामिल हुआ लेकिन निर्णायक भूमिका निभाई?

A) अमेरिका
B) इटली
C) जापान
D) तुर्की

उत्तर: A) अमेरिका

📖 व्याख्या:
अमेरिका 1917 में युद्ध में शामिल हुआ और उसने मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) को महत्वपूर्ण सैन्य और आर्थिक सहायता दी, जिससे युद्ध का रुख बदल गया और मित्र राष्ट्रों की जीत हुई।


प्रश्न 21: प्रथम विश्व युद्ध का अंत किस संधि के साथ हुआ?

A) पेरिस संधि
B) बर्लिन संधि
C) वर्साय संधि
D) रोम संधि

उत्तर: C) वर्साय संधि

📖 व्याख्या:
11 नवंबर 1918 को युद्ध समाप्त हुआ और 28 जून 1919 को वर्साय संधि (Treaty of Versailles) पर हस्ताक्षर हुए। इसमें जर्मनी को युद्ध का दोषी ठहराया गया और भारी हर्जाना भरने के लिए मजबूर किया गया।

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