आधुनिक विश्व में घुमंतू पशुपालक (Pastoralists in the Modern World)
इस अध्याय में घुमंतू पशुपालकों (Pastoral Nomads) की जीवनशैली, उनके द्वारा अपनाए गए मार्गों, उनके व्यवसाय, तथा औपनिवेशिक शासन में उनके जीवन में आए परिवर्तनों का अध्ययन किया गया है। यह अध्याय भारत और अफ्रीका दोनों के संदर्भ में पशुपालकों के सामाजिक और आर्थिक जीवन की तुलना प्रस्तुत करता है।सारांश (Summary in Hindi)
आधुनिक विश्व में घुमंतू पशुपालक अध्याय में उन समुदायों की कहानी है जो पशुओं को पालकर और उन्हें चराकर जीवनयापन करते हैं। ये लोग एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहते, बल्कि अपने पशुओं के लिए अच्छे चरागाह की खोज में लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। ये समुदाय अपने-अपने क्षेत्रों में मौसम, जलवायु और भूमि की स्थिति के अनुसार स्थान परिवर्तन करते हैं।
🐑 भारत में घुमंतू पशुपालक समुदायों की स्थिति
भारत में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में कई प्रकार के घुमंतू पशुपालक पाए जाते हैं:
हिमालय क्षेत्र में ‘गड्डी’ और ‘बकवाल’ जैसे समुदाय गर्मी के मौसम में ऊँचे पहाड़ों की ओर चले जाते हैं और सर्दियों में नीचे के मैदानों में आ जाते हैं।
राजस्थान और गुजरात में ‘रेबारी’ समुदाय ऊँट, भेड़ और बकरी पालते हैं और शुष्क क्षेत्रों में अपने पशुओं को लेकर इधर-उधर घूमते हैं।
महाराष्ट्र में ‘धनगर’ लोग भेड़ पालते हैं और मानसून के दौरान अपने पशुओं को चराने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में जाते हैं।
इन समुदायों का जीवन पूरी तरह से मौसम और पशुपालन पर निर्भर करता था।
🛡️ औपनिवेशिक शासन और इसका प्रभाव
ब्रिटिश उपनिवेशवादी शासन के आने के बाद इन पशुपालकों की जीवनशैली पर गहरा प्रभाव पड़ा:
चरागाहों पर नियंत्रण: ब्रिटिश सरकार ने जंगलों को ‘सरकारी जंगल’ घोषित कर दिया और वहां चराई पर प्रतिबंध लगाया। इससे चराई योग्य भूमि कम हो गई।
कर प्रणाली: पशुपालकों से चराई कर वसूला जाने लगा। बिना कर दिए किसी क्षेत्र में पशु चराने की अनुमति नहीं थी।
लाइसेंस प्रणाली: केवल उन्हीं लोगों को चराई की अनुमति मिलती थी जिनके पास सरकार से लाइसेंस होता था।
सीमाएँ और रोक-टोक: पशुपालकों के पारंपरिक मार्गों पर सीमा नियंत्रण लगाया गया जिससे उनका घूमना बाधित हुआ।
इन नीतियों के कारण घुमंतू समुदायों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, उनके पारंपरिक जीवन पर संकट आ गया और कुछ समुदाय तो पूरी तरह से नष्ट हो गए।
🌍 अफ्रीका में पशुपालक समुदायों की स्थिति
अफ्रीका में भी घुमंतू पशुपालक जैसे:
मसी मारा (Masai Mara) – केन्या और तंजानिया क्षेत्र में गाय पालने वाले समुदाय।
बेडौइन (Bedouin) – उत्तरी अफ्रीका में ऊँट पालने वाले समुदाय।
बोराना (Borana) – पूर्वी अफ्रीका में भेड़ और बकरी पालने वाले लोग।
इन पर भी यूरोपीय उपनिवेशवादी शक्तियों ने भारी नियंत्रण लगाया। उनकी भूमि छीन ली गई, आधुनिक सीमाएँ खींच दी गईं, और उन्हें कृषि करने या एक ही स्थान पर बसने के लिए मजबूर किया गया।
घुमंतू पशुपालक समाज पारंपरिक और प्राकृतिक जीवन जीते थे।
औपनिवेशिक शासनों ने उनकी स्वतंत्रता और संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की।
आधुनिक सीमाओं, नीतियों और कर प्रणाली ने उनके लिए जीवन कठिन बना दिया।
इसके बावजूद कुछ समुदायों ने नए तरीके अपनाकर अपने अस्तित्व को बनाए रखा।
शब्दार्थ (Glossary)
शब्द | अर्थ |
---|---|
घुमंतू पशुपालक | वे लोग जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर पशुओं को चराने के लिए घूमते रहते हैं। |
चरागाह | वह क्षेत्र जहाँ पशु घास चरते हैं। |
औपनिवेशिक शासन | विदेशी शक्तियों द्वारा देश पर किया गया शासन जैसे - ब्रिटिश राज। |
लाइसेंस प्रणाली | सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुमति प्रणाली जिसके बिना कार्य करना अवैध होता है। |
चराई कर | पशुओं को चराने के बदले सरकार द्वारा लिया जाने वाला कर। |
सरकारी जंगल | जंगल जिन्हें सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया और आम जनता की पहुँच रोक दी। |
प्रवासन (Migration) | मौसम या आवश्यकता के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा। |
शुष्क क्षेत्र | ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा बहुत कम होती है और भूमि सूखी होती है। |
स्थायी कृषि | एक ही स्थान पर रहकर की जाने वाली खेती। |
संक्रमण काल | जब कोई व्यवस्था बदलती है जैसे पारंपरिक से आधुनिक व्यवस्था में बदलाव। |
विचलन | सामान्य स्थिति या मार्ग से हट जाना। |
भूमि हड़पना (Land Grabbing) | जब ताकतवर लोग ज़मीन पर ज़बरदस्ती कब्ज़ा कर लेते हैं। |
आजीविका | जीवन यापन के लिए किया जाने वाला कार्य या साधन। |
मसी मारा | केन्या और तंजानिया में रहने वाला एक घुमंतू पशुपालक समुदाय। |
धनगर | महाराष्ट्र का एक घुमंतू पशुपालक समुदाय जो भेड़ पालता है। |
रेबारी | गुजरात और राजस्थान के घुमंतू पशुपालक जो ऊँट भेड़ और बकरी पालते हैं। |
माइंड मैप (Mind Map)
टाइमलाइन (Timeline)
साल(काल) | घटना (विवरण) |
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18वीं सदी (1700s) | भारत और अफ्रीका में घुमंतू पशुपालकों की पारंपरिक आजीविका प्रचलन में थी। |
19वीं सदी की शुरुआत | ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा जंगलों पर नियंत्रण शुरू किया गया। |
1800 के दशक में | कई स्थानों पर लाइसेंस प्रणाली और चराई कर लागू किए गए। |
1850 के बाद | भारत में रेलवे सड़क और कृषि विस्तार की वजह से चरागाहों की कमी होने लगी। |
1880 के दशक | अंग्रेजों ने ‘रिज़र्व फॉरेस्ट्स’ की घोषणा की और ग्रामीणों की पहुँच पर प्रतिबंध लगाए। |
1890–1900 | अफ्रीका के मसी मारा जैसे समुदायों को जमीन से बेदखल किया गया। |
1900–1947 | घुमंतू पशुपालकों को स्थायी कृषि और लाइसेंस प्रणाली के ज़रिये नियंत्रित किया गया। |
1947 (भारत की आज़ादी) | स्वतंत्र भारत में भी कई पारंपरिक पशुपालकों को आजीविका की नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। |
आधुनिक काल | कई समुदायों ने खेती बागवानी या मजदूरी को अपनाया.. कुछ अब भी सीमित रूप में घुमंतू जीवन जीते हैं। |
मैप वर्क (Map Work)
📍 भारत में प्रमुख घुमंतू पशुपालक समुदाय और उनके प्रवास क्षेत्र
घुमंतू समुदाय का नाम | मुख्य राज्य / क्षेत्र | प्रमुख प्रवास/चराई मार्ग |
---|---|---|
रेबारी | गुजरात, राजस्थान | कच्छ से दक्षिण राजस्थान और मध्य गुजरात की ओर |
गड्डी | हिमाचल प्रदेश | ऊँचे पहाड़ों (गर्मी में) से निचले मैदानों (सर्दी में) की ओर |
गुज्जर-भाकरवाल | जम्मू और कश्मीर | कश्मीर घाटी से जम्मू के तराई क्षेत्रों की ओर |
धनगर | महाराष्ट्र | पश्चिमी घाट से पंढरपुर क्षेत्र तक |
बंजारा | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान | नमक, अनाज, लकड़ी आदि की आवाजाही हेतु भारत के विभिन्न हिस्सों में |
कुरुबा | कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु | जंगलों के किनारे क्षेत्रों में बकरियाँ और भेड़ें चराना |
➡️ पढ़ाते समय छात्रों से कहें कि वे इन समुदायों को भारत के राजनीतिक मानचित्र में चिह्नित करें और उनके प्रवास मार्गों को तीर (arrow) से दर्शाएँ।
🌍 अफ्रीका में प्रमुख पशुपालक जनजातियाँ
समुदाय का नाम | देश / क्षेत्र | विशेषता / जानकारी |
---|---|---|
मसी मारा | केन्या और तंज़ानिया | गायों की चराई, पारंपरिक जीवन, ब्रिटिश शासन काल में भूमि से बेदखल |
बोराना | इथियोपिया, केन्या | ऊँट और मवेशियों का पालन, शुष्क क्षेत्र में जीवन |
➡️ अफ्रीका के महाद्वीपीय मानचित्र में इन क्षेत्रों को दिखाएं। छात्रों से “Equator” के पास इन जनजातियों का स्थान दिखाने को कहें।
विद्यार्थियों से प्रवास मार्गों को अलग रंगों से दर्शाने को कहें – जैसे रेबारी के लिए हरा, गड्डी के लिए नीला।
छात्रों को राजनीतिक और भौगोलिक मानचित्र का अंतर भी समझाएं।
मैप प्रैक्टिस (Map Practice)
🗺️ A. भारत का राजनीतिक नक्शा (India Political Map)
निम्नलिखित कार्य करें…
निम्नलिखित घुमंतू पशुपालक समुदायों को उनके संबंधित क्षेत्रों में चिह्नित करें:
रेबारी
गड्डी
गुज्जर-भाकरवाल
धनगर
बंजारा
कुरुबा
तीर (arrow) की सहायता से इनका प्रवास मार्ग नक्शे में दर्शाएँ।
(उदाहरण: रेबारी – कच्छ से दक्षिण राजस्थान की ओर)कम से कम दो ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ वाले क्षेत्रों को चिह्नित करें जहाँ ब्रिटिश काल में घुमंतुओं को प्रतिबंधित किया गया था।
मध्य भारत (मध्य प्रदेश के जंगल)
पश्चिमी घाट (कर्नाटक के जंगल)
तीन प्रमुख चरागाह क्षेत्र चिह्नित करें:
कच्छ का रण
हिमालय की तलहटी
महाराष्ट्र के पठारी क्षेत्र
🌍 B. अफ्रीका का महाद्वीप नक्शा (Africa Continent Map)
निम्नलिखित कार्य करें…
निम्नलिखित समुदायों को उनके देशों में चिह्नित करें:
मसी मारा (केन्या, तंज़ानिया)
बोराना (इथियोपिया, केन्या)
इन क्षेत्रों को रंगीन बिंदुओं से दर्शाएं और यह भी दिखाएं कि किस तरह औपनिवेशिक काल में इन्हें उनके पारंपरिक क्षेत्र से हटाया गया था।
✅ प्रश्न (Map-based Questions):
रेबारी समुदाय का मुख्य प्रवास मार्ग कौन-सा है? नक्शे में दिखाइए।
गड्डी समुदाय किस राज्य से संबंधित है और उनका प्रवास किस दिशा में होता है?
ब्रिटिश शासन के दौरान किन दो क्षेत्रों में ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ बनाए गए थे? नक्शे में दर्शाइए।
अफ्रीका में मसी मारा जनजाति किस देश में निवास करती है? उसे चिह्नित कीजिए।
📌 सहायक संकेत (Hints for Students)
दिशाओं (North, South, East, West) का ध्यान रखें।
तीरों द्वारा प्रवास मार्ग दिखाएँ।
मानचित्र में रंगों का प्रयोग करें:
🔵 नीला: नदी/पर्वत
🟩 हरा: चरागाह
🟥 लाल: संघर्ष क्षेत्र
🟨 पीला: कृषि में बदले गए क्षेत्र
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) उत्तर और व्याख्या
प्रश्न 1. रेबारी समुदाय मुख्यतः किस राज्य से संबंधित है?
A. पंजाब
B. गुजरात
C. ओडिशा
D. असम✅ उत्तर: B. गुजरात
व्याख्या: रेबारी समुदाय गुजरात और राजस्थान में रहते हैं और ऊँट, बकरी व भेड़ पालते हैं।प्रश्न 2. औपनिवेशिक शासन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने किस उद्देश्य से ‘रिज़र्व फॉरेस्ट्स’ घोषित किए?
A. पर्यटन के लिए
B. वन्यजीव संरक्षण के लिए
C. लकड़ी और व्यावसायिक उपयोग के लिए
D. धार्मिक उपयोग के लिए✅ उत्तर: C. लकड़ी और व्यावसायिक उपयोग के लिए
व्याख्या: अंग्रेजों ने वनों को ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ घोषित किया ताकि रेलवे स्लीपर, निर्माण और ईंधन के लिए लकड़ी मिल सके।प्रश्न 3. धनगर समुदाय किस राज्य से संबंधित है?
A. कर्नाटक
B. पंजाब
C. महाराष्ट्र
D. तमिलनाडु✅ उत्तर: C. महाराष्ट्र
व्याख्या: धनगर समुदाय महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों में निवास करते हैं और भेड़ पालते हैं।प्रश्न 4. औपनिवेशिक सरकार ने घुमंतू पशुपालकों पर कौन-सा कर लगाया था?
A. उत्पादन कर
B. चराई कर
C. शिक्षा कर
D. आयकर✅ उत्तर: B. चराई कर
व्याख्या: ब्रिटिश सरकार ने पशुओं को चराने के बदले ‘चराई कर’ लगाया, जिससे घुमंतू जीवन कठिन हो गया।प्रश्न 5. “गड्डी” समुदाय का पारंपरिक व्यवसाय क्या है?
A. कुम्हारी
B. लोहारी
C. पशुपालन
D. सिलाई✅ उत्तर: C. पशुपालन
व्याख्या: गड्डी समुदाय हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में भेड़ और बकरियाँ पालते हैं।प्रश्न 6. किस अफ्रीकी समुदाय को ब्रिटिश शासन के दौरान जमीन से बेदखल किया गया था?
A. कुरुबा
B. बंजारा
C. मसी मारा
D. धनगर✅ उत्तर: C. मसी मारा
व्याख्या: केन्या और तंज़ानिया के मसी मारा समुदाय को औपनिवेशिक शासन ने ज़मीन से बेदखल कर दिया था।प्रश्न 7. निम्नलिखित में से कौन-सा एक कारण था जिसने घुमंतू पशुपालकों के जीवन को प्रभावित किया?
A. रेलवे का विस्तार
B. अधिक वर्षा
C. व्यापार में वृद्धि
D. मुफ्त चरागाह✅ उत्तर: A. रेलवे का विस्तार
व्याख्या: रेलवे और कृषि विस्तार ने चरागाहों की जमीन घटाई जिससे पशुपालकों का पारंपरिक मार्ग बाधित हुआ।प्रश्न 8. लाइसेंस प्रणाली का उद्देश्य क्या था?
A. कृषि को बढ़ावा देना
B. पशुपालकों को नियंत्रित करना
C. शिक्षा फैलाना
D. व्यापारिक छूट देना✅ उत्तर: B. पशुपालकों को नियंत्रित करना
व्याख्या: ब्रिटिश शासन ने लाइसेंस प्रणाली के माध्यम से पशुपालकों की गतिविधियों को सीमित कर दिया।प्रश्न 9. निम्न में से किस समुदाय को कर्नाटक में पाया जाता है?
A. रेबारी
B. गड्डी
C. कुरुबा
D. मसी मारा✅ उत्तर: C. कुरुबा
व्याख्या: कुरुबा समुदाय दक्षिण भारत के जंगल क्षेत्रों में बकरी और भेड़ पालन करते हैं।प्रश्न 10. औपनिवेशिक शासन के समय पशुपालकों को सबसे बड़ा नुकसान किस रूप में हुआ?
A. सरकारी नौकरी की कमी
B. चरागाहों का समाप्त होना
C. शिक्षा का अभाव
D. आय में वृद्धि✅ उत्तर: B. चरागाहों का समाप्त होना
व्याख्या: जंगलों को रिज़र्व घोषित करने और कृषि विस्तार के कारण चरागाह समाप्त हो गए, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आया।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (20–30 शब्दों में)
प्रश्न 1. घुमंतू पशुपालक क्या होते हैं?
उत्तर: घुमंतू पशुपालक वे लोग होते हैं जो पशुओं को चराने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं और किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहते।प्रश्न 2. औपनिवेशिक शासन के दौरान घुमंतू पशुपालकों को किस समस्या का सामना करना पड़ा?
उत्तर: औपनिवेशिक शासन के दौरान घुमंतू पशुपालकों को चरागाहों की कमी और लाइसेंस प्रणाली के कारण अपनी पारंपरिक जीवनशैली को छोड़ने की मजबूरी आई।प्रश्न 3. मसी मारा समुदाय कहाँ स्थित है?
उत्तर: मसी मारा समुदाय केन्या और तंज़ानिया के सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास करता है, और यह एक घुमंतू पशुपालक समुदाय है।प्रश्न 4. ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ का क्या मतलब है?
उत्तर: रिज़र्व फॉरेस्ट वह क्षेत्र होते हैं जिन्हें औपनिवेशिक सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया था, जहाँ आम लोगों की पहुँच पर प्रतिबंध था।प्रश्न 5. चराई कर किसलिए लगाया गया था?
उत्तर: चराई कर वह कर था जिसे ब्रिटिश शासन ने घुमंतू पशुपालकों से उनके पशुओं को चराने के बदले लिया था, जिससे उनकी आजीविका पर असर पड़ा।प्रश्न 6. रेबारी समुदाय किस क्षेत्र से संबंधित है?
उत्तर: रेबारी समुदाय गुजरात और राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में निवास करता है और ऊँट, भेड़ और बकरियाँ पालता है।प्रश्न 7. घुमंतू जीवनशैली में परिवर्तन क्यों हुआ?
उत्तर: औपनिवेशिक शासन, कृषि विस्तार और भूमि अधिग्रहण के कारण घुमंतू जीवनशैली में बदलाव आया और पशुपालकों को स्थायी कृषि की ओर मोड़ा गया।प्रश्न 8. ‘लाइसेंस प्रणाली’ का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: लाइसेंस प्रणाली का उद्देश्य घुमंतू पशुपालकों की गतिविधियों को नियंत्रित करना था, ताकि सरकार के बिना अनुमति के वे किसी भी कार्य को न कर सकें।प्रश्न 9. मसी मारा समुदाय को किस कारण से परेशान किया गया?
उत्तर: मसी मारा समुदाय को ब्रिटिश शासन द्वारा उनकी पारंपरिक ज़मीन से बेदखल किया गया और उन्हें स्थायी रूप से खेती करने के लिए मजबूर किया गया।प्रश्न 10. धनगर समुदाय किस राज्य में रहता है?
उत्तर: धनगर समुदाय मुख्य रूप से महाराष्ट्र में रहता है और भेड़पालन करता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (60–80 शब्दों में)
प्रश्न 1. घुमंतू पशुपालकों के जीवन में औपनिवेशिक शासन का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: औपनिवेशिक शासन के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने जंगलों को रिज़र्व फॉरेस्ट घोषित किया और चराई कर जैसे कर लगाए। इसके परिणामस्वरूप, घुमंतू पशुपालकों को अपनी पारंपरिक जीवनशैली को छोड़ने और स्थायी खेती या अन्य आजीविका अपनाने के लिए मजबूर किया गया। इसने उनके जीवन में आर्थिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न की।प्रश्न 2. घुमंतू पशुपालकों के लिए लाइसेंस प्रणाली का क्या महत्व था?
उत्तर: लाइसेंस प्रणाली औपनिवेशिक शासन के दौरान घुमंतू पशुपालकों पर नियंत्रण रखने का एक तरीका था। इस प्रणाली के तहत, उन्हें सरकार से अनुमति प्राप्त किए बिना अपनी गतिविधियाँ करने की अनुमति नहीं थी। इससे उनकी स्वतंत्रता सीमित हो गई और उनकी पारंपरिक आजीविका में हस्तक्षेप हुआ।प्रश्न 3. मसी मारा समुदाय के बारे में बताइए।
उत्तर: मसी मारा समुदाय एक घुमंतू पशुपालक समुदाय है, जो केन्या और तंजानिया में स्थित है। यह समुदाय मुख्य रूप से मवेशियों को पालता है और परंपरागत रूप से अपनी जमीन पर घुमंतू जीवन जीता है। औपनिवेशिक शासन के दौरान, इस समुदाय को ज़मीन से बेदखल कर दिया गया और उनकी पारंपरिक आजीविका में भारी बदलाव आया।प्रश्न 4. रेबारी समुदाय का जीवनशैली क्या है और वे कहाँ रहते हैं?
उत्तर: रेबारी समुदाय मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में निवास करता है। यह समुदाय ऊँट, बकरी और भेड़ पालने का काम करता है और घुमंतू जीवन जीता है। इस समुदाय की पारंपरिक जीवनशैली को औपनिवेशिक शासन और आधुनिक विकास के कारण कई बदलावों का सामना करना पड़ा है।प्रश्न 5. ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ का क्या अर्थ है और इसका घुमंतू पशुपालकों पर क्या असर पड़ा?
उत्तर: ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ वह जंगल होते थे जिन्हें ब्रिटिश शासन ने अपनी संपत्ति के रूप में घोषित किया था, और इन क्षेत्रों में आम लोगों की पहुंच पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। घुमंतू पशुपालकों को इन जंगलों में अपने पशुओं को चराने में कठिनाई हुई, क्योंकि उन्हें इन क्षेत्रों से बाहर रखा गया और उनकी आजीविका पर असर पड़ा।प्रश्न 6. घुमंतू जीवनशैली में बदलाव के मुख्य कारण क्या थे?
उत्तर: घुमंतू जीवनशैली में बदलाव के मुख्य कारण औपनिवेशिक शासन, कृषि विस्तार और भूमि अधिग्रहण थे। इन कारणों से घुमंतू पशुपालकों के लिए चरागाहों की उपलब्धता कम हो गई और उन्हें स्थायी कृषि या अन्य आजीविका की ओर मोड़ा गया। इस बदलाव ने उनकी पारंपरिक जीवनशैली को प्रभावित किया।प्रश्न 7. घुमंतू पशुपालकों के लिए चरागाहों की कमी का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर: घुमंतू पशुपालकों के लिए चरागाहों की कमी से उनकी पारंपरिक जीवनशैली पर गंभीर असर पड़ा। कृषि के विस्तार और औपनिवेशिक शासन के कारण, घुमंतू पशुपालकों को सीमित स्थानों तक ही अपने पशुओं को चराने की अनुमति मिली। इसके परिणामस्वरूप, कई समुदायों को स्थायी खेती या अन्य रोजगार अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।प्रश्न 8. औपनिवेशिक शासन के दौरान मसी मारा और अन्य अफ्रीकी समुदायों को क्या समस्याएँ आईं?
उत्तर: औपनिवेशिक शासन के दौरान मसी मारा और अन्य अफ्रीकी समुदायों को अपनी पारंपरिक ज़मीन से बेदखल किया गया और उन्हें स्थायी खेती या अन्य आजीविका अपनाने के लिए मजबूर किया गया। इसने उनकी घुमंतू जीवनशैली को नष्ट किया और उनके सामाजिक एवं सांस्कृतिक ढांचे को प्रभावित किया।प्रश्न 9. भारतीय घुमंतू पशुपालकों के जीवन में रेलवे और सड़कों के निर्माण का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: भारतीय घुमंतू पशुपालकों के लिए रेलवे और सड़कों का निर्माण एक कठिनाई बन गया, क्योंकि इससे उनकी पारंपरिक यात्रा मार्गों पर प्रतिबंध लगा। इससे उनका जीवन प्रभावित हुआ और उन्हें अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बदलकर स्थायी आजीविका अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा।प्रश्न 10. घुमंतू जीवनशैली के विघटन के कारण किस प्रकार के सामाजिक और आर्थिक बदलाव आए?
उत्तर: घुमंतू जीवनशैली के विघटन के कारण घुमंतू पशुपालकों को अपनी पारंपरिक आजीविका से हाथ धोना पड़ा और उन्हें स्थायी कृषि, मजदूरी या बागवानी जैसे नए व्यवसायों को अपनाना पड़ा। इस बदलाव से उनकी सामाजिक संरचना, परिवारों का वितरण और आर्थिक स्थिति में भी बड़ा परिवर्तन आया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (120–150 शब्दों में)
प्रश्न 1. औपनिवेशिक शासन की नीतियों ने अफ्रीकी पशुपालकों को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर: औपनिवेशिक शासन ने अफ्रीकी पशुपालकों की पारंपरिक जीवनशैली को गहराई से प्रभावित किया। अफ्रीका में मसी मारा जैसे घुमंतू समुदाय चरागाहों के बदलते मौसम के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे। परंतु अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण कर राष्ट्रीय उद्यान और रिज़र्व फॉरेस्ट बनाए।
इससे पशुपालकों की चराई की स्वतंत्रता समाप्त हो गई। उन्हें जबरन स्थायी बस्तियों में बसाया गया और पशुपालन के लिए लाइसेंस प्रणाली लागू की गई। उन्हें सीमित इलाकों में रहने को मजबूर किया गया, जिससे उनके पशुओं की संख्या और सेहत दोनों पर असर पड़ा।
सरकारी नीतियों ने उनकी पारंपरिक अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया और कई पशुपालकों को मजदूरी या खेती में लगना पड़ा। इस प्रकार, अफ्रीका में औपनिवेशिक शासन ने पशुपालकों को भूमि से, उनकी पहचान से और आत्मनिर्भर जीवनशैली से वंचित कर दिया।
प्रश्न 2. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में घुमंतू पशुपालक समुदाय कौन-कौन से हैं? उनके जीवन और कार्य में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?
उत्तर: भारत में कई घुमंतू पशुपालक समुदाय हैं, जैसे रेबारी (गुजरात और राजस्थान), गद्दी (हिमाचल प्रदेश), गुज्जर-बक्करवाल (जम्मू और कश्मीर), और धनगर (महाराष्ट्र)। ये सभी समुदाय पशुपालन को अपनी आजीविका का मुख्य साधन मानते हैं और मौसम के अनुसार स्थान बदलते रहते हैं।
समानता यह है कि ये सभी समुदाय चरागाहों की तलाश में प्रवास करते हैं, दूध, ऊन, मांस आदि बेचते हैं और पारंपरिक ज्ञान से पशुओं की देखभाल करते हैं।
भिन्नता क्षेत्रीय जलवायु, पशुओं की नस्ल और प्रवास मार्गों में है। जैसे रेबारी ऊँट और भेड़ पालते हैं जबकि गद्दी मुख्यतः भेड़ और बकरियाँ पालते हैं। धनगर मुख्य रूप से भेड़ पालते हैं और शुष्क क्षेत्रों में रहते हैं।
इनकी संस्कृति, भाषा और वेशभूषा भी क्षेत्रीय विशेषताओं के अनुसार अलग-अलग होती है, परंतु उनकी घुमंतू जीवनशैली उन्हें एक सूत्र में बांधती है।
प्रश्न 3. ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए चराई कर और लाइसेंस प्रणाली का घुमंतू पशुपालकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: ब्रिटिश सरकार ने घुमंतू पशुपालकों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए चराई कर और लाइसेंस प्रणाली शुरू की। चराई कर का मतलब था कि हर पशु के लिए सरकार को कर देना होता, जिससे पशुपालकों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया।
लाइसेंस प्रणाली के अंतर्गत केवल अनुमति प्राप्त लोगों को ही पशु चराने की इजाज़त दी जाती थी। इससे बहुत से घुमंतू समुदायों को चराई क्षेत्रों में जाने से रोका गया।
इन नीतियों का सीधा प्रभाव यह हुआ कि कई समुदायों की आजीविका संकट में आ गई। उन्होंने या तो पशुओं की संख्या घटाई या स्थायी खेती/मजदूरी जैसे विकल्प अपनाने पड़े।
इससे उनका सामाजिक ढांचा भी प्रभावित हुआ और पीढ़ियों से चल रही पारंपरिक जीवनशैली में बड़ा परिवर्तन आया। ये औपनिवेशिक नियम उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने के साथ-साथ उनके आत्मसम्मान और सांस्कृतिक पहचान को भी प्रभावित करते थे।
प्रश्न 4. आधुनिक काल में घुमंतू पशुपालकों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं और वे कैसे अनुकूलन कर रहे हैं?
उत्तर: आधुनिक काल में घुमंतू पशुपालकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भूमि की कमी, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या, और सरकारी नीतियाँ उनके पारंपरिक जीवन को कठिन बना रही हैं।
सरकारी वन क्षेत्रों में चराई पर रोक, चारागाहों का कृषि और उद्योग में उपयोग, और पशुओं के लिए चारे की कमी उनकी प्रमुख समस्याएँ हैं।
हालांकि, इन परिस्थितियों में भी कई समुदाय अनुकूलन कर रहे हैं। कुछ ने सीमित क्षेत्र में स्थायी खेती को अपनाया है, जबकि कुछ पशुपालन को व्यवस्थित व्यवसाय में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
आधुनिक शिक्षा और तकनीक की सहायता से वे पशु चिकित्सा, दुग्ध उत्पाद व्यापार और सहकारी समितियों में भागीदारी कर रहे हैं। कई युवा अब सरकारी योजनाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़कर पारंपरिक ज्ञान को नई दिशा दे रहे हैं।
इस प्रकार, परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाकर घुमंतू पशुपालक अपनी पहचान बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रश्न 5. “घुमंतू पशुपालक केवल पशु चराने वाले नहीं थे, बल्कि वे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के साथ गहरे रूप से जुड़े हुए थे।” – इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर: घुमंतू पशुपालक केवल पशु चराने वाले समुदाय नहीं थे, बल्कि वे पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने वाले महत्वपूर्ण घटक भी थे। वे चरागाहों को सीमित समय के लिए उपयोग करते थे और मौसम के अनुसार क्षेत्र बदलते रहते थे, जिससे भूमि को पुनः उगने का अवसर मिलता था।
उनकी गतिविधियाँ प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर आधारित थीं, न कि शोषण पर। वे विभिन्न पशु प्रजातियाँ पालते थे, जिससे जैव विविधता बनी रहती थी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता था।
उनकी जीवनशैली स्थानीय व्यापार, ऊन, दूध, चमड़ा, खाद आदि के आदान-प्रदान से जुड़ी होती थी। इसके अलावा, वे अपने ज्ञान और परंपराओं से स्थानीय संस्कृति और लोकज्ञान को भी समृद्ध करते थे।
औपनिवेशिक शासन द्वारा जब उन्हें नियंत्रित किया गया, तब केवल उनकी आजीविका ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के साथ उनका संतुलित संबंध भी प्रभावित हुआ।
इस प्रकार, घुमंतू पशुपालक समाज और प्रकृति दोनों के बीच सेतु का कार्य करते थे, जिनकी भूमिका आज भी प्रासंगिक है।
रिवीजन शीट (Quick Review Sheet)
🔶 मुख्य बिंदु (Key Points)
घुमंतू पशुपालक (Nomadic Pastoralists)
ऐसे समुदाय जो अपने पशुओं को चराने के लिए मौसम और घास की उपलब्धता के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं।
भारत में जैसे: धनगर (महाराष्ट्र), गुज्जर-बक्करवाल (जम्मू-कश्मीर), रेबारी (गुजरात), घद्दी (हिमाचल प्रदेश)।
घुमंतू जीवन का तर्क (Logic of Nomadism)
जलवायु, घास के मैदानों और मौसम के अनुसार स्थान परिवर्तन।
स्थायी संसाधनों की कमी के कारण यह जीवनशैली अपनाई गई।
औपनिवेशिक हस्तक्षेप (Colonial Interventions)
ब्रिटिश शासन में घुमंतू गतिविधियाँ “अराजक” और “अविकसित” मानी गईं।
‘रिज़र्व फॉरेस्ट्स’, लाइसेंस प्रणाली और चराई कर जैसे नियम लागू किए गए।
इसने पारंपरिक पशुपालन मार्गों और संसाधनों को सीमित कर दिया।
अफ्रीका के पशुपालक
मसी मारा, ट्सावो (Tsavo), सोमालिया के घुमंतू समुदायों को भी ब्रिटिश शासन ने नियंत्रित किया।
उन्हें अपनी परंपरागत ज़मीनों से बेदखल कर दिया गया।
आधुनिक समय में परिवर्तन (Changes in Modern Times)
कुछ समुदाय अब स्थायी कृषि, बागवानी, मजदूरी आदि करने लगे हैं।
कई अब भी सीमित दायरे में घुमंतू जीवन जीते हैं।
🧠 महत्वपूर्ण अवधारणाएँ (Important Concepts)
चरागाहों का ह्रास: रेलवे, कृषि विस्तार और वन नीति के कारण चरागाह घटे।
सरकारी नियंत्रण: सरकार द्वारा जंगलों को ‘रिज़र्व’ घोषित करके आम जनता की पहुँच पर रोक।
लाइसेंस प्रणाली: पशुपालकों को सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी।
आजादी के बाद: स्वतंत्र भारत में भी कई परंपरागत समुदाय नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
🧭 स्थान और समुदाय (Region & Communities)
क्षेत्र | प्रमुख घुमंतू समुदाय | विशेषता |
---|---|---|
महाराष्ट्र | धनगर | भेड़पालन, फसल और पशु दोनों पर निर्भर |
गुजरात/राजस्थान | रेबारी | ऊँट, बकरी, भेड़ |
जम्मू-कश्मीर | गुज्जर-बक्करवाल | ऊँचाई के हिसाब से प्रवास करते हैं |
अफ्रीका (केन्या/तंजानिया) | मसी मारा | सवाना क्षेत्रों में पशुपालन |
📅 टाइमलाइन झलक (Timeline at a Glance)
काल | घटना |
---|---|
1800s | ब्रिटिश शासन का जंगलों पर नियंत्रण |
1850s | रेलवे, कृषि विस्तार, चरागाहों की कमी |
1880s | रिज़र्व फॉरेस्ट नीति लागू |
1900–1947 | लाइसेंस प्रणाली, कर व नियंत्रण |
स्वतंत्रता के बाद | आजीविका में बदलाव, नई चुनौतियाँ |
📌 याद रखने योग्य तथ्य (Quick Facts to Remember)
ब्रिटिशों ने घुमंतुओं को “अपराधी” तक कहा।
चराई कर और लाइसेंस प्रणाली से आजीविका पर असर पड़ा।
कई समुदायों को मजबूरन खेती या मजदूरी करनी पड़ी।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से घुमंतू जीवन शैली अधिक टिकाऊ थी।
📝 अभ्यास के लिए टिप्स (Tips for Quick Revision)
चार प्रमुख भारतीय पशुपालक समुदायों के नाम और राज्य याद करें।
ब्रिटिश नीति के कारण हुए तीन बड़े प्रभाव याद रखें।
‘मसी मारा’ जैसे अफ्रीकी समुदायों पर हुए प्रभावों को समझें।
‘चराई कर’ और ‘लाइसेंस प्रणाली’ के अर्थ और प्रभाव अच्छे से समझें।
🔁 दोहराने के लिए प्रश्न (Self-check Questions)
धनगर समुदाय किस राज्य से संबंधित है?
ब्रिटिशों ने रिज़र्व फॉरेस्ट क्यों बनाए?
लाइसेंस प्रणाली का क्या उद्देश्य था?
मसी मारा समुदाय को किस देश से बाहर निकाला गया?
स्वतंत्रता के बाद पशुपालकों की जीवनशैली में क्या बदलाव आए?
Worksheet - Test (आधुनिक विश्व में घुमंतू पशुपालक)
🔹 खंड – A. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ)
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए…
धनगर समुदाय किस राज्य से संबंधित है?
a) पंजाब
b) महाराष्ट्र
c) गुजरात
d) राजस्थान‘चराई कर’ किस पर लगाया जाता था?
a) फसल पर
b) पशुओं की बिक्री पर
c) पशुओं को चराने पर
d) मकान पर‘मसी मारा’ समुदाय कहाँ पाया जाता है?
a) भारत
b) केन्या और तंजानिया
c) श्रीलंका
d) बांग्लादेशऔपनिवेशिक शासन में रिज़र्व फॉरेस्ट किस उद्देश्य से बनाए गए थे?
a) वन्य जीव संरक्षण के लिए
b) खेती के लिए
c) लकड़ी व व्यापार के लिए
d) पशुपालकों को बसाने के लिए‘लाइसेंस प्रणाली’ का मुख्य उद्देश्य क्या था?
a) शिक्षा बढ़ाना
b) धार्मिक आयोजन
c) पशुपालकों को नियंत्रित करना
d) कृषि सुधार
🔹 खंड – B. रिक्त स्थान भरिए (Fill in the Blanks)
______________ एक घुमंतू पशुपालक समुदाय है जो जम्मू-कश्मीर में पाया जाता है।
चरागाहों की कमी का एक प्रमुख कारण _____________ और सड़क निर्माण था।
‘औपनिवेशिक शासन’ शब्द से तात्पर्य है ______________।
अफ्रीका में घुमंतू समुदायों को अपनी ______________ से बेदखल किया गया।
धनगर मुख्यतः ______________ पालन करते हैं।
🔹 खंड – C. अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(30–40 शब्दों में उत्तर दीजिए)…
11. घुमंतू पशुपालक जीवनशैली की दो विशेषताएँ लिखिए।
12. लाइसेंस प्रणाली से पशुपालकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
13. रिज़र्व फॉरेस्ट घोषित करने से क्या हुआ?
14. आधुनिक समय में घुमंतू समुदायों ने कौन-कौन सी आजीविका अपनाई?
🔹 खंड – D. लघु उत्तरीय प्रश्न
(60–80 शब्दों में उत्तर दीजिए)…
15. धनगर समुदाय की गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
16. ब्रिटिश नीतियों ने पशुपालकों के जीवन पर कैसे प्रभाव डाले?
🔹 खंड – E. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(140–180 शब्दों में उत्तर दीजिए)…
17. “औपनिवेशिक नीतियों ने भारत और अफ्रीका दोनों जगह पशुपालकों की परंपरागत जीवनशैली को बदल दिया।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
✅ अतिरिक्त अभ्यास के लिए (For Extra Practice)
🔸 चार प्रमुख भारतीय पशुपालक समुदायों के नाम और राज्य याद करें।
🔸 ‘चराई कर’ और ‘लाइसेंस प्रणाली’ के प्रभावों की तुलना करें।
🔸 अफ्रीका और भारत में औपनिवेशिक शासन के प्रभावों की तुलना करें।
📌 नोट
स्पष्ट और क्रमबद्ध उत्तरों को वरीयता दी जाएगी।
प्रश्न संख्या स्पष्ट रूप से लिखें।
समय का ध्यान रखें।
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